tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post7570276556614525377..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: मृतकों से कैसा संवाद!Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger70125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-26353285779035495752011-02-02T11:43:11.621+05:302011-02-02T11:43:11.621+05:30प्रतुल मुक्ति और शेखर जी से काफी हद तक सहमत हूँ ऐस...प्रतुल मुक्ति और शेखर जी से काफी हद तक सहमत हूँ ऐसा क्यों लगता है कि भाजपा ने ही देश प्रेम का ठेका ले रखा है? वोटों की राज्निती है सब। उन ज़िन्दा लोगों से कुछ मरे हुये अच्छे हैं जो जिन्दा रह कर ज़िन्दा लोगों को किसी आग मे झोंकने से भी परहेज नही करते। देश प्रेम कब से केवल भाजपा की बपौती बन गया? किसी भी मुद्दे पर दो राय हो सकती हैं लेकिन उसे पार्टीबाजी मे उलझा कर कोई हल नही निकल सकता। सुग्य जी अगर ये भाजपा दुवेश है तो इसका विरोध करने वालों मे भी तो किसी न किसी के लिये दुवेश होगा। मेरा कहने का भाव है कि मुद्दा राजनिती बन गया है न कि इस बात पर बहस हुयी कि इस दौर मे वहाँ झंडा फहराना क्यों सही है और क्यों गलत। अर्विन्द जी माफी चाहूँगी आपने आवेश मे सब उन लोगों को गालियाँ दे दी जो देश से प्रेम करते हैं और केवल और केवल शान्ति और्5 अमन चाहते हैं। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-73596385506296113162011-02-02T11:19:59.784+05:302011-02-02T11:19:59.784+05:30कुछ सोये हुओं को जगाने का प्रयास मैंने भी किया है....कुछ सोये हुओं को जगाने का प्रयास मैंने भी किया है.....<br />जरूर पधारिये.....<br />माता के आँचल तक किसका हाथ बढ़ गया..<br />वधा गया दुस्साशन, रावण बलि चढ़ गया.<br />चीर हरण करने को ये फिर कौन उठ रहा.<br />उठो देश के वीरों माँ का मुकुट लुट रहा.<br />पूरी कविता यहाँ मिलेगी...<br />http://swarnakshar.blogspot.com/Rajesh Kumar 'Nachiketa'https://www.blogger.com/profile/14561203959655518033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-29626718524631793692011-02-01T17:54:08.704+05:302011-02-01T17:54:08.704+05:30बहुत सटीक अभिव्यक्ति ..बेहतरीन विमर्श ....शुभकाम...बहुत सटीक अभिव्यक्ति ..बेहतरीन विमर्श ....शुभकामनायेंAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/14612724763281042484noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-23127420958448360302011-01-30T00:33:05.068+05:302011-01-30T00:33:05.068+05:30स्वतन्त्रता इसलिये मिल गयी कि उस समय पढ़े लिखे लोग ...स्वतन्त्रता इसलिये मिल गयी कि उस समय पढ़े लिखे लोग न के बराबर थे. अगर सब पढ़े लिखे होते मैकाले वाली शिक्षा के तो अंग्रेजों को कभी न जाने देते. क्या झण्डा न फहराने से शान्ति आ जायेगी. आतंकवादी घटनायें बन्द हो जायेंगी, पाकिस्तान घुसपैठ बन्द कर देगा? यदि नहीं तो झण्डा क्यों न फहराया जाये. भाजपा राजनीति कर रही है तो इसका मुंहतोड़ जबाव था कि लाल चौक में सभी दल झण्डा फहराते. लाखों कश्मीरी हिन्दुओं का दर्द बाकियों की छाती में क्यों नहीं उठता, क्योंकि इससे साम्प्रदायिक होने का लेवल लग जायेगा या सिर्फ मुसलमानों से ही सम्बन्धित मामलों में दर्द होता है. झण्डा फहराने पर जो हिंसा करें वे आतंकवादी ही हो सकते हैं और आतंकवादियों का इलाज गोली ही है जो केपीएस गिल ने किया था. घाटी में भी हिन्दू थे जिन्हें मारकर घाटी को अल्पसंख्यक (मुस्लिम) बहुल बना दिया गया और अब बात हो रही है जनता के फैसले की. बहुत खूब. यही हालात पूरे देश में सामने आने वाले हैं. हम उत्तर प्रदेश वाले किसी को बाहरी नहीं मानते, चाहे वह कश्मीर के हों या असम, नागालैण्ड के. किसी मराठी/पहाड़ी/कश्मीरी/असमी को पिटते देखा है यूपी में.