tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post8437702401173779275..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: लिंगार्चन -उदगम से उत्स तक (३)Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-89233707381377431562009-08-16T11:27:59.115+05:302009-08-16T11:27:59.115+05:30सुंदर और जानकारी से भरी लेखमाला के लिए आभार।सुंदर और जानकारी से भरी लेखमाला के लिए आभार।बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणhttps://www.blogger.com/profile/09013592588359905805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-89656694132068176292009-03-16T13:00:00.000+05:302009-03-16T13:00:00.000+05:30शुक्रिया अनिता जी ,इधर भयंकर व्यस्तता के चलते नेट ...शुक्रिया अनिता जी ,<BR/>इधर भयंकर व्यस्तता के चलते नेट उपयोग की अवधि कम हो गयी है -बहुत आभार आपने समय निकाल कर मेरे परिश्रम से तैयार शोध लेख को पढा -एक अकादमिक रुचि के व्यक्ति (त्व -'ब्रेन ' ) से परिचय के यही फायदे हैं आपका रचना कर्म पीयर रिव्यूड भी हो जाता है ! <BR/>आपकी हिदी बहुत अच्छी है अतः इसे लेकर किसी तरह का बोध न पाले ! जहां तक आपके बलात्कार के सम्बन्ध में पृच्छा है तो लगता है कि इसके मूल में आक्रामकता ही अधिक है न कि यौन भावना /वासना ! यह अपमान या उपेक्षा के शमन की एक अभिव्यक्ति भी हो सकती है ! मकसद नीचा दिखाना ही है .पर यह निश्चित तौर पर एक असहज और असामानय व्यवहार ही है ! <BR/>हम इस पर आगे भी चर्चा कर सकते हैं -मनोवैज्ञानिक क्या कहते हैं ? आप का क्या मानना है ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-10142133362310402622009-03-16T01:01:00.000+05:302009-03-16T01:01:00.000+05:30लिंग की पूजा से जुड़े तीनों लेख पढ़े, काफ़ी कुछ नया ज...लिंग की पूजा से जुड़े तीनों लेख पढ़े, काफ़ी कुछ नया जानने को मिला, जैसे लिंग के प्रतीकों की पूजा। हम इसे विकासात्मक मनोविज्ञान से जोड़ कर देख रहे हैं। विकासात्मक मनोविज्ञान के मूल में है कि संसार में हर जीवित प्राणी, जीव जन्तु, वनस्पति सिर्फ़ एक ही मकसद से पैदा होती है और वो है अपनी नस्ल को आगे बड़ाना, स्वभाविक है कि क्या बन्दर और क्या हम सभी अवचेतन रूप से इसी प्रिंसिपल से प्रेरित हो काम करते हैं और लिंग पूजा भी इसी प्रिंसिपल को मानने का एक तरीका है। <BR/>एक और बात जो मन में उठी वो ये कि आप ने कहा कि क्रोध दिखाने का एक तरीका था/है कि विरोधी के मुंह के सामने लिंग प्रदर्शन। हम सब जानते हैं कि ब्लातकार ताकत दिखाने का एक जरिया है तो क्या ब्लातकार भी इसी प्रिंसिपल से प्रेरित है?…।<BR/>माफ़ किजिएगा मेरी हिन्दी बहुत अच्छी नहीं है और सोच अक्सर अंग्रेजी में या कहूं हिन्गलिश में हो जाती है।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-13497331085620508512009-02-27T08:14:00.000+05:302009-02-27T08:14:00.000+05:30आपने तो पूरा वातावरण ही लिंगमय कर दिया है पति के व...आपने तो पूरा वातावरण ही लिंगमय कर दिया है पति के व्रत आदि में दूसरे दिन ब्राह्मणों को दान आदि में ऐसे ही लिंगमय रूपको वाली वस्तुओं के दान की महिमा शास्त्रों में बताई गयी है वस्तुतः मेरे मत से सृजन की श्रंखला बनाये रखने की दृष्टि से लिंग की supermacy बनाने हेतु पुरुष प्रधान समाज ने इस प्रकार के लिंगोद्द्रेक वस्तुओं की महानता को रूपायित करना प्राम्भ कर दिया होगा कुछ लोगों ने तंत्र के नाम पर विपरीत लिंग यानि योनी पूजा को पञ्च मार्ग साधना में अपनाया होगा <BR/> आपके लिंगात्मक evolution शोध के जज्बे को सलामarun prakashhttps://www.blogger.com/profile/11575067283732765247noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-58549071460360160882009-02-26T21:01:00.000+05:302009-02-26T21:01:00.000+05:30पूर्वान्चल में शिव और पार्वती से जुड़ी लोक कथाओं मे...