tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post8750444425603234964..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: असीम त्रिवेदी के चर्चित कार्टून पर एक काव्य प्रतिक्रिया Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-17573700687895642862012-09-20T11:58:07.972+05:302012-09-20T11:58:07.972+05:30आम जनता की भावनाओं की सटीक अभिव्यक्ति...आम जनता की भावनाओं की सटीक अभिव्यक्ति...अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-30627589335769728362012-09-15T21:54:51.022+05:302012-09-15T21:54:51.022+05:30असीम जी ने सही चित्र दर्शाया है हमारे नेताओं का जि...असीम जी ने सही चित्र दर्शाया है हमारे नेताओं का जिनका प्रतीक है यह भेडिया स्तंभ ।<br /><br />राजेन्द्र जी की कविता बहुत सुंदर लगी जो आज भी उतनी ही सच है । <br /><br />महाभारती का महाघोष भारत <br />करो या मरो मन्त्र लो फिर से भारत <br /><br />लेना होगा ये मंत्र अगर भारत को बचाना है ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-76123344858144181882012-09-14T20:27:11.955+05:302012-09-14T20:27:11.955+05:30@अरुण प्रकाश जी ,
चित्रकार ने सारनाथ म्यूजियम में ...@अरुण प्रकाश जी ,<br />चित्रकार ने सारनाथ म्यूजियम में रखे अशोक स्तम्भ को दूषित /कलंकित नहीं किया है ...<br />उसका अभिप्राय प्रतीकात्मक है -मूल राष्ट्रीय चिह्न को अपमानित करने का नहीं ! <br />वह तो अपनी कृति के माध्यम से यही दिखाना चाहता है कि कमीनों ने मूल राष्ट्रीय चिह्न <br />के पवित्र भाव-गरिमा को ही बदल दी है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-41103882177152911402012-09-14T07:06:35.675+05:302012-09-14T07:06:35.675+05:30जिन राष्ट्र प्रतीकों के प्रयोग खास तौर से निजी प्र...जिन राष्ट्र प्रतीकों के प्रयोग खास तौर से निजी प्रयोग पर भी कुछ पाबंदिया लगी है उसका इतना भोंडा व भद्दा प्रदर्शन तथा उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का नाम देना कहा की आजादी है आपको नेताओं से चिढ हो सकती है आप उसकी आलोचना में व्यक्तिगत रूप से कुछ भी कह सकते है लेकिन कार्टूनों में संविधान के प्रतीकों का इस प्रकार तिरस्कार व उपहास मुझे तो आक्रोशित करता है एक तरफ आप संसद को टायलट व अशोक चिन्ह को भेड़िये के रूप में दिखाते है दूसरी ओर विरोध के लिए राष्ट्रीय झन्डे व वन्दे मातरम का नारा लगते है कुछ दिन बाद ऐसे ही कार्टूनिस्ट झंडे को किसी नेता के घर डायपर के रूप में सूखता हुआ दिखा सकते है यह कौन सी देशभक्ति है याद करे की जिस संवैधानिक आजादी की दुहाई दे कर आप आजादी की मांग कर रहे है उसी के प्रतीकों का आप इतना असम्मान कर रहे है तथा सरकार से सहनशीलता का रूख की अपेक्षा करते है<br /> यदि यही कार्टून पाकिस्तानी बनाते या मकबूल फ़िदा हुसैन बनाते तो क्या हम ऐसे ही छोड़ देते आखिर कौन सी भारत माता का जीवित पात्र हमारे मन में है जिसे अपमानित करने की इतनी आलोचना हुई थी<br /> असीम व ऐसे सिरफिरे कुंठित मानसिकता वाले लोगो को इलाज कराना चाहिए आपको नेताओं से निराशा हो सकती है लेकिन ये प्रतीक नेताओं के नही है इतनी मर्यादा तो होनी चाहिए arun prakashhttps://www.blogger.com/profile/11575067283732765247noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-82705602584821411302012-09-13T21:25:08.082+05:302012-09-13T21:25:08.082+05:30Pradeep ने कहा…