तिरंगा मिला ही शहीदों के खून से, बलिदान से. किसी की दया से नहीं. मतिभ्रम के शिकार लोगों को आजादी के पहले और बाद के दंगे याद नहीं आते. इतिहास नहीं पढ़ा जाता जो गजेटियरों में दर्ज है.क्या हमें किसी बाहरी आक्रान्ता की आवश्यकता है. हम खुद ही इतना उलझ गये हैं कि राष्ट्र के रूप में एक हैं ही नहीं. यदि झण्डा न फहराने से समस्याओं का समाधान हो जाये तो फिर ठीक है, लेकिन न हो सका तो. पूरा देश कर देता है और कश्मीर में सब्सिडी से मौज, इस सबके बाद कश्मीर अलग हो. गोद में बैठकर दाढ़ी मूंढ़ने जैसा कृत्य है. हो सकता है कुछ लोग टैक्स न देते हों. बहुसंख्या के निर्णय होने लगें, अच्छा है, पूरे देश में महत्वपूर्ण मुद्दों पर मैनडेट करा लिया जाये, कलई खुल जायेगी.. जिनके यहां पूर्वज शहीद हुये हैं, उन्हीं को दर्द होता है.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-52733740845746726032011-01-29T23:34:15.339+05:302011-01-29T23:34:15.339+05:30kafi acchi bahas chal rahi hai arvind ji aapki itn...kafi acchi bahas chal rahi hai arvind ji aapki itni acchi pahal ke liye badhaikhttps://www.blogger.com/profile/10169994808833324610noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-61603447357041907802011-01-29T22:39:47.642+05:302011-01-29T22:39:47.642+05:30यहाँ बहुत लोगों को लग रहा है की राष्ट्रभक्त मर चुक...यहाँ बहुत लोगों को लग रहा है की राष्ट्रभक्त मर चुके है....लेकिन मैं कहता हूँ की जितने भी ज़िंदा है वो करोड़ों के बराबर है. और जो मर भी गए हैं (या जिन्हें लोग मरा हुआ मान बैठे हैं ).वो भी कम नहीं है.....और वो सावधान कर रहे हैं औरों को......मुक्तक के माध्यम से कहता हूँ....<br /><br />"मैं नहीं हूँ लाश कोई, ना समझ मुझको मरा<br />मर भी जाऊं गर कहीं तो दंश न घटता मेरा<br />पूछ ले जाके परीक्षित से की कैसा स्वाद था.<br />जब मरे एक सर्प के डसने से चक्रवर्ती मरा.<br />राजेश "नचिकेता"Rajesh Kumar 'Nachiketa'https://www.blogger.com/profile/14561203959655518033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-45514256387174945572011-01-29T22:23:57.589+05:302011-01-29T22:23:57.589+05:30@ आदरणीय डा दाराल साहब ने कहा की निष्पक्ष रहने में...@ आदरणीय डा दाराल साहब ने कहा की निष्पक्ष रहने में कोई बुरी बात नहीं....<br />इसी सन्दर्भ में दिनका जी ने अपनी कविता "समर शेष है" में कहा है....<br />"समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध.<br />जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध."<br />कुछ मुद्दे होते हैं जिनमे तटस्थ रहना आत्मघाती होता है......<br /><br />किसी ने कहा....की ये तिरंगा यात्रा....जनता ने नहीं बल्कि भाजपा ने शुरू किया....तो क्या सिर्फ भाजपाईयों के छो लेने से ये आप लोगों के लियी अस्पृश्य हो गया...५५ साल में अब्दुल्ला साहब ने क्या कर दिया वहाँ की भाजपा की बात आ गयी....<br />मुझे भी याद है अरविन्द साहब ने पार्टी की बात ही नहीं की थी....<br /><br />अरविन्द मिश्र जी,<br />यहाँ पे जितनी भी चर्चा चली..वो मुझे नन्द वंश के समय मगध की कहानी की याद दिलाती है...आचार्य विष्णुगुप्त ने जब अखंड भारत (जिसमे गांधार, कैकेय और तक्षशिला भी था) के लिए नन्द वंशियों का विद्रोह किया था ज्यादातर लोगों ने उनका विरोध ही क्या था.... और लोगों ने उनको भारत के खिलाफ विद्रोह भी कहा था.... जबकि चाणक्य की उस बात ने अखंड भारत का स्वप्न पूरा किया....<br /><br />@मोनिका जी की बात भी सही है....अगर झंडा फहराना राजनीति है तो उसको नहीं फहराने देना राजनीति कैसे नहीं है?