tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post1841244313112186758..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: इलाहाबाद से लौट कर :कुछ खरी कुछ खोटी और कुछ खटकती बातें !Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger48125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-18638327129578203712009-10-28T14:26:36.964+05:302009-10-28T14:26:36.964+05:30जी बिलकुल। इन त्रिदेवियों की मौजूदगी मात्र ही पर्य...जी बिलकुल। इन त्रिदेवियों की मौजूदगी मात्र ही पर्याप्त नहीं थी। और महिलाओं को वहां होना चाहिए था यह बताने के लिए कि ब्लॉग के भीतर और बाहर जो दुनिया वह देखती हैं, वह दुनिया कैसी है।मनीषा पांडेhttps://www.blogger.com/profile/01771275949371202944noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-21937660303971696852009-10-27T15:39:16.233+05:302009-10-27T15:39:16.233+05:30इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए मुझे भी सौभाग्य मिल...इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए मुझे भी सौभाग्य मिला था और तकनिकी कारणों से मै प्रतिक्रिया नहीं दे सका था पहले तो मैंने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया था क्योंकि जहाँ भी अव्यवस्था होती है तो हम यह मान लेते हैं की जब नाम का पहला वर्ण ही अ से शुरू है तो हर चीज जो अ से मिलाती है उस पर मै साधारणतया प्रतिक्रिया नहीं करता क्योंकि मै उसे नामराशी मान लेता हूँ लेकिन अनूप भाई की चर्चा वह बी मशक चर्चा सुन कर दुःख ही हुआ अछ्छा होता यदि खुलासे न होते प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो , हमने देखि है उन आँखों में महकती खुशबू <br /><br /> भाई अरविन्द के लिए एक सलाह अछ्छा लगे तो अपना ले बुरा लगे तो जाने दे <br /><br />हनुमान चालीसा में सबसे अछ्छी पंक्ति पर ध्यान दे आपन तेज सम्हारो आपे वैसे जो हो गया सो राख डालिए वैसे भी ब्लॉग समेलन से राष्ट्रीय चरित्र की ही पुष्टि ही हुई वरिष्ठ गरिष्ठ हो गए व कनिष्ठ विष्टarun prakashhttps://www.blogger.com/profile/11575067283732765247noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-91666202905797508652009-10-26T11:26:45.976+05:302009-10-26T11:26:45.976+05:30आपके लेख को पढ़कर लगता है कि ब्लागर्स स्वभावत: अना...आपके लेख को पढ़कर लगता है कि ब्लागर्स स्वभावत: अनार्किस्ट होतें हैं :)<br /><br />साइन्स ब्लाग पर आप सब लोग जो काम कर रहें हैं वो तारीफ के काबिल है. इसका प्रचार और प्रसार दोनों ही जरूरी है. मुझे लगता है कि आपको आगे भी इसके प्रसार का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहिये. वह एक सार्थक कोशिश है.CGhttps://www.blogger.com/profile/01338787191916748749noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-78460587854225247612009-10-25T17:11:06.099+05:302009-10-25T17:11:06.099+05:30ज़ाकिर जी की बात से पूर्ण सहमति लेकिन जाकिर जी वहाँ...ज़ाकिर जी की बात से पूर्ण सहमति लेकिन जाकिर जी वहाँ कनिष्ठ वरिष्ठ का ध्यान रखा होगा । वो सरकारी तंत्र मे स्केल होता है सो उसी के हिसाब से कमरे दिये गए होगे शायदAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-21966423647431687862009-10-25T17:01:55.447+05:302009-10-25T17:01:55.447+05:30अगली रिपोर्ट नहीं आई अभी तक? :)अगली रिपोर्ट नहीं आई अभी तक? :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-91672367403122296402009-10-25T16:46:09.077+05:302009-10-25T16:46:09.077+05:30ये ऊपर क्या हो रहा है भाई। मेरी कुछ समझ में नहीं आ...