tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post9177211935584495344..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: शुक्रिया ब्लॉग जगत.....Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger40125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-3009912113222030292012-05-17T19:40:36.490+05:302012-05-17T19:40:36.490+05:30आपमें ही देखा वो गीता का सार-सूत्र -कर्म करते जाओ ...आपमें ही देखा वो गीता का सार-सूत्र -कर्म करते जाओ वाली..और पूर्णता की सतत खोज भी..हाँ , कभी रुक कर मन आकलन करने से बाज़ तो आता नहीं है .उसी में कई छुपे माणिक भी दिख जाते है जो फिर से अपने चकाचौंध से सम्मोहित किये लिए चलते है..ये कुछ वैसा ही है..देरी से आने के लिए..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-91710557101223377412012-05-15T18:14:08.183+05:302012-05-15T18:14:08.183+05:30बहुत ही बढ़ियाबहुत ही बढ़ियाsmhttp://realityviews.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-63053151394117574592012-05-15T07:24:19.537+05:302012-05-15T07:24:19.537+05:30बहुत ही सुंदर भाव...सुन्दर प्रस्तुति...हार्दिक बधा...बहुत ही सुंदर भाव...सुन्दर प्रस्तुति...हार्दिक बधाई...प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-5601681706890059582012-05-15T07:12:36.619+05:302012-05-15T07:12:36.619+05:30ब्लाग-जगत के आपके अनुभव जानना अच्छा लगा .ब्लाग-जगत के आपके अनुभव जानना अच्छा लगा .प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-56605962459789236882012-05-15T05:52:05.739+05:302012-05-15T05:52:05.739+05:30स्वयंभू चेले श्री,
दुनियाँ तो हो ठीक,आगे और गलतिय...स्वयंभू चेले श्री,<br />दुनियाँ तो हो ठीक,आगे और गलतियां बताएं तो ठीक कर ली जायं ! <br />बलि जाऊं इन अखियन को जो इतना बारीक भी देख लेती हैं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-65761638165371700232012-05-14T20:35:20.319+05:302012-05-14T20:35:20.319+05:30बहुत विचारणीय सूत्र...बहुत विचारणीय सूत्र...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-26006614390635108242012-05-14T19:34:14.970+05:302012-05-14T19:34:14.970+05:30उम्मीद पर दुनिया टिकी है. यह आपके आज के चिट्ठे का ...उम्मीद पर दुनिया टिकी है. यह आपके आज के चिट्ठे का स्वर्णवाक्य है.<br /><br />आपका पूरा आलेख पढा. अच्छा लगा. विश्लेषण सही है. <br /><br />चिट्ठाकारी में लगे रहें. आपके पाठकों में एक पुराना पाठाक आज से वापस आ गया है.<br /><br />सस्नेह -- शास्त्री<br /><br />हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है<br />http://www.Sarathi.infoShastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-60527592272712229032012-05-14T17:56:10.401+05:302012-05-14T17:56:10.401+05:30कुछ लोग बिना बोले ही छाप छोडते हैं , बस कपड़े बोलत...कुछ लोग बिना बोले ही छाप छोडते हैं , बस कपड़े बोलते हैंकपड़े पहनना और उनका महत्व समझना सीख ले दस शीश दशाननAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-5028083090628579312012-05-14T17:53:29.852+05:302012-05-14T17:53:29.852+05:30बढ़िया चिंतनपरक निष्कर्ष देखने को मिला..आभारबढ़िया चिंतनपरक निष्कर्ष देखने को मिला..आभारकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-68659969540295104562012-05-14T17:01:40.755+05:302012-05-14T17:01:40.755+05:30'आईये तनिक उदार बनें और दूसरों के बारे में भी ...'आईये तनिक उदार बनें और दूसरों के बारे में भी सोचें ....समाज को जो कुछ दे सकते हैं जरुर दें..... '<br />.. '<br />मन कितना भी असमंजस में हो बस यही तो निष्कर्ष है.<br />शुक्रिया.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-62217746258292585632012-05-14T11:03:57.018+05:302012-05-14T11:03:57.018+05:30शुक्रिया अरविंद जीशुक्रिया अरविंद जीBS Pablahttps://www.blogger.com/profile/06546381666745324207noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-40220376869911336072012-05-14T10:30:29.093+05:302012-05-14T10:30:29.093+05:30aapke atm-avlolkan se iqtaphaq rakhte
hue itna hi ...aapke atm-avlolkan se iqtaphaq rakhte<br />hue itna hi kahna chahoonga ke "sukriya blog-jagat" ...... jo tumne<br />itne vaividhyapoorn vicharik sansar<br />ke "sapt-dhruv" se sat-sang karaya..<br /><br /><br />aapka swikar hamare dil ko karar deta<br />hai....<br /><br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-20767242149450508562012-05-14T09:47:15.052+05:302012-05-14T09:47:15.052+05:30बेवजह की बातों से परे यहाँ एक निष्कर्ष मिला .... ब...बेवजह की बातों से परे यहाँ एक निष्कर्ष मिला .... बहुत अच्छा लगारश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-31051233509670522112012-05-14T09:23:25.091+05:302012-05-14T09:23:25.091+05:30@दुनियाँ' नहीं 'दुनिया'.