<br /><br />लोग कह रहे हैं....झंडा नहीं भी फहराया तो क्या हो गया....अरे साहब दिल्ली में भी नहीं फहराया जाता तो थोड़े ही ना कुछ हो जाता...उनका जरूर जाता जो इनको गौरव और आत्म सम्मान की बात समझते हैं....<br />दीवाली आदि पर्व भी अगर ना मनाये जाएँ तो क्या हो जाएगा.....लेकिन मानते हैं.....<br /><br />एक बात और जोड़ दूं.....कुछ लोग जो कह रहे हैं क्या फर्क पड़ता है ग्फंतंत्र दिवस मनाने से....उनमे से कुछ लोग तो प्रतीक्षा कर रहे हैं १४ फरवरी की....२६ जनवरी से उन्हें क्या मतलब.....<br /><br />फिर कभी बाद में....<br />प्रणाम.Rajesh Kumar 'Nachiketa'https://www.blogger.com/profile/14561203959655518033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-63733382500069211912011-01-29T21:27:59.638+05:302011-01-29T21:27:59.638+05:30उद्धरित कविता राष्ट्र कवि राम धारी सिंह दिनकर की प...उद्धरित कविता राष्ट्र कवि राम धारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविता 'आग की भीख' का अंश है। जो आज भी प्रासंगिक है।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-33194679418107676932011-01-29T21:00:23.800+05:302011-01-29T21:00:23.800+05:30मित्रों ,
इस ज्वलंत मुद्दे पर अब विमर्श का उपसंहार...मित्रों ,<br />इस ज्वलंत मुद्दे पर अब विमर्श का उपसंहार हो चूका है -<br />ज़ाहिर है कुछ लोग महज अपने प्रायोजित उद्येश्यों के तहत जन मन की<br />अवहेलना कर रहे हैं और जानबूझ कर एक लिजलिजे अभिव्यक्ति का सहारा<br />ले रहे है ..ये खुद ही जन मन से बहिष्कृत होने को अभिशप्त हैं ..इन्हें छोडिये और अपने मुहिम पर<br />लगे रहिये .....<br />बहुत आभारArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-15271809031838476122011-01-29T20:55:33.466+05:302011-01-29T20:55:33.466+05:30@वाह देवेन्द्र जी आप तो नैसर्गिक कवि हैं ,
सुन्दर ...@वाह देवेन्द्र जी आप तो नैसर्गिक कवि हैं ,<br />सुन्दर सारगर्भित और सटीक अभिव्यक्ति !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-83893239044191290522011-01-29T20:48:36.061+05:302011-01-29T20:48:36.061+05:30इसका शुक्लपक्ष यह रहा कि इस वर्ष घाटी में कहीं भार...इसका शुक्लपक्ष यह रहा कि इस वर्ष घाटी में कहीं भारतीय झंडा जलाने या पाकिस्तानी झंडा फहराने का समाचार नहीं मिला। क्या यह एक अच्छा संकेत नहीं है?चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-27830243903748955042011-01-29T19:50:23.357+05:302011-01-29T19:50:23.357+05:30धुँधली हुई दिशाएँ, छाने लगा कुहासा
कुचली हुई शिखा ...धुँधली हुई दिशाएँ, छाने लगा कुहासा<br />कुचली हुई शिखा से आने लगा धुआँसा<br />कोई मुझे बता दे, क्या आज हो रहा है<br />मुंह को छिपा तिमिर में क्यों तेज सो रहा है<br />दाता पुकार मेरी, संदीप्ति को जिला दे<br />बुझती हुई शिखा को संजीवनी पिला दे<br />प्यारे स्वदेश के हित अँगार माँगता हूँ<br />चढ़ती जवानियों का श्रृंगार मांगता हूँ<br />बेचैन हैं हवाएँ, सब ओर बेकली है<br />कोई नहीं बताता, किश्ती किधर चली है<br />मँझदार है, भँवर है या पास है किनारा?<br />यह नाश आ रहा है या सौभाग्य का सितारा?<br />...........<br />......अब विद्वान यह न कह दें कि यह क्या लिख दिया! राष्ट्र कवि याद आ गये तो मैं क्या करू ?देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-32855753940354965682011-01-29T13:13:49.429+05:302011-01-29T13:13:49.429+05:30अरविन्द जी,