ये ऊपर क्या हो रहा है भाई। मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा। आगे थोड़ा डिटेल में समझा-समझा कर बताइएगा। इस ऐतिहासिक वाकये के इतिहास में जाकर।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-75969893769389216102009-10-25T15:31:40.004+05:302009-10-25T15:31:40.004+05:30ये तो वही बात हो गई कि ---"गए थे हरि भजन को,औ...ये तो वही बात हो गई कि ---"गए थे हरि भजन को,औटन लगे कपास"<br />वैसे कुछ लोग तो ये भी कहते भये हैं कि---"जहाँ जहाँ चरण पडे संतन के,तहाँ तहाँ बँटाधार"<br /><br />:)Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-23961123593467674262009-10-25T15:21:02.142+05:302009-10-25T15:21:02.142+05:30मिश्रा जी मौज मस्ती के चलते ही ये सब हुआ काश सब लो...मिश्रा जी मौज मस्ती के चलते ही ये सब हुआ काश सब लोग गंभीरता से रहे होते ,,,,,शायद इन्होने चाय वाले से भी मौज ली थी तभे वो अपने बेटे से कहा कि ये लोग दूकान बंद करवा देगे जैसे अज हम सब यही कह रहे है कि ये लोग ब्लागिंग बंद करवादेगेMishra Pankajhttps://www.blogger.com/profile/02489400087086893339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-58400394341356764112009-10-25T14:22:59.915+05:302009-10-25T14:22:59.915+05:30हमको एक बात समझ नही आई की जब सरकारी और टेक्स पेयर्...हमको एक बात समझ नही आई की जब सरकारी और टेक्स पेयर्स के मत्थे आयोजन था तो बिना मच्छर और मच्छर वाला कमरा कैसे अलाट हुआ?<br /><br />क्या अनूप शुक्ल जी एंड कंपनी ने वहां धांधली करके अच्छा कमरा हथियाया और आप लोगों को जान बूझ कर मच्छर युक्त कमरा दिया गया.<br /><br />और आपको और अनूप शुक्ल जी को ही क्यों बुलवाया गया? बाकी सब ब्लागर्स मर खप गये थे क्या?<br /><br />चूंकि यहा अब जाकिर भाई भी मिश्राजी का समर्थन कर रहे हैं इसलिये हमको बात कुछ षडयंत्र वाली लग रही है.<br /><br />स्थिति को स्पष्ट किया जाये.ब्लाग वकीलhttps://www.blogger.com/profile/05336513223357509128noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-35301318956748601182009-10-25T14:09:08.859+05:302009-10-25T14:09:08.859+05:30@पुनश्च : वैसे तो मूदहु आँख कतऊ कछु नाही -बाबा कह ...@पुनश्च : वैसे तो मूदहु आँख कतऊ कछु नाही -बाबा कह ही गए हैं ! अनूप जी आपने कहा ,"हर हाल में मौज-मजे में रहकर मिलजुलकर खुश हो जाने वालों को बुलाने की " सिद्धार्थ जी मंशा धूल धूसरित हो गयी मेरे सूक्ष्म निरीक्षण से तो मुझे यह कहना की यह किसी का निजी कार्यक्रम नहीं था -न ही कोई चैरिटी शो था -यह टका टका जोड़े गए टैक्स पेयर्स की गाढ़ी कमाई से अर्जित सरकारी राशि का आयोजन था -मौज मस्ती का तो मामला ही नहीं था यह ! इसे तो पूरी तटस्थता और निर्विकार भाव से जिम्मदारी के रूप में लेना था -बहरहाल आप अगली पोस्टों का इंतज़ार करें ! विश्वास कीजिये मति अनुरूप सूक्ष्म विवेचन जारी रहेगा ! और भविष्य के आयोजकों के लिए कुछ मार्ग निर्देश भी शायद लिखूं ! आयोजन निस्पृह भाव से होने चाहिए इन्हें महज निजी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के माध्यम /मंच ही नहीं बन जाने चाहिए !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-24695439521553548182009-10-25T14:07:01.929+05:302009-10-25T14:07:01.929+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-49516298203381318902009-10-25T13:48:52.507+05:302009-10-25T13:48:52.507+05:30Bloggers ko ALAG ALAG STANDERD ke hotal men tharan...Bloggers ko ALAG ALAG STANDERD ke hotal men tharana nischit hi uchit nahee hai. ALLAHABAD ki WO RAAt kam sw kam main nahee BHOOL sakta.