पूर्वान्चल में शिव और पार्वती से जुड़ी लोक कथाओं में लाल कन्द की अपनी विशेष भूमिका है। स्त्रियों के प्रमुख त्यौहारों में लाल प्रजाति के कन्द को विधिवत् पूजा जाता है। भाद्र कृष्ण पक्ष में स्त्रियों का एक प्रमुख त्यौहार हलषष्ठी (ललही छठ) होता है, जिसमें स्त्रियाँ लाल कन्द को पूजती हैं, शिव पार्वती को लक्ष्य कर छह कहानियाँ मनोयोग से कही सुनी जाती हैं, जिसमें लाल कन्द ``लिंगरूप´´ में विर्णत होता है..... <BR/><BR/>purvanchal ki acchi jankari di aapne...aabhar...!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-88034494875482961772009-02-26T20:29:00.000+05:302009-02-26T20:29:00.000+05:30बहुत ही ज्ञानवर्धक सामग्री प्रस्तुत कर रहें हैं आप...बहुत ही ज्ञानवर्धक सामग्री प्रस्तुत कर रहें हैं आप...........आभारPt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-46141026402942501732009-02-26T12:26:00.000+05:302009-02-26T12:26:00.000+05:30बेहतरीन जानकारी,,,,,,आगे भी हमारा मार्गदर्शन करते ...बेहतरीन जानकारी,,,,,,आगे भी हमारा मार्गदर्शन करते रहे...अखिलेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/10903139488056600196noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-15395604356924029762009-02-24T18:27:00.000+05:302009-02-24T18:27:00.000+05:30पाषाण काल के महापाषाण भी 'लिंग' के ही प्रतिक थे. इ...पाषाण काल के महापाषाण भी 'लिंग' के ही प्रतिक थे. इनमें एक मेरी तस्वीर के साथ भी है.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-37899789346248838352009-02-24T17:04:00.000+05:302009-02-24T17:04:00.000+05:30आपकी पोस्ट लीक से हट कर सोचने का नजरिया देती है। प...आपकी पोस्ट लीक से हट कर सोचने का नजरिया देती है। प्रशंसनीय।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-67986987871929526152009-02-24T16:09:00.000+05:302009-02-24T16:09:00.000+05:30वैज्ञानिक द़ष्टिकोण के आधार पर लिंग पूजा का विवेचन...वैज्ञानिक द़ष्टिकोण के आधार पर लिंग पूजा का विवेचन प्रशंसनीय है। इस पुराने आलेख को पाठकों तक लाने हेतु हार्दिक आभार।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-34071558760055849982009-02-24T01:15:00.000+05:302009-02-24T01:15:00.000+05:30बहुत ही जानकारी भरा लेख .कई नई बातों के बारे में म...बहुत ही जानकारी भरा लेख .<BR/>कई नई बातों के बारे में मालूम हुआ.<BR/><BR/>धन्यवाद.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-69504695537383802992009-02-23T13:18:00.000+05:302009-02-23T13:18:00.000+05:30रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी ..शुक्रियारोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी ..शुक्रियारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-41663869701616740052009-02-23T12:18:00.000+05:302009-02-23T12:18:00.000+05:30"वैज्ञानिक धरातल पर शिवपुराण का यह कथन कि पूरा जगत..."वैज्ञानिक धरातल पर शिवपुराण का यह कथन कि पूरा जगत ही लिंगमय है." बिलकुल सही. सच कहा आपने और साबित कर दिया आपने कि तीन लोक से न्यारी काशी के ही रहने वाले हैं. मुझे बाबा के लिंगार्चन की एक वजह यह भी लगती है कि उन्होने समूचे ब्रह्मान्ड की सारी दुनियादारी को हमेशा अपने अहर्निश उत्थित लिंग पर ही रखा. बोलिए : हर-हर-महादेव.........इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-13125544236266842482009-02-23T11:30:00.000+05:302009-02-23T11:30:00.000+05:30फिल्म दिल्ली 6 में तो निर्देशक राकेश मेहरा ने इसे ...फिल्म दिल्ली 6 में तो निर्देशक राकेश मेहरा ने इसे एक रॉकेट के रूप में दिखाया है.. हालाँकि ये दृश्य होली वुड की फिल्म से प्रेरित है.. जिसमे संभोग की पूरी प्रक्रिया को विभिन्न प्रतीको द्वारा दिखाया है.. <BR/><BR/>आपकी इस लेख शृंखला से कई बाते पता चली.. आशा है इसी प्रकार कई ज्ञान वर्धक लेख आपके द्वारा मिलते रहेंगे... आभारकुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-39209650283831708152009-02-23T11:12:00.000+05:302009-02-23T11:12:00.000+05:30सटीक और ज्ञानवर्धक !