tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post3964119183448905949..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: एक आर्त अपील -लिव एंड लेट लिव!Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-32138896443153255812012-07-03T17:05:19.629+05:302012-07-03T17:05:19.629+05:30अब तो भ्रष्टाचार के मुख पर रंग-रोगन कर ईमानदार दिख...अब तो भ्रष्टाचार के मुख पर रंग-रोगन कर ईमानदार दिखाने का मुहीम चल रहा है...सरकारी-तंत्र में ऊपर से कुछ और ऑर्डर दिया जाता है भीतर से कुछ और .. फिर ईमानदारी को डंके की चोट पर बखाना जाता है ..विकास है ये...Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-85542310174014753322012-06-30T10:15:13.826+05:302012-06-30T10:15:13.826+05:30हरि अनन्त हरि कथा अनंता ... sachhi me
cancer jais...हरि अनन्त हरि कथा अनंता ... sachhi me<br /><br />cancer jaisa la-ilaz hai ye 'vrashtachar'.......<br /><br />alakh jagaye rakhiye aise aalekh se..<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-25662980853324189022012-06-29T14:54:54.915+05:302012-06-29T14:54:54.915+05:30अच्छी प्रस्तुति,,,सुंदर लेख,,,,,
MY RECENT POST क...अच्छी प्रस्तुति,,,सुंदर लेख,,,,,<br /><br />MY RECENT POST <a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/06/blog-post_27.html" rel="nofollow">काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-56936720429850627242012-06-29T08:33:10.356+05:302012-06-29T08:33:10.356+05:30स्पष्टीकरण के लिए आभार ..गलतफहमी आपके इस वाक्यांश ...स्पष्टीकरण के लिए आभार ..गलतफहमी आपके इस वाक्यांश से हुयी -<br />घूस लेता नहीं हूँ लेकिन कई बार देनी जरूर पड जाती है:(Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-3023660017884045842012-06-29T08:28:07.031+05:302012-06-29T08:28:07.031+05:30अरविन्द जी,
मेरी टिप्पणी पर आपने गौर किया, धन्यवा...अरविन्द जी, <br />मेरी टिप्पणी पर आपने गौर किया, धन्यवाद लेकिन मुझे लगता है कि मेरा मंतव्य स्पष्ट नहीं हो पाया| हालांकि जो अर्थ आपने निकाला, वो भी निकलता ही है लेकिन मेरा कहने का अभिप्राय भ्रष्टाचार की व्यापकता और इसको मिल रही मान्यता पर था| मेरा मतलब सिर्फ ये था कि अपने तईं पूरी ईमानदारी बरतने के बाद भी कई बार पता चलता है कि आपके नाम पर कोई दूसरा चूना लगा चुका है और लगवाने वाले के लिए भी ये एकदम सहज हो चुका है|<br />बड़ों के लिए घूस लेनी पड़ी हो, ऐसी नौबत अपने साथ अभी\कभी नहीं आई है इसलिए विवशता का कोई सवाल उठा नहीं है और आगे भी नहीं उठेगा| दुश्वारियां उठाने के लिए अपन तैयार रहते हैं|<br />इस कमेंटीय गलतफहमी के चलते ही सही, डाक्टर दराल की उत्कंठा का समाधान तो हुआ:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-42911428367091512732012-06-29T07:42:46.883+05:302012-06-29T07:42:46.883+05:30@मित्रों,
आपने इस मुद्दे पर अपने स्पष्ट विचार व्यक...@मित्रों,<br />आपने इस मुद्दे पर अपने स्पष्ट विचार व्यक्त किये आभारी हूँ .रवि रतलामी जी ने जहाँ एक प्रचलित वक्तव्य की और ध्यान दिल्या तो मुसाफिर ने इसकी गहरी जड़ों और उसका एक समाधान भी सुझाया मगर इस देश और मौजूदा नीति नियोजकों के रहते शायद यह संभव नहीं -संजय ने भी अपने अनुभव शेयर किये ....और एक बड़ी पते की बात की कि हमें दूसरों के लिए भ्रष्टाचार करना पड़ता है .डॉ. दराल साहब ने भ्रष्टाचार की कई श्रेणियां गिनाई -सब सही हैं ,मगर ब्लागरी धर्म का निर्वाह करते हुए मेरी कटेगरी भी पूछी -मेरी कटेगरी तो संजय पहले ही बात चुके हैं -अपने लिए नहीं दूसरे "बड़ों " के लिए हमें इसके लिए विवश होना पड़ता रहा है -रविकर फैजाबादी के पास तो निसर्ग ने अद्भुत काव्य शक्ति दी है -अपनी बात वे कितने सुन्दर पद्य रूप में कह देते हैं .<br />आप सभी का पुनः आभार!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-20334747409154243702012-06-28T08:59:23.773+05:302012-06-28T08:59:23.773+05:30मुझे इस विषय में कोई बात करना बेमानी लगता है. आपसे...