tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post7897473006682908510..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: खड़ी शादी बनाम पट शादी! :-) Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger40125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-8930800351803777712013-02-22T01:04:43.024+05:302013-02-22T01:04:43.024+05:30दिन की शादियाँ तो हमें भी अच्छी लगती है। दिन की शादियाँ तो हमें भी अच्छी लगती है। Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-59146286914498508382013-02-18T18:08:05.565+05:302013-02-18T18:08:05.565+05:30आज तक जो भी होता आया है, सब पुरोहितों ने अपनी दूका...आज तक जो भी होता आया है, सब पुरोहितों ने अपनी दूकान पूरे साल चलाने का उपाय किया हुआ है। शादियों का मुहूर्त कभी भी त्योहारों के समय नहीं होता, आप दिवाली-दशहरा, या होली के समय या किसी भी त्यौहार के समय शादी होते नहीं देखते। क्योंकि इन दिनों पूरे भारत के पुरोहित व्यस्त रहते हैं, इन पूजाओं में । जब त्यौहार ख़त्म होते हैं तो शादियाँ का मौसम शुरू होता है, क्यूंकि पुरोहितों के पास तब वक्त होता है। ये मुहूर्त, पञ्चांग सब पुरोहितों की सहूलियत के लिए बने हैं। रात में शादी का बहुत बड़ा कारण भी यही है, दिन में ये अपनी दूकान चलाते हैं और रात का मुहूर्त निकाल कर यजमान को बेवकूफ बनाते हैं। एक तो अब इन पुरोहितों की कमी होने वाली है, दुसरे जो मिलेंगे उनको शास्त्रों का कोई ज्ञान नहीं होगा। हम बेवकूफ बनते रहे हैं आगे भी बनते रहेंगे। ज्ञान हमें तब भी नहीं था, आगे भी नहीं होगा। मेरी ही शादी में पुरोहित क्या-क्या कह कर गया ये न तो तब समझ में आया न आगे समझ में आएगा। <br /><br />खड़ी शादी हो या पट शादी, अब सब कुछ झट शादी में बदलने वाला है ...क्योंकि शादी कराने वाले पुरोहितों की कमी होने वाली है। इस पुश्तैनी काम को आगे बढाने वाली नयी पीढ़ी, अब इसमें इंटरेस्टेड ही नहीं हैं, इस हेतु गन्धर्व विवाहों की खबर सुनने के लिए तैयार रहिये, उसका ही युग आ रहा है। बस परिवार के दो-चार लोग आपस में ही शादी जैसी ही कोई रस्म करके निपटा लेंगे, वो भी सन्डे को क्योंकि मंडे ऑफिस जाना होगा :) इसलिए निश्चिन्त रहिये, खड़ी-पड़ी के दिन लद्ने ही वाले हैं। स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-4708148690364882342013-02-16T23:42:00.151+05:302013-02-16T23:42:00.151+05:30जो लोग अपने वक्त से आगे चलते हैं उनमें ही यह पहल ह...जो लोग अपने वक्त से आगे चलते हैं उनमें ही यह पहल होती है लकीर घसीटू ऐसा नहीं कर सकते .हमने 1980s ऐसी 'खड़ी 'शादी में शिरकत की थी .रोहतक मोडिल टाउन में अपने ही पडोसी <br /><br />सेवानिवृत्त मेजर दरियाव सिंह जी की बेटी की .बहुत सरल लगा था सब कुछ .कई सवाल भी मन में दौड़े रहे -यह तो अच्छा है न बैंड न बाजा ,न शराब न "बरात डांस ",खाने में परम्परागत आलू <br /><br />,सीताफल की सब्जी गर्म कचौड़ी और पूड़ी रायता .मिष्ठान्न में गाज़र पाक .<br /><br />2010s चीज़ें कितनी क्लिष्ट हो गईं हैं -अब लड़की वाला निमंत्रण पत्र के साथ मेवे भी दे रहा है .कोई अंत नहीं है इस रीस का .<br /><br />आपकी बात अनुकरणीय है .एक उन्माद में तबदील हो गईं हैं शादियाँ .शराब शबाब और आलमी खाने का एक मेला सा समझो इसे .<br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-85640791341159197712013-02-16T21:24:58.383+05:302013-02-16T21:24:58.383+05:30मंदिरों में जो शादी हुआ करती है वो दिन में ही सम्प...मंदिरों में जो शादी हुआ करती है वो दिन में ही सम्पन्न किया जाता है .शायद मंदिर का यही नियम होता होगा . हाँ! अब तो बहुत कुछ बदलना ही चाहिए . Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-30783593261414773752013-02-15T12:18:03.375+05:302013-02-15T12:18:03.375+05:30आपका यह तर्क कि,"पोंगे पंडित कहते हैं कि दिन ...आपका यह तर्क कि,"पोंगे पंडित कहते हैं कि दिन में तो साईत ही नहीं है जबकि भारतीय ज्योतिष में ज्यादातर शुभ ग्रह संयोग के लिए उदया तिथि का विचार करते हैं मतलब एक दिन के सूर्योदय के बाद के अगले दिन तक के सूरज के उगने तक प्रायः एक ही शुभ ग्रह संयोग होता है -तो फिर दिन की शादियाँ क्यों नहीं?"