ऐसे तो बहुत ...@दुनियाँ' नहीं 'दुनिया'.<br /><br />ऐसे तो बहुत सारी गलतियाँ हैं,भावनाओं को समझो !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-82566123377559559622012-05-14T08:34:45.352+05:302012-05-14T08:34:45.352+05:30आपकी रचना बेहतरीन है। अच्छी रचनाओं को ज़्यादा से ज...आपकी रचना बेहतरीन है। अच्छी रचनाओं को ज़्यादा से ज़्यादा नेट यूज़र्स तक पहुंचाने के लिए उन का ज़िक्र यहां भी किया जाता है-<br />http://blogkikhabren.blogspot.in/2012/05/arvind-mishra.htmlBlog ki khabrenhttps://www.blogger.com/profile/03331660786148880575noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-75353053886742819952012-05-14T00:11:15.912+05:302012-05-14T00:11:15.912+05:30स्व :से मुक्ति का एहम विसर्जन का ज़रिया बने ब्लॉग ...स्व :से मुक्ति का एहम विसर्जन का ज़रिया बने ब्लॉग तो बात बने .बढ़िया चिंतन .खुद के गिरेबान में झांकना अच्छा है .हम तो खुद पकड़ भी लेते हैं हाथ भी ड़ाल देते हैं .बढ़िया विषय मंथन .बधाई .टिके रहो बने रहो .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-19420425024054107682012-05-13T18:32:26.641+05:302012-05-13T18:32:26.641+05:30ये दुनिया भी एक दुनिया ही है जहाँ हर तरह के रंग है...ये दुनिया भी एक दुनिया ही है जहाँ हर तरह के रंग हैं.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-15870122685828576712012-05-13T16:52:24.057+05:302012-05-13T16:52:24.057+05:30'दुनियाँ' नहीं 'दुनिया'.'दुनियाँ' नहीं 'दुनिया'.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-55416678853638136552012-05-13T16:24:00.648+05:302012-05-13T16:24:00.648+05:30अभी टिप्पणी करना बाकी है। करेंगे आराम से। ये पोस्ट...अभी टिप्पणी करना बाकी है। करेंगे आराम से। ये पोस्ट कौनौ लंगोट पुराण वाली पोस्ट की तरह भागी हटने नहीं जा रही है न! <br /><br />आपके एस.एम.एस. के जबाब में अनूप ने लिखा था- <b> व्यंग्यकार दुनिया की विसंगतियां (भी) देखता है।</b>अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-30986023140780094522012-05-13T15:26:28.057+05:302012-05-13T15:26:28.057+05:30सुबह के चार बजे :o ..तभी इतनी सीरियस और खतरनाक पोस...सुबह के चार बजे :o ..तभी इतनी सीरियस और खतरनाक पोस्ट लिखी है :pMonika Jainhttps://www.blogger.com/profile/18206634037142003083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-52593646261569934382012-05-13T14:46:45.085+05:302012-05-13T14:46:45.085+05:30आत्मालोचना के लिए बधाई! यह तो नित्यकर्म होना चाहिए...आत्मालोचना के लिए बधाई! यह तो नित्यकर्म होना चाहिए। व्यक्ति कभी संपूर्ण नहीं होता लेकिन उस ओर गति तो कर ही सकता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-244880832133452122012-05-13T14:10:50.457+05:302012-05-13T14:10:50.457+05:30तुम्हारे स्पष्ट व्यक्तित्व से प्रभावित हूँ यार..