मुझे इस विषय में कोई बात करना बेमानी लगता है. आपसे सहमत. <br />चेन्नई से...P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-44902733151333798262012-06-28T01:48:22.724+05:302012-06-28T01:48:22.724+05:30हम शुक्रगुजार हैं उस प्रभु के जिन्होंने हमें अब तक...हम शुक्रगुजार हैं उस प्रभु के जिन्होंने हमें अब तक ऐसी जगह नहीं जाने दिया जहाँ भ्रष्ट होने का मौका मिले :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-48181478254748362592012-06-27T23:11:26.026+05:302012-06-27T23:11:26.026+05:30आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार ...आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 28 -06-2012 को यहाँ भी है <br /><br /><a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/" rel="nofollow"> .... आज की नयी पुरानी हलचल में .... चलो न - भटकें लफंगे कूचों में , लुच्ची गलियों के चौक देखें.. .</a>संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-58713129218776147582012-06-27T22:13:21.454+05:302012-06-27T22:13:21.454+05:30आशा ही कहाँ है इस गर्त से निकल पाने की ....सच है ह...आशा ही कहाँ है इस गर्त से निकल पाने की ....सच है हर कोई इसका भागीदार है | कोई जानते बूझते और कोई मजबूरी में .... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-22134155683090004822012-06-27T21:40:48.666+05:302012-06-27T21:40:48.666+05:30देखता है,
दुखी होता
और
फिर बढ़ जाता भँवर में,
व...देखता है, <br />दुखी होता <br />और <br />फिर बढ़ जाता भँवर में,<br />व्यथा की अनिवार्यता में।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-58103228902691158352012-06-27T20:42:53.671+05:302012-06-27T20:42:53.671+05:30भाई साहब अमरीका की राष्ट्रीय बीमारी फ्ल्यू है इसकी...भाई साहब अमरीका की राष्ट्रीय बीमारी फ्ल्यू है इसकी नै स्ट्रेंन हर बरस प्रकट होतीं हैं .टीका बन नहीं पाता इसीलिए .हमारी राष्ट्रीय बीमारी है भ्रष्टाचार .हम भ्रष्टों के भ्रष्ट हमारे .इसी रूप हमारी पहचान भी है .यहाँ बहुत जल्दी तिहाड़ एक विधानसभाई क्षेत्र बनने जा रहा है .आप नाहक परेशान न हों .हर चीज़ का शिखर आता है उसके बाद .......गंगा का प्रदूषण है भ्रष्टा चार जितना दूर करोगे बढ़ता जाएगा .लोग हाथ धोना नहीं छोड़ते गंगा जी में .यहाँ तो भ्रष्टाचार गंगोत्री से ही आ रहा है गौ मुख से ऊपर से नीचे की ओर जैसा अरविन्द जी आपने कहा है .<br />इस गंगा को अब नाला रहने दो ,<br />हम नै गंगोत्री लाएंगे ....virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-47909115569818044802012-06-27T20:03:44.080+05:302012-06-27T20:03:44.080+05:30तंत्र सर्वदा (आमतौर पर) अपने अनुकूल करने पर आमादा ...तंत्र सर्वदा (आमतौर पर) अपने अनुकूल करने पर आमादा रहता है. <br />और फिर आप ही का सूत्र हैं न कि<br />आशा ही तो जीवन हैM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-44186180681817790512012-06-27T19:40:40.351+05:302012-06-27T19:40:40.351+05:30satya vachansatya vachanMonika Jainhttps://www.blogger.com/profile/18206634037142003083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-33029337293176842142012-06-27T19:23:38.538+05:302012-06-27T19:23:38.538+05:30@डॉ.दराल साहब ,
बहुत अच्छा विश्लेषण ..आपने मेरी ...@डॉ.दराल साहब ,<br />बहुत अच्छा विश्लेषण ..आपने मेरी कटेगरी पूछी है .<br />कुछ और विचार आये हैं -अंत में ही बताता हूँ!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-85585067436586214772012-06-27T17:56:20.716+05:302012-06-27T17:56:20.716+05:30आर्थिक भ्रष्टाचारियों की किस्में :
* एक वो जो जन्...आर्थिक भ्रष्टाचारियों की किस्में : <br />* एक वो जो जन्म से भ्रष्ट हैं . ऐसे लोग रिटायर होने से पहले जेल नहीं जाते . <br />* दूसरे वो जो लालायित रहते हैं और अवसर मिलते ही पैसे में खेलने लगते हैं . <br />* तीसरे प्रलोभन को ठुकरा नहीं पाते . लेकिन हमेशा डरते भी रहते हैं . <br />* चौथे इतने डरपोक होते हैं --कभी ले नहीं पाते . सारी जिंदगी डरते ही रहते हैं . <br />* पांचवें जन्म से बेबाक और निडर होते हैं . वे कभी लेते नहीं . <br /><br />अब देखा जाए तो यह तो जींस में ही घुला है --आप किस केटेगरी में आते हैं . हालाँकि कभी कभी परिस्थितयां और संगत भी मनुष्य को प्रभावित कर सकती हैं . <br />इस विषय पर साहसी लेख .