<br />Aur haan HOSTEL ke KHANE & NASHTE ka MEENU kaheen se bhee SANTOSHJANAK nahee tha.Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-15998617605663171802009-10-25T13:18:53.293+05:302009-10-25T13:18:53.293+05:30बहुत सही रपट ,आपनें सच को बेबाकी के साथ प्रस्तुत क...बहुत सही रपट ,आपनें सच को बेबाकी के साथ प्रस्तुत किया है,<br />आयोजन में व्यवस्था और अव्यवस्था में तो चोली दामन का साथ है ,वी .आई .पी लोंगो को तो हर स्थान सुंदर \ लगते दीखते है क्योंकी वे वी .आई .पी जो ठहरे क्योंकी उनकी व्यवस्था जो टाप क्लास की होती है .हम सब का क्या हर जगह जैसे -तैसे गुजरा कर लेतें है हम तो इस तेश की सामान्य -भोली भली जनता जो ठहरे. <br />बधाई . ,अगली कड़ी की प्रतीक्षा है.तनु श्रीhttps://www.blogger.com/profile/08137749476720593975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-79607356519155575232009-10-25T12:32:43.676+05:302009-10-25T12:32:43.676+05:30बगैर अव्यवस्था के कोई आयोजन फिर आयोजन कैसा? रपट की...बगैर अव्यवस्था के कोई आयोजन फिर आयोजन कैसा? रपट की अगली कड़ी का इंतजार है।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-38763813120699584962009-10-25T10:12:16.646+05:302009-10-25T10:12:16.646+05:30@ताउजी
पूछ सुबह से ही फनफना रही है देख सके
तो देख ...@ताउजी<br />पूछ सुबह से ही फनफना रही है देख सके<br />तो देख लेMishra Pankajhttps://www.blogger.com/profile/02489400087086893339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-58911560644841452222009-10-25T10:07:33.667+05:302009-10-25T10:07:33.667+05:30सब को छू कर, गले मिल का देख लिये। सुकून मिला कि सब...सब को छू कर, गले मिल का देख लिये। सुकून मिला कि सब रीयल हैँ। बहुतों से बहुत देर तक मिलना चाहता था, इस बार नहीं हो पाया। बस!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-55238896695642618312009-10-25T09:27:51.296+05:302009-10-25T09:27:51.296+05:30! अब तो लोमडी पूंछ छोड़ कर भाग चली -बस पूंछ देखना ...<b>! अब तो लोमडी पूंछ छोड़ कर भाग चली -बस पूंछ देखना बाकी है !</b><br />पर सवाल यह उठ गया है कि लोमडी ने पूंछ कहां छोडी? तुरंत ढूंढकर हाजिर किया जाये.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-82748484980071413102009-10-25T08:55:07.940+05:302009-10-25T08:55:07.940+05:30@और हाँ रवि जी ने मासूमियत से सुबह पूछा भी था की...@और हाँ रवि जी ने मासूमियत से सुबह पूछा भी था की क्या हम लोगों के कमरे में जाली नहीं थी? अब हम क्या बताते उन्हें बस उनको भोपाल के एक कार्यक्रम की यद् दिला दिए जहाँ हम और वे साथ थे ! बस ! और हाँ आलोचनाओं को दोषारोपण की द्रष्टि से नहीं बल्कि स्वस्थ मन से लेना चाहिए और तदनुसार सुधार भी होना चाहिए ! नहीं तो हू केयर्स !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-42763356745047473882009-10-25T08:51:13.302+05:302009-10-25T08:51:13.302+05:30जय हो
कुंठासुरों के बीच में ब्लागर किये धमाल
न्य...जय हो <br /><br />कुंठासुरों के बीच में ब्लागर किये धमाल<br />न्यूट्रल रहे अनूप जी मिश्रा जी बेहालयोगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-77694705392064933902009-10-25T08:50:08.466+05:302009-10-25T08:50:08.466+05:30@@ अनूप जी सही कह रहे हैं आप लोग सच में वी आयी पी ...