सटीक और ज्ञानवर्धक !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-15266384915888670052009-02-22T23:30:00.000+05:302009-02-22T23:30:00.000+05:30लिंग-पूजा का सम्बन्ध शक्ति के सम्मुख नतमस्तक होने ...लिंग-पूजा का सम्बन्ध शक्ति के सम्मुख नतमस्तक होने से तो है ही ,लिंग के साथ योनि-पूजा सृजन की शक्ति का सम्मान करना भी है.हमारे देश में शैव तथा शाक्त सम्प्रदाय में लिंग और योनि की पूजा होती है तथा इन्हीं संप्रदायों में मातृशक्ति की पूजा का प्रचलन भी है .यदि हम लिंगपूजा के विषय में बात करते हैं तो योनि को प्रायः उपेक्षित कर देते हैं .muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-63219783498511021102009-02-22T23:01:00.000+05:302009-02-22T23:01:00.000+05:30लिंगपूजा को दुनिया भर के धर्मों में अलग-अलग तरीके ...लिंगपूजा को दुनिया भर के धर्मों में अलग-अलग तरीके से स्थान दिया गया है तो इसका तात्पर्य यही है कि प्रजनन की प्रक्रिया इस धरा धाम पर जीवन के आविर्भाव के मूल में निहित है जिसके बिना यह सृष्टि अस्तित्व में ही नहीं आने वाली थी।<BR/><BR/>आपकी यह लेखमाला बहुत ही उपयोगी संग्रहणीय है।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-41508755464820914802009-02-22T19:13:00.000+05:302009-02-22T19:13:00.000+05:30ज्ञानवर्धक लेख है । आपकी लेखन शैली बहुत ही शालीन व...ज्ञानवर्धक लेख है । आपकी लेखन शैली बहुत ही शालीन व उत्क्र्ष्ट है। धन्यवाद इस अच्छे लेख के लिये ।naresh singhhttps://www.blogger.com/profile/16460492291809743569noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-51746466162801587302009-02-22T16:25:00.000+05:302009-02-22T16:25:00.000+05:30बहुत ही अच्छी जानकारी मिली.धन्यवादबहुत ही अच्छी जानकारी मिली.<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-661510193524315492009-02-22T13:42:00.000+05:302009-02-22T13:42:00.000+05:30लिंग उर्जा का प्रतीक है। हमारे परमाणू संयत्र का आक...लिंग उर्जा का प्रतीक है। हमारे परमाणू संयत्र का आकार लिंग की आकृति का ही है। इस पर जल चढाते है और ऐटमी प्रोसेस में हेवी वाटर का प्रयोग होता है। क्या हम इनको इस प्रक्रिया से जोड कर कुछ समझ सकते है। अधिक कहने पर लोग इसे धर्म से जोड कर देखने लग जाएंगे। इसलिए.....:)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-8801148110982047512009-02-22T10:26:00.000+05:302009-02-22T10:26:00.000+05:30अद्भुत्।हर-हर महादेव्।अद्भुत्।हर-हर महादेव्।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-16548220960629296972009-02-22T10:06:00.000+05:302009-02-22T10:06:00.000+05:30शिवरात्रि के ठीक पहले इस आलेख का समापन लिंग-पूजा ...शिवरात्रि के ठीक पहले इस आलेख का समापन लिंग-पूजा के प्रति हमारे दृष्टिकोण को व्यापक बनायेगा. <BR/>महाशिवरात्रि की शुभकामनायें .Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-52514231286890952912009-02-22T09:50:00.000+05:302009-02-22T09:50:00.000+05:30निहायत ही सुंदर और उपयोगी जानकारी.रामराम.निहायत ही सुंदर और उपयोगी जानकारी.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-46681086009767826052009-02-22T09:19:00.000+05:302009-02-22T09:19:00.000+05:30इस प्रकार की जानकारी सामान्य तौर पर पढने को नही मि...इस प्रकार की जानकारी सामान्य तौर पर पढने को नही मिलती, धन्यवाद इस ज्ञानवर्धक लेख के लिए।इंडियनhttps://www.blogger.com/profile/16782550787193451197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-71355970390798572232009-02-22T08:48:00.000+05:302009-02-22T08:48:00.000+05:30ज्ञानवर्धक लेख. आप ने लकुलीश की मूर्ति कहीं देखी ...ज्ञानवर्धक लेख. आप ने लकुलीश की मूर्ति कहीं देखी होगी. कुछ मूर्तियों में वक्ष स्थल पर लिंग को प्रर्दशित किया गया है. इसका क्या उद्देश्य रहा होगा. आभार.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.com