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-50278544602430131012012-06-27T17:16:37.119+05:302012-06-27T17:16:37.119+05:30मुश्किल तो है पर एक बार छवि लठैत की बन गई तो लो...मुश्किल तो है पर एक बार छवि लठैत की बन गई तो लोग दबाने की हिम्मत नहीं करते हालांकि हो सकता है महत्वपूर्ण दायित्व न सौंपे जाएंKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-89335187377681211302012-06-27T15:30:14.814+05:302012-06-27T15:30:14.814+05:30ये अब एक ऐसा सर्कल बन गया है जिसको तोड़ने से आगे प...ये अब एक ऐसा सर्कल बन गया है जिसको तोड़ने से आगे पीछे के पेच ढीले हो जायंगे इसलिए ये चलता रहता है ... हां जब भी टूटे इसे ऊपर से ही तोड़ने पे कोई गुंजाइश है की शायद नीचे आने आने तक कुछ सफाई हो सके ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-36258530543619091442012-06-27T15:20:02.723+05:302012-06-27T15:20:02.723+05:30No body is corrupt.. who is going to admit that he...No body is corrupt.. who is going to admit that he sports corruption but in reality 98% of them are.. <br /><br />Intensity may vary.. !!<br />I think sometimes the Live and let live approach encourages corruption... because those who r doing... no longer bother.. <br /><br />Interesting read..Jyoti Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01794675170127168298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-62696512505837161222012-06-27T14:50:36.855+05:302012-06-27T14:50:36.855+05:30सही बात है. लिव एंड लेट लिव पर ही तान टूटती है.सही बात है. लिव एंड लेट लिव पर ही तान टूटती है.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-63557236155274477962012-06-27T14:12:39.130+05:302012-06-27T14:12:39.130+05:30भ्रष्टाचार से हम बचके निकल भी तो नहीं सकते.इसलिए स...भ्रष्टाचार से हम बचके निकल भी तो नहीं सकते.इसलिए सीधा उपाय है कि जानबूझकर पंगा मत लो पर यदि इससे सीधे टकराहट हो तो मुकाबले के अलावा कोई विकल्प नहीं है !<br /><br /><br />...अपन तो कम से कम आर्थिक-भ्रष्टाचार से मुक्त हैं,पता नहीं किसी अन्य तरह में संलिप्त भी हो सकते हैं !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-68414582136274321942012-06-27T13:37:34.300+05:302012-06-27T13:37:34.300+05:30अगर ऊपर के लोगों का आचरण पारदर्शी निष्कलंक हो जाए ...अगर ऊपर के लोगों का आचरण पारदर्शी निष्कलंक हो जाए तो नीचे तो अपने आप चीजें सुधर जाएं। ज्यादातर मुलाजिम ऊंचे ओहदों पर कार्यरत बॉस का ही तो अनुसरण करते हैं।<br />सौ बात की एक बात तो यही है ...और यह इतना मुश्किल भी नहीं बस एक तबियत तबियत से उछालने भर की देर है.<br />फिर भी काफी कुछ कह डाला आपने.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-57339985472494909552012-06-27T13:16:16.797+05:302012-06-27T13:16:16.797+05:30सब कुछ कह कर कह रहे हैं --हम कुछ नहीं कहते . :)
अभ...सब कुछ कह कर कह रहे हैं --हम कुछ नहीं कहते . :)<br />अभी तो इतना ही , शेष शाम को .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-32677922065564720002012-06-27T10:59:35.526+05:302012-06-27T10:59:35.526+05:30भ्रष्टाचार की लार भी ऐसे ही ऊपर से टपकती है। यह मॉ...भ्रष्टाचार की लार भी ऐसे ही ऊपर से टपकती है। यह मॉडल टॉप टू बॉटम का है।<br /><br />बिलकुल सही कहा है ... बचते बचाते भी काफी कुछ कह गएसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-20585050518655336752012-06-27T10:46:42.920+05:302012-06-27T10:46:42.920+05:30इतना आर्त न होइये। जहां कमजोर भ्रष्टाचार मिले वहां...इतना आर्त न होइये। जहां कमजोर भ्रष्टाचार मिले वहां पकड़कर रगड़ दीजिये। जहां मजबूत दिखे वहां से बगलिया के निकल लीजिये। अगर पढ़ न चुके हों तो उत्तर प्रदेश सरकार में अधिकारी रहे हरदेव सिंह की किताब बांचिये -<b>क्यों बेईमान हो जाती है नौकरशाही।</b> भ्रष्टाचार तमाम कारण/विवारण पता चलेंगे।अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.com