ये सछ है कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य म... Pradeep ने कहा…<br />ये सछ है कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रतीकों के अर्थ बदल गए है ... असीम कि वेदना भी सहज है और अभिव्यक्ति भी ...<br />परन्तु इसका ये अर्थ कदापि नहीं कि ये प्रतीक अब बदले जाने चाहिए .. करना ये है कि जिन मान्यताओं में विश्वास करके इन प्रतीकों को गौरव माना गया था ... उन मान्यताओं को पुनर्स्थापित किया जाए ... <br />हमारे झंडे का सफ़ेद रंग "शान्ति" का सन्देश देता है .. तो क्या देश में अशांति होने पर उसे "काला" कर दिया जायेगा ?<br />हमें तो सफ़ेद का ही मान रखना है ..<br /><br />"देश" गन्दी राजनीति और राजनेताओं से कहीं बढ़कर है ... प्रदीप जी !दुष्यंत कुमार बहुत पहले कह गए थे -<br />अब तो इस तालाब का पानी बदल दो ,<br />सब कमल के फूल मुरझाने लगें हैं ,<br />सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं ,<br />लेकिन ये सूरत -<br />बदलनी चाहिए !<br />कुछ भी तो नहीं बदला दोस्त .सब कुछ तो गंधाने लगा है .कौन से प्रतीकों की बात कर रहे हो .कोयले की बात करो ,स्विस बैंक की बात करो ,पिज्ज़ा ,पास्ता की बात करो ,सुलतान ही रिमोटिया हो गए यहाँ तो .<br /><br />और इन प्रतीकों को खुद सुलातान ही बदल रहें हैं -अशोक की लाट की तीन शेर अब रंगे श्यार हो गएँ हैं -राहुल -चिदम्बरम -तीसरे सियार को कार्टून में पहचान नहीं पाए ,देश की तरह हमारी भी बीनाई कमज़ोर हैं .देखें यह कार्टून "दैनिक जागरण में ",जहां असीम के तीन भेड़िये राहुल ,पी सी चिदम्बरम इक और युवा हो गएँ हैं ....धन्य है वोटिस्तान.virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-64630825379720022502012-09-13T21:12:23.646+05:302012-09-13T21:12:23.646+05:30शहीदों ने जिसके लिए व्रत लिया था
कहाँ है वह भारत ...शहीदों ने जिसके लिए व्रत लिया था <br />कहाँ है वह भारत जो सोचा गया था <br />जितने हैं मक्कार गद्दार पाजी <br />हुए हैं विधाता बने हैं वे काजी<br /><br />असीम जी के मनोभावों का स्पन्दन /क्रन्दन लगता है पिता श्री ने पहले ही देख लिया था .यही तो है पिता पुत्र की अलिखित ,गैर -जैविक मौखिक परम्परा ,पिता पुत्र दोनों ही भारत धर्मी समाज के मान्य अधिष्ठाता हैं एक काल शेष हैं ,अवचेतन में आगएं हैं हमारे और दूसरे असीमजी काल की सवारी कर रहें हैं .<br />पिता श्री की रचना पढवा कर उपकृत किया ,जड़ों का एहसास करवाया भारत धर्मी समाज की .पुन्य स्मरण परम पूज्य राजेन्द्र मिश्र जी का .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-11759821373761363542012-09-13T20:49:00.187+05:302012-09-13T20:49:00.187+05:30तब लिखी और अब भी सामयिक ....|तब लिखी और अब भी सामयिक ....|amit kumar srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-57352449603020915412012-09-13T18:29:32.207+05:302012-09-13T18:29:32.207+05:30आज के हालात को शब्दों में उतारा है ... बहुत ही प्र...आज के हालात को शब्दों में उतारा है ... बहुत ही प्रभावी रचना ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-42535172644467091742012-09-13T10:02:49.050+05:302012-09-13T10:02:49.050+05:30पूज्यनीय पिताजी को ह्रदय से प्रणाम , उनकी हाहाकारी...पूज्यनीय पिताजी को ह्रदय से प्रणाम , उनकी हाहाकारी कविता के लिए क्या कहा जाए ..बस ..आज का ऐसा कुरूप सच देखते तो वे और कितनी कविता कहते ..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-89058722911211452412012-09-13T08:42:53.613+05:302012-09-13T08:42:53.613+05:30देश में सारी समस्याएँ हो गयी है नासूर -सी !
