tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post8079505233210659443..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: एक कनफेसन !Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-86669610673317147072008-11-25T18:08:00.000+05:302008-11-25T18:08:00.000+05:30जिन पाठकों की श्रद्धा है आपमें ,उन्हें क्यों बंचित...जिन पाठकों की श्रद्धा है आपमें ,उन्हें क्यों बंचित कर रहे हैं /BrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-1774284052615203882008-11-25T12:01:00.000+05:302008-11-25T12:01:00.000+05:30यह खुशी की बात है कि आपकी इस बात को ब्लॉगरों ने द...यह खुशी की बात है कि आपकी इस बात को ब्लॉगरों ने दिल पर लिया और खुले मन से प्रतिक्रिया व्यक्त की। मेरी राय में भी बुझे मन से ही सही, इस सीरीज को चालू रखिए। इसी बहाने इस विषय पर वैज्ञानिक सामग्री तो तैयार हो ही रही है।adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-86546305746174105942008-11-24T15:33:00.000+05:302008-11-24T15:33:00.000+05:30सर जी ! हताश ना हो ! आप तो स्वयम दूसरो के संबल हैं...सर जी ! हताश ना हो ! आप तो स्वयम दूसरो के संबल हैं ! आपके पीछे पीछे तो हम हैं ! धन्यवाद !भूतनाथhttps://www.blogger.com/profile/08246888424952274172noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-35375457544695917022008-11-24T10:05:00.000+05:302008-11-24T10:05:00.000+05:30मुझे विक्रम से बचपन के चन्दामामा के दिनों से बहुत ...मुझे विक्रम से बचपन के चन्दामामा के दिनों से बहुत सहानुभूति रही है । आपका ब्लॉग है, फुरसत से जब मन करे लिखिए, जो मन करे लिखें । परन्तु टिप्पणी करने वाले भी जैसी उन्हें ठीक लगेगी करेंगे ही क्योंकि विषय* विवादास्पद है। आपको न पसन्द आए तो हटा सकते हैं । यही तो ब्लॉगजगत का लोकतंत्र है ।<BR/>परन्तु मुझे याद है कि चन्दामामा में कहानी की पहली पंक्ति ही यह थी, 'विक्रमार्क(विक्रमादित्य ?)ने हठ ना छोड़ा। '<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-81022581669673802312008-11-24T10:03:00.000+05:302008-11-24T10:03:00.000+05:30मुझे विक्रम से बचपन के चन्दामामा के दिनों से बहुत ...मुझे विक्रम से बचपन के चन्दामामा के दिनों से बहुत सहानुभूति रही है । आपका ब्लॉग है, फुरसत से जब मन करे लिखिए, जो मन करे लिखें । परन्तु टिप्पणी करने वाले भी जैसी उन्हें ठीक लगेगी करेंगे ही क्योंकि विएय विवादास्पद है। आपको न पसन्द आए तो हटा सकते हैं । यही तो ब्लॉगजगत का लोकतंत्र है ।<BR/>परन्तु मुझे याद है कि चन्दामामा में कहानी की पहली पंक्ति ही यह थी, 'विक्रमार्क(विक्रमादित्य ?)ने हठ ना छोड़ा। '<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-82153275184421682042008-11-23T23:43:00.000+05:302008-11-23T23:43:00.000+05:30ये तो बड़ी गड़बड़ हो गई:-)जो कुछ लिखने लगा था, देख...ये तो बड़ी गड़बड़ हो गई:-)<BR/>जो कुछ लिखने लगा था, देखा उसे तो विवेक सिंह लिख चुके।<BR/><BR/>चलिए, अब कहे देता हूँ कि जो मज़ा देने में है वह लेने में नहीं (संदर्भ:टेंशन)बलबिन्दरhttps://www.blogger.com/profile/17445621491372314409noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-82435009880632363842008-11-23T22:36:00.000+05:302008-11-23T22:36:00.000+05:30टेंशन लेने का नहीं, देने का !टेंशन लेने का नहीं, देने का !विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-79894214782714564372008-11-23T21:41:00.000+05:302008-11-23T21:41:00.000+05:30मन को भारी न करें। मौज से रहें और मस्ती में लिखें...मन को भारी न करें। मौज से रहें और मस्ती में लिखें। बिना टंकी पर चढ़े ब्लॉगिंग करते रहने के लिए यह फुरसतिया नुस्खा बड़े काम की चीज है। साईब्लॉग पर लिखने के लिए विज्ञान संबंधी विषयों का अथाह संसार है, और आप इस कार्य के लिए सर्वश्रेष्ठ भी हैं।Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-32121028075674869852008-11-23T21:38:00.000+05:302008-11-23T21:38:00.000+05:30मिश्राजी आप कि व्यथा उचित है, अरे हम जेसे तो बस म...