@@ अनूप जी सही कह रहे हैं आप लोग सच में वी आयी पी कक्ष में रोके गए थे -आकर हमारी दशा अभी तो देखे होते ! मैं ,हिमांसु ,हेमंत ,ज़ाकिर ,अरुण और गिरिजेश रात भर मच्छरों के सो नहीं पाए ! सिद्धार्थ जी कहाँ गलत है ,गलत है वह सोच जो नाहक ही ब्लागरों में फक्र करती है -जो फोटो ऊपर लगी है वह हमारे कक्ष की नहीं है -वी आयी पी वाली है जहाँ जाकर यह फोटो खिचवाई ताकि सनद रहे ! अब और बुलवाने पर विवश न करें महाराज ! अब तो लोमडी पूंछ छोड़ कर भाग चली -बस पूंछ देखना बाकी है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-3802143570531775592009-10-25T08:40:00.182+05:302009-10-25T08:40:00.182+05:30अरविन्दजी, आपके साथ सच में ज्यादती हुई लगती है। मै...अरविन्दजी, आपके साथ सच में ज्यादती हुई लगती है। मैं भी वहीं ठहरा था जहां आप ठहरे थे। पता नहीं मुझे वहां कोई अव्यवस्था नहीं नजर आयी जो कि आप देख सके। आपकी सजग दृष्टि का प्रताप ही है यह। <br /><br />मुझे वहां मच्छर भी नहीं लगे। न ही मेरे साथ ही रुके मसिजीवी, अफ़लातून, अजित वडनेरकर, रविरतलामी और प्रियंकरजी ने इस तरह की कोई सूचना दी। सब जमकर बतियाये और धांसकर सोये। <br /> <br />लगता है सारे मच्छर साजिशन आपकी तरफ़ धकेल दिये गये। या फ़िर मच्छर आपके प्रताप पुंज से आकर्षित होकर आपके पास खिंचे चले आये।<br /><br />बेड टी नहीं मिली आपको यह भी बड़ा बवाल है। बेड टी का समय वहां पहले दिन सात बजे था। हम सब लोग इसके पहले ही टहलते हुये चाय की दुकान पर बैठकर गपियाते हुये न जाने कित्ती चाय पी गये। अगले दिन पता चला कि चाय मिलती नहीं वहां। लेकिन हम लोग इसके पहले चाय-जलेबी और सानिध्य सुख के तृप्त होकर आनंदित होते रहे। लोगों से मिलकर जो मजा आया उसके झांसे में यह सब भूल ही गये कि आयोजकों ने कित्ती बड़ी नाइंसाफ़ी की हम लोगों के साथ कि चाय तक मार गये।<br /><br />और भी बहुत सारी असुविधायें रही होंगी जो हमें नहीं दिखीं। आपके सूक्ष्म विवेचन से शायद आगे दिखें।<br /><br />आयोजकों (जिनमें सिद्धार्थ त्रिपाठी) भी शामिल थे को यह ख्याल रखना चाहिये था कि वे सिर्फ़ हर हाल में मौज-मजे में रहकर मिलजुलकर खुश हो जाने वालों को ही नहीं बुला रहे हैं। उनको यह समझ भी होनी चाहिये थी कि वे आप जैसे संवेदनशील वैज्ञानिक को भी बुला रहे हैं जिसकी नजर हर खामी पर चली ही जाती है। <br /><br />बाकी बातें और क्या कहें? आप आगे सब पोल खोलेंगे ही। आपकी आगे की पोस्टों का इंतजार है ताकि हम वहां हुई और अव्यवस्थाओं से परिचित हो सकें जो वहां रहते हुये मुझे दिख नहीं पायीं काहे से कि हम तो हा हा ही ही करने में लगे रहे। <br /><br />आपकी सूक्ष्म दृष्टि सचमुच वंदनीय है।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-48716348728090206092009-10-25T07:22:18.322+05:302009-10-25T07:22:18.322+05:30चलिए कोई बात नहीं, धीरे-धीरे सब ठीक हो जायेगा, अभी...चलिए कोई बात नहीं, धीरे-धीरे सब ठीक हो जायेगा, अभी हम ब्लोगेर्स को थोड़ा सभा-सोसाईटी का कम्मै चस्का औ अनुभव है...:)Dr. Shreesh K. Pathakhttps://www.blogger.com/profile/09759596547813012220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-76011304480288176282009-10-25T07:22:11.553+05:302009-10-25T07:22:11.553+05:30niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-66291223100483899842009-10-25T07:04:12.952+05:302009-10-25T07:04:12.952+05:30@जहेनसीब ! इस अदा और काव्य छटा पर दिल बाग़ बाग है ...@जहेनसीब ! इस अदा और काव्य छटा पर दिल बाग़ बाग है !<br />शुक्रिया !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-64559055253824250252009-10-25T06:47:14.525+05:302009-10-25T06:47:14.525+05:30चलिए किसी ने तो दादा-गिरि के सामने गांधी-गिरि की।
...चलिए किसी ने तो दादा-गिरि के सामने गांधी-गिरि की।<br />बहुत-बहुत धन्यवाद!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com