...<b>तुम्हारे स्पष्ट व्यक्तित्व से प्रभावित हूँ यार..<br /><br />आज के समय में, बिना जग की परवाह किये अपने विचार जाहिर करना, मूर्खों और संकुचित मन के लोगों में हलचल मचाकर, अपने खिलाफ गिरोह बनवाने जैसा प्रयास है !<br /><br />हमें इनकी कद्र करनी चाहिए अरविन्द :)<br /><br />दुनिया में अपनी कद्र करवाने के लिए, महत्वपूर्ण लोगों को भी, भीड़ का आदर करना पड़ा ...<br /><br />लोकतंत्र की कद्र करते हुए, शांत रहा करो दोस्त ...<br /><br />कई बार भीड़ की बातें सही मानी जाती है और चुनाव के समय वोट भी भीड़ को देना है :)<br /><br />मजबूत यार दोस्त भी, भीड़ से घिरे समय में बचाने नहीं आयेंगे ..<br /><br />सबको लोकलाज की चिंता है या दूसरे शब्दों में कहा जाए कि हिजड़े हैं ....<br /><br />शुभ कामनाएं ! </b>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-1675045161042714682012-05-13T14:00:28.566+05:302012-05-13T14:00:28.566+05:30सुबह की गहन सोच यूँ लिखी गयी ..यह भी एक रंगमंच सी...सुबह की गहन सोच यूँ लिखी गयी ..यह भी एक रंगमंच सी दुनिया लगती है डाक्टर साहब ..चलने दीजिये इस को यूँ ही :)रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-23860984795575539922012-05-13T13:59:04.845+05:302012-05-13T13:59:04.845+05:30जीवन भर हम कुछ न कुछ सीखते रहते हैं , ब्लॉग यात्रा...जीवन भर हम कुछ न कुछ सीखते रहते हैं , ब्लॉग यात्रा भी ऐसी ही है !<br />साभार अली जी --दूसरों के बारे में सोचिये / उदार होइए किन्तु उनके बदलने / ना बदलने का हक़ उनके पास ही रहने दीजिए!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-22257058050336309442012-05-13T13:58:00.730+05:302012-05-13T13:58:00.730+05:30निस्संदेह यहाँ से बहुत कुछ पाया है बहुत कुछ सीखा ह...<b><br />निस्संदेह यहाँ से बहुत कुछ पाया है बहुत कुछ सीखा है...<br /><br />जहाँ एक और एक से एक घटिया लोग, बेवजह गालियाँ देते पाए जाते हैं वहीँ एक और वास्तविक तपस्वी जैसे गुरु, यहाँ शांत चित्त बैठे नज़र आते हैं ! पहचानना न पहचानना अपनी ही नज़रों में कमी माननी चाहिए !<br /><br />वैचारिक टकराव खासतौर पर दो अहंकारियों के मध्य स्वाभाविक है ...<br /><br />अहम् तुष्टि और अपने आपको विद्वान समझने की भूल अक्सर मनमुटाव का कारण बन जाती है !<br /><br />यहाँ अधिकतर लोग एक दूसरे को ध्यान से नहीं पढ़ते, केवल सरसरी निगाह से उसके बारे में अंदाज़ कर अपने ज्ञान को बढ़ा लेते हैं ! उद्देश्य अक्सर अपने आपको पढवाना होता है ! <br /><br />यहाँ अधिकतर, सामने वाले को घटिया मानसिकता लिए इंसान माना जाता है !इस मानसिकता के साथ बाकी व्यवहार का रास्ता अपने आप प्रशस्त हो जाता है ! <br /><br />जहां तक आपका सवाल है, स्पष्ट व्यक्तित्व और बड़े जीवट की हस्ती हो !<br /><br />नारियों के बारे में व्यक्तिगत ख़यालात बनाना और उन्हें जाहिर करना, चाहें वे सही ही क्यों न हों, मैं उचित नहीं समझता! <br /><br />उनकी अपनी विशिष्ट सामजिक स्थिति और व्यवहार के कारण भी यह अनुचित है ! मैं यह भी मानता हूँ कि नारियों की समाज में स्थिति, ख़राब होने की जिम्मेदारी, हमारी अधिक बनती है !<br /><br />हमें अर्धनारीश्वर पर और जानकारी लेनी होगी !<br /><br />हमें याद रखना होगा कि लेखन अमर है और आने वाले समय में हमारी पीढियां इसे पढ़ेंगी और हमारे बारे में अनुमान भी लगाएंगी !<br />सादर </b>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.com