-पूरी तरह से सही और वाजिब है। बल्कि वेदिक पद्धति पर भी आधारित है। वेदिक पद्धती मे सूर्यास्त के बाद 'सप्तपदी' का निषेद्ध है जबकि 'पोंगा पंडित' कन्यादान सूर्यास्त के बाद कराते हैं -यह सब गुलाम भारत मे भारतीयता को नष्ट किए जाने का दुष्परिणाम है। यदि वेदिक/वैज्ञानिक पद्धति को अपनाया जाये तो शादियाँ दिन मे ही हो सकती हैं रात मे नहीं। <br />हमारे पिताजी ने 1981 और 1988 मे हम भाईयों की शादी दिन मे ही की थी। vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-16064444046966713482013-02-15T08:17:08.541+05:302013-02-15T08:17:08.541+05:30प्रोत्साहन वाली बात से सहमत, लेकिन बहिष्कार तो आसा...प्रोत्साहन वाली बात से सहमत, लेकिन बहिष्कार तो आसान नहीं लगता। मैं खुद विवाह जैसे अवसर पर सादगी का समर्थक और फ़िज़ूलखर्ची का विरोधी हूँ। संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-88244408861741808302013-02-15T00:32:38.070+05:302013-02-15T00:32:38.070+05:30खड़ी और पट शादियाँ ये नाम पहली बार सुने.लेकिन यह ब...खड़ी और पट शादियाँ ये नाम पहली बार सुने.लेकिन यह बात बिलकुल सही है कि रात की शादियाँ न कवल खर्चा बल्कि असुविधा भी अधिक देती हैं .<br />जिस तरह आजकल सुरक्षा का माहौल है उस नज़रिए से भी दिन की शादियों को बढ़ावा देना चाहिए.<br />सुविधा और खर्चा देखा जाए तो आर्यसमाजी विधि से विवाह सबसे अधिक उपयुक्त है .Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-21072741514410091942013-02-13T15:40:44.080+05:302013-02-13T15:40:44.080+05:30आप से सहमत हूँ सर!
सादर आप से सहमत हूँ सर!<br /><br /><br />सादर Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-57817962629199731302013-02-13T10:40:40.974+05:302013-02-13T10:40:40.974+05:30परम्परागत शादियों में कई रस्मे होती है. जिसमे फेरे...परम्परागत शादियों में कई रस्मे होती है. जिसमे फेरे, रिसेप्शन, मिलनी, मामेरा या भात आदि प्रमुख है. इन रस्मों में से फेरे और रिसेप्शन छोड़ कर बाकि दिन में होते है. हमारे इलाके में बाहर से आने वाले अतिथि और रिश्तेदार सामान्यतया रात्रि को अपने घर चले जाते है. रिसेप्शन में स्थानीय लोग ज्यादा होते है. और फेरे के वक़्त केवल घर के और निकट रिश्तेदार ही बचते है. इसलिए दिन की शादी से विशेष कोई फ़र्क नहीं पड़ता फिर भी मैं दिन की शादी के पक्ष में हूँ साथ ही शादी में होने वाले दिखावो और फिजूल खर्चो के विरुद्ध हूँ. शोभाhttps://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-26303971384052901522013-02-13T09:39:25.830+05:302013-02-13T09:39:25.830+05:30खड़ी शादियों के लिए अब खड़ी चोट बैंड पार्टियों की ...खड़ी शादियों के लिए अब खड़ी चोट बैंड पार्टियों की सेवा भी उपलब्ध है। "खड़ी चोट बैंड पार्टी" साईन बोर्ड मैने रेवाड़ी में देखा था।ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-77003198490063655552013-02-13T03:19:16.220+05:302013-02-13T03:19:16.220+05:30छुट्टी के दिन की बात और है वरना दिन की शादी अटेण्ड...छुट्टी के दिन की बात और है वरना दिन की शादी अटेण्ड करना अपने बस की बात नहीं। Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-70125651677690686042013-02-12T23:56:53.285+05:302013-02-12T23:56:53.285+05:30सही कहा आपने आपका फैसला सर आँखों पर किन्तु इसे जीव...सही कहा आपने आपका फैसला सर आँखों पर किन्तु इसे जीवन में कितने लोग अमल कर पायेंगे ...Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-47917589528117573312013-02-12T22:56:17.896+05:302013-02-12T22:56:17.896+05:30पहले तो हरे यहाँ भी दिन में शादियाँ होती ही नहीं थ...पहले तो हरे यहाँ भी दिन में शादियाँ होती ही नहीं थी ....अब तो सभी ने अपनी सुविधाओं अनुसार और समय के साथ बहुत कुछ बदलाव कर लिए हैं ... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-17245099461074003972013-02-12T22:07:34.925+05:302013-02-12T22:07:34.925+05:30बिलकुल सतीश जी चैरिटी बिगिंस at होम बिलकुल सतीश जी चैरिटी बिगिंस at होम Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-90674538355498739542013-02-12T22:06:12.948+05:302013-02-12T22:06:12.948+05:30"बल्कि उस समय रौशनी का माकूल इंतजाम नहीं होने..."बल्कि उस समय रौशनी का माकूल इंतजाम नहीं होने के कारण परेशानियाँ ज्यादा होती होंगी" . <br />यही तो हम भी कह रहे हैं देवि :-) Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-38767926049355199212013-02-12T22:04:13.710+05:302013-02-12T22:04:13.710+05:30बिल्कुल करेगें अनूप जी -हम जो कहते हैं वही करते ...बिल्कुल करेगें अनूप जी -हम जो कहते हैं वही करते हैं!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-72426071117425243962013-02-12T21:43:26.836+05:302013-02-12T21:43:26.836+05:30बढ़िया जानकारी मिली शादियों के बारे मे ... आभार !