मिश्राजी आप कि व्यथा उचित है, अरे हम जेसे तो बस मजाक मै ही इधर उधर से कुछ मिला साथ मे अपने विचार जोडे ओर लिख दिया,लेकिन आप के सभी लेखो से बहुत ही ग्यान की बाते मिलती है, इस लिये रुकिये मत किसी के कहने से, बस लिखते रहिये,हां जिसे एतराज है ना पढे, हम भी तो कई लोगो के ब्लांग पर नही जाते,क्योकि हमे उन के विचार अच्छे नही लगते, लेकिन हम उन्हे रोकते भी नही, ओर विरोध भी नही करते.<BR/> धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-30713601684537661442008-11-23T21:08:00.000+05:302008-11-23T21:08:00.000+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-72448451392909342712008-11-23T21:03:00.000+05:302008-11-23T21:03:00.000+05:30अरविन्द जी कन्फेसन किससे कर रहे हैं ..नही लिखना तो...अरविन्द जी कन्फेसन किससे कर रहे हैं ..नही लिखना तो रहने दीजिये..आपकी तरह सोंच कर मैंने भी एच टी एम् एल सीरिज बंद कर दी थी.L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-37098545369278558352008-11-23T16:37:00.000+05:302008-11-23T16:37:00.000+05:30दुखी होने की जरूरत नहीं है। मन से किए गए काम का कभ...दुखी होने की जरूरत नहीं है। मन से किए गए काम का कभी तो मूल्यांकन होगा ही।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-81244041227056786132008-11-23T15:50:00.000+05:302008-11-23T15:50:00.000+05:30pankaj ji se sahmat!!!1pankaj ji se sahmat!!!1प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-25534164201402352842008-11-23T15:47:00.000+05:302008-11-23T15:47:00.000+05:30रचना का मूल्य उसकी अर्थवत्ता एवं सार्वजनीन बन जाने...रचना का मूल्य उसकी अर्थवत्ता एवं सार्वजनीन बन जाने की योग्यता में है. स्वान्तःसुखाय रचना अपनी गहरी मूल्यवत्ता के साथ सर्वान्तःसुखाय बन जाती है.प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-67334337314067648552008-11-23T15:23:00.000+05:302008-11-23T15:23:00.000+05:30व्यथा सही है... पर लिखते रहिये. विज्ञान कथा पर कम्...व्यथा सही है... पर लिखते रहिये. विज्ञान कथा पर कम्युनिटी ब्लॉग बने तो मैं भी कुछ गणित ठेल दिया करूँगा !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-6336228077518469752008-11-23T14:37:00.000+05:302008-11-23T14:37:00.000+05:30पंकज जी, क्षमा प्रार्थी और आपका गुनाहगार भी हूँ कि...पंकज जी, क्षमा प्रार्थी और आपका गुनाहगार भी हूँ कि आप इतने श्रेष्ठ साहित्य का सृजन कर रहे हैं और मैं उन्हें पढ़ नही पा रहा हूँ -इधर अंधविश्वासों को लेकर आप सचमुच एक गंभीर और सन्दर्भ साहित्य के सृजन कर्म में लगें हैं उन्हें फुरसत में पढ़ना चाहता हूँ पर रोज रोज के राज काज ने सब गुड गोबर कर रखा है -पर चलिए मेरी स्मृति में आपने विशिष्ट जगह बना रखी है कभी पूरी तैयारी और प्लानिंग से जुटेंगे आपके मुहिम में -रही बात विज्ञान कथा की तो सचमुच उसके लोकप्रियकरण की जरूरत है -आपको अभी वराणसी में संपन्न हुए विज्ञान कथा राष्ट्रीय परिचर्चा में आना था ...पर ब्लॉगर भाईओं ने कोए रूचि ही नही दिखायी जिसकी रूचि थी भी वे बुलाने पर भीनही आए -उन्मुक्त जी ! चलिए कुछ प्लान करते हैं विज्ञान कथा के लिए ! आप ही क्यों नही एक कम्युनिटी ब्लॉग की शुरुआत करते ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-72284157256064961602008-11-23T14:25:00.000+05:302008-11-23T14:25:00.000+05:30अभी आपको कम ही पढ पा रहा हूँ पर आपसे मछलियो और विज...अभी आपको कम ही पढ पा रहा हूँ पर आपसे मछलियो और विज्ञान कथाओ पर बहुत कुछ जानने की इच्छा है। मै विज्ञान कथा पर ऐसे सामूहिक ब्लाग की परिकल्पना करता हूँ जिसमे सभी ब्लागर मिलकर एक कथा लिखे। आप नेतृत्व करे। इस सामूहिक प्रयास से विज्ञान कथा के बारे मे हिन्दी ब्लाग जगत के माध्यम से आम लोग जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। बाद मे सम्भव होगा तो रवि जी के सहयोग से इस कथा को पुस्तक के रुप मे प्रकाशित कर देंगे। आप पहल करे।Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-52133139329538835312008-11-23T13:03:00.000+05:302008-11-23T13:03:00.000+05:30मैं इस पर कोई विशेष टिप्पडी तो नही कर सकता और न ही...