कई बा...देश में सारी समस्याएँ हो गयी है नासूर -सी !<br />कई बार पुरानी रचनाओं को पढ़कर तो यही लगता है यही होता रहा है , होता रहेगा !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-15480575391637714632012-09-13T08:30:17.071+05:302012-09-13T08:30:17.071+05:30kamaal ki baat hai....ye politician desh ki aisi t...kamaal ki baat hai....ye politician desh ki aisi taisi maarne mein lage hain to kuch nahee....agar kisi ne kuch bana diyaa ya keh diya to sabko mirchi lag jaatee hain.....सुरेन्द्र "मुल्हिद"https://www.blogger.com/profile/00509168515861229579noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-75225403054905800902012-09-13T07:51:56.739+05:302012-09-13T07:51:56.739+05:30संत्रास का समय अवश्य है पर सुबह होगीसंत्रास का समय अवश्य है पर सुबह होगीKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-51104735829215164532012-09-12T23:33:19.488+05:302012-09-12T23:33:19.488+05:30आज यह कविता ज्यादा ही प्रासांगिक लग रही है .... ज...आज यह कविता ज्यादा ही प्रासांगिक लग रही है .... जब यह लिखी गयी होगी तब शायद देश की हालत इतनी खराब नहीं रही होगी .... आज तो बद से बदतर हाल हो गए हैं .... संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-56289761230682852252012-09-12T21:05:36.916+05:302012-09-12T21:05:36.916+05:30जोरदार कविता के माध्यम से आपने इस विषय पर अपनी स्प...जोरदार कविता के माध्यम से आपने इस विषय पर अपनी स्पष्ट प्रतिक्रिया दी है। पोस्ट से सहमत। <br /><br />हमे व्यंग्यकारों, कार्टूनिस्टों को इस दृष्टि से जरूर देखना चाहिए कि आखिर इन्होने भारतीय होकर ऐसा क्यों लिखा? क्यों बनाया ? उनके अभिप्राय को समझने के बजाय हम उन्हें गलत सिद्ध करने लग जांय तो यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मजाक ही होगा। देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-61539777373790665692012-09-12T20:22:05.714+05:302012-09-12T20:22:05.714+05:30आज व्यग्र हो युवा भागता,
मन में तप्त गुबार जागता।आज व्यग्र हो युवा भागता,<br />मन में तप्त गुबार जागता।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-54186302258322423682012-09-12T17:24:16.299+05:302012-09-12T17:24:16.299+05:30एक खुबसूरत अभिव्यक्ति जो सत्य को उजागर कराती एक खुबसूरत अभिव्यक्ति जो सत्य को उजागर कराती Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-17804102727420610372012-09-12T14:21:25.602+05:302012-09-12T14:21:25.602+05:30कविता बहुत बढ़िया और सटीक है.कविता बहुत बढ़िया और सटीक है.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-68129470386213721932012-09-12T13:45:04.732+05:302012-09-12T13:45:04.732+05:30यह रचना आपके पिताश्री का देश के प्रति कितना प्रेम ...यह रचना आपके पिताश्री का देश के प्रति कितना प्रेम है,उनके अनन्य प्रेम को दर्शाती है,,,,<br /><br />बहुत बेहतरीन रचना,,,<br />RECENT POST <a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/09/blog-post_9.html#links" rel="nofollow">-मेरे सपनो का भारत</a> धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-33405114191577608342012-09-12T13:03:09.829+05:302012-09-12T13:03:09.829+05:30ये सछ है कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रतीकों के अ...ये सछ है कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रतीकों के अर्थ बदल गए है ... असीम कि वेदना भी सहज है और अभिव्यक्ति भी ...<br />परन्तु इसका ये अर्थ कदापि नहीं कि ये प्रतीक अब बदले जाने चाहिए .. करना ये है कि जिन मान्यताओं में विश्वास करके इन प्रतीकों को गौरव माना गया था ... उन मान्यताओं को पुनर्स्थापित किया जाए ... <br />हमारे झंडे का सफ़ेद रंग "शान्ति" का सन्देश देता है .. तो क्या देश में अशांति होने पर उसे "काला" कर दिया जायेगा ?<br />हमें तो सफ़ेद का ही मान रखना है ..<br />"देश" गन्दी राजनीति और राजनेताओं से कहीं बढ़कर है ...Pradeephttps://www.blogger.com/profile/11889016060575376117noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-16230286924636007332012-09-12T11:51:39.654+05:302012-09-12T11:51:39.654+05:30बेहद सुन्दर रचना. वास्तव में अब तो पराकाष्टा ही हो...बेहद सुन्दर रचना. वास्तव में अब तो पराकाष्टा ही हो गयी है.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-20231711069959985522012-09-12T11:47:00.778+05:302012-09-12T11:47:00.778+05:30बहुत सही कविता है ...सब वैसा का वैसा है ..वाकई बहुत सही कविता है ...सब वैसा का वैसा है ..वाकई रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-9823759629685350882012-09-12T11:06:00.202+05:302012-09-12T11:06:00.202+05:30...तब से लेकर अब तक कुछ भी तो नहीं बदला !
आपके पि......तब से लेकर अब तक कुछ भी तो नहीं बदला !<br /><br />आपके पिताजी की यह कविता देश के प्रति उनके अनन्य प्रेम को ही दर्शाती है !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-30372192620838399062012-09-12T10:24:08.277+05:302012-09-12T10:24:08.277+05:30कविता बहुत बढ़िया लगी !!!! कविता बहुत बढ़िया लगी !!!! देवांशु निगमhttps://www.blogger.com/profile/16694228440801501650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-23002656470836404882012-09-12T10:14:39.420+05:302012-09-12T10:14:39.420+05:30ab dekhiye ghatnayen kaise apki samvedna ko jaga d...ab dekhiye ghatnayen kaise apki samvedna ko jaga diya aur kavya <br />likhba diya......<br /><br />bakiya duniya dekh hi rahe hai....lagta ab kuch bhi nahi badlnewala....<br /><br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-20037245803828005572012-09-12T09:55:37.339+05:302012-09-12T09:55:37.339+05:30आप ने अपनी बात कला के सहारे कह दी है।आप ने अपनी बात कला के सहारे कह दी है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com