...बढ़िया जानकारी मिली शादियों के बारे मे ... आभार !<br /><br /><a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2013/02/blog-post_12.html" rel="nofollow"> बुलेटिन 'सलिल' रखिए, बिन 'सलिल' सब सून </a>आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-87615781299890467112013-02-12T21:23:00.123+05:302013-02-12T21:23:00.123+05:30.
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खड़ी शादी और वह भी छुट्टी के दिन यानी इतवार ....<br />.<br />.<br />खड़ी शादी और वह भी छुट्टी के दिन यानी इतवार या अन्य सार्वजनिक छुट्टी के दिन... धीरे धीरे यही होने लगेगा... मैंने अपनी शादी भी इसी तरह की थी...<br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-53420226880187912402013-02-12T20:50:58.597+05:302013-02-12T20:50:58.597+05:30हमारे यहाँ तो सभी शादियाँ दिन में ही होती थी। फिर ...हमारे यहाँ तो सभी शादियाँ दिन में ही होती थी। फिर शहरी प्रभाव आ गया। <br />लेकिन अब शहर में दिन की शादी का मतलब है , लिफाफे के साथ छुट्टी का भी प्रबंध करना। <br />लुट जायेंगे यार पंडित। :) डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-66190166494171322552013-02-12T20:28:44.324+05:302013-02-12T20:28:44.324+05:30शादी न हुई खड-खाना buffet dinner हो गया शादी न हुई खड-खाना buffet dinner हो गया राजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02628010904084953893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-61342934004158500642013-02-12T19:51:12.475+05:302013-02-12T19:51:12.475+05:30फिर मेरी टिप्पणी स्पैम में चली गयी. ये अच्छी बात न...फिर मेरी टिप्पणी स्पैम में चली गयी. ये अच्छी बात नहीं है :(muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-17663485937154713722013-02-12T17:56:43.461+05:302013-02-12T17:56:43.461+05:30:)
लेकिन एक मजे की बात यह है, की यहाँ कर्नाटक में...:)<br /><br />लेकिन एक मजे की बात यह है, की यहाँ कर्नाटक में - शादियाँ हमेशा दिन में ही होती हैं । <br /><br />कोलेज में किसी की शादी हो - तो हम सब कोलेज से ही परमिशन लेकर लंच टाइम से आधा घंटा पहले निकल कर आधा घंटा लेट लौट आते हैं । <br /><br />रात में शादी की बात सुन कर यहाँ लोग बहुत आश्चर्यचकित होते हैं :)Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-70246419531852124512013-02-12T16:52:59.200+05:302013-02-12T16:52:59.200+05:30आपका सुझाव पसंद आया,,,कई समाजो में आज भी दिन में ह...<b>आपका सुझाव पसंद आया,,,कई समाजो में आज भी दिन में ही शादी कर सभी रश्म पूरे कर लिए जाते है,,,<br /></b><br /><br /><b>RECENT POST...</b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/02/blog-post_10.html#links" rel="nofollow"> नवगीत,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-26687288807876055452013-02-12T15:03:36.767+05:302013-02-12T15:03:36.767+05:30दिन की शादी सुविधाजनक होती है मेहमान और मेजबान दोन...दिन की शादी सुविधाजनक होती है मेहमान और मेजबान दोनों के लिए, और खर्चा जाहिर तौर पर आधा हो जाता है.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-37956110891506925332013-02-12T13:24:07.008+05:302013-02-12T13:24:07.008+05:30घाट शादी को प्रोत्साहित करना चाहिए ... हम भी सहमत ...घाट शादी को प्रोत्साहित करना चाहिए ... हम भी सहमत हैं आप से ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.com