मैं इस पर कोई विशेष टिप्पडी तो नही कर सकता और न ही कोई सच्ची टिप्पडी कर के एक नए बहस को जन्म देने का आकांछी हूँ लेकिन विनम्रता के साथ यह अवश्य कहना चाहूँगा की यदि आप जैसे ख्यातिप्राप्त एवं ४ दशकों से लेखन में लगे हुए लोग इस ब्लॉग जगत को महत्वपूर्ण जानकारियों से वंचित करेंगे तो ब्लॉग जगत से कुछ गंभीर ज्ञान की आशा में जुडाव रखने वालों को दुःख ही पहुचेगा .इसलिए Raviratlami जी के विचार कर्मण्येवाधिकारस्तेमाफलेषुकदाचन:... से मैं भी सहमत होते हुए आपसे निरंतर उत्क्रिस्ट लेखन के लिए निवेदन करता हूँ .लोग क्या कहेंगे या लोग क्या कहतें है इस पर विचार न करते हुए -चरैवेति -चरैवेति .......डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-9233569061410107882008-11-23T12:03:00.000+05:302008-11-23T12:03:00.000+05:30हम जो लिखना चाहते हैं या लिख रहे हैं उसे अमूमन उस ...हम जो लिखना चाहते हैं या लिख रहे हैं उसे अमूमन उस रूप में नहीं लिया जाता, जैसा हम सोचते हैं। यह वेदना मैं शुरू से महसूस करता रहा हूं। आपने उसे स्पष्ट शब्दों में रखा - अच्छा किया। <BR/>बाकी ब्लॉगजगत तो राग दरबारी है। अनेक रागों का संगम है! तालमेल बिठाना कठिन सा है। <BR/>हां अटकिये मत, लगे रहिये।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-78380674308213115812008-11-23T11:53:00.000+05:302008-11-23T11:53:00.000+05:30मिश्राजी आपने बड़ा सटीक सवाल उठाया है ! पर मैं आपस...मिश्राजी आपने बड़ा सटीक सवाल उठाया है ! पर मैं आपसे कहना चाहूँगा की अभी आपके साथ जितने दोस्त हैं वो शुरुआती दौर में कम नही हैं ! आप इस प्रयास को चालू रखिये ! समय के साथ साथ कारवां अपने आप बनता जायेगा ! और जो कुछ आप लिख रहे हैं उसकी जरुरत शायद आज नही दिख रही होगी लोगो को ! पर आने वाला समय उसको ढुन्डेगा ! कृपया आप इसे उतने ही लग्न से चालू रखिये यही निवेदन है ! शुभकामनाएं !ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-5567952742559940682008-11-23T11:14:00.000+05:302008-11-23T11:14:00.000+05:30हम भी व्यथित हुए. "आपकी व्यथा वस्तुतः आपके ईमानदार...हम भी व्यथित हुए. "आपकी व्यथा वस्तुतः आपके ईमानदारी की कथा है" यही हम भी कहना चाहेंगे.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-85855568640407381132008-11-23T10:58:00.000+05:302008-11-23T10:58:00.000+05:30"पर यह तो लोकतंत्र है और हम संविधानिक रूप से ऐसे म..."पर यह तो लोकतंत्र है और हम संविधानिक रूप से ऐसे माहौल में रहने को आबद्ध हैं !" <BR/>लोकतंत्र को समझने के लिए 'डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन' के यह विचार मुझे ज्यादा प्रासंगिक लगते हैं-<BR/><BR/>"लोकतंत्र सरकार का एक प्रकार मात्र नहीं है, बल्कि यह एक जीवन पद्धति है, मर्यादा में पूर्ण आस्था के साथ किया गया कार्य है और व्यक्ति की स्वतन्त्रता का नाम है "<BR/><BR/>तुलसी बाबा से अपना इत्तेफाक बनाये रखिये, कम यातनाएं नहीं सहीं तुलसी बाबा ने . और आपको ऐसा कैसे लगा कि आपकी रचना को बुद्धिमानों ने नहीं सराहा?<BR/><BR/>रचना का मूल्य उसकी अर्थवत्ता एवं सार्वजनीन बन जाने की योग्यता में है. <A HREF="http://ramyantar.blogspot.com/2008/11/blog-post_20.html" REL="nofollow">स्वान्तःसुखाय रचना अपनी गहरी मूल्यवत्ता के साथ सर्वान्तःसुखाय बन जाती है</A>. विक्रम के कार्य का मूल्य उसके निरंतर प्रयास में है. उसका निरंतर श्रमशील प्रयास ही उसका परिचय है, और कालचक्र में उसकी उपस्थिति का वाहक. <BR/><BR/>आपकी व्यथा वस्तुतः आपके ईमानदारी की कथा है.Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-15445525343184122502008-11-23T10:13:00.000+05:302008-11-23T10:13:00.000+05:30कर्मण्येवाधिकारस्तेमाफलेषुकदाचन:...मैंने पहले भी आ...कर्मण्येवाधिकारस्तेमाफलेषुकदाचन:...<BR/><BR/>मैंने पहले भी आपसे आग्रह किया था कि आपका यह लेखन वर्तमान पाठकों के साथ साथ भविष्य के पाठकों, और इंटरनेट पर सामग्री की समृद्धि के लिहाज से अत्यंत उत्तम प्रयास है. किसी प्रेरणा या दुष्प्रेरणा का शिकार न हों तो अच्छा...रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.com