लोग कहते है यह राजनिति है, और तिरंगे ...अरविन्द जी,<br /><br />लोग कहते है यह राजनिति है, और तिरंगे पर राजनीति क्या सही है ?<br /><br />राजनितिज्ञ हमारे ही अंश होते है,हम उन्हें हमारा नेतृत्व करने के लिये प्रतिनिधि बनाते है,वे हमारे व्यवस्था के कार्य करते है।और से ही प्रतिक्रिया करते है, माना कि राजनिति बदनाम हो गई, कर क्या जो राजनैतिक विचारधारा हमारे विचारों से मेल नहीं खाती उस समुदाय के व्यक्ति को अपना देशप्रेम उजागर करने का हक़ नहीं।<br />जनता आखिर लोकतंत्र के चारों स्तम्भ सहित राजनेताओ के माध्यम से ही मुखर होती है।<br />फ़िर मात्र यह अपराध हो गया कि भाजपा क्यों मुखर हुई?<br />मान लेते हैं कि भाजपा के अपने राजनैतिक लाभ हो सकते है। पर हमारा जी उसकी हंडिया पर क्यों चिपका है। हम सीधे सीधे उनके मंतव्यो से राष्ट्र-प्रेम को क्यों नहीं चुन लेते?सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-12158376556559960192011-01-29T12:56:09.548+05:302011-01-29T12:56:09.548+05:30अरविन्द जी,
यह एक प्रकार की विचारधारा सदैव राष्ट्...अरविन्द जी,<br /><br />यह एक प्रकार की विचारधारा सदैव राष्ट्रवाद का विरोध करती आई है, निश्चित ही वे खुलकर राष्ट्र्प्रेम का विरोध नहीं कर पाते,इसलिये किन्तु-परन्तु से द्रोह भावना का प्रसार करते है। वर्गविग्रह में खुन-खराबे को जायज मानने वाले राष्ट्र संप्रभुता के लिए खुन-खराबे की दुहाई देते है।<br />बिना रक्त बहाए कोई राष्ट्र सुरक्षित नहीं रह सकता।<br />हमारी सेना का रक्त भी हमारा ही है। क्यों बहाते है?सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-91209712360915630052011-01-29T10:19:15.880+05:302011-01-29T10:19:15.880+05:30सोने की चिड़िया को जाने कितने ही लूट गए होंगे
जब ...सोने की चिड़िया को जाने कितने ही लूट गए होंगे<br /><br />जब जब टूटी है डाल नए सौ अंकुर फूट गए होंगे<br /><br />पथ कसम तुझे दुर्गमता अपनी कभी न कम होने देना<br /><br />मेरे पैरों के शोणित से अपना वक्षस्थल धो लेना<br /><br />थक कर गिरना, गिर कर उठना ये नियति भले हो सकती है<br /><br />पर रुकना नहीं भले पग में काँटे सौ टूट गए होंगे<br /><br />हो सजग पहरुओ भारत के पग भर यह भूमि न बंट जाए<br /><br />यह सर काँधे पर रहे कि चाहे लड़ते लड़ते कट जाए<br /><br />हम कभी न थक कर बैठेंगे है लक्ष्य हमारी आँखों में<br /><br />हम भी उस राह चलेंगे जिस पर वीर सपूत गए होंगेपद्म सिंहhttp://padmsingh.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-36156366248615085092011-01-29T10:18:30.670+05:302011-01-29T10:18:30.670+05:30"दोगली और दुहरी नागरिकता" यह विषय बहुत द..."दोगली और दुहरी नागरिकता" यह विषय बहुत दिनों से मेरे अंगरतम को मथ रहा था ... इस पर विचार अति आवश्यक है।पद्म सिंहhttp://padmsingh.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-74164814292457282452011-01-29T10:15:58.406+05:302011-01-29T10:15:58.406+05:301-खाए पिए अघाए लोगों
2-गमें रोजगार,गमें मआश से मा...1-खाए पिए अघाए लोगों<br />2-गमें रोजगार,गमें मआश से मारे लोगों <br />3-आमोद प्रमोद घर परिवार और प्रेम प्रणय मनुहारों में लगे लोगों <br />4-कुछ तटस्थ खड़े तमाशे देखते और फिर अपने बाल बीबी बच्चों की फ़िक्र में लग गए तो कुछ अपने ही जयचंद जैसे अलग ढपली अलग राग बजाते लोगों <br /><br />"खाने" "बजाने" और "पाखाने" से इतर भी कुछ प्राथमिकताएँ होती जिसमे आत्मसम्मान और आत्माभिमान जैसी चीज़ें भी शामिल हैं। लेकिन क्या करें, अंधों के आगे रोना अपने भी नैना खोना। दिल्ली मे खुले आम केंद्र सरकार के संरक्षण मे देश की संप्रभुता पर चोट की जाती है और तथाकथित जनपक्षकारों को कुछ नहीं दिखता, काश्मीर मे खुलेआम पाकिस्तानी झंडे फहराए जाते हैं और इनकी आंखो मे मोतियाबिंद हो जाता है... ज़ुबान लकवा मार जाती है। भाजपा के झण्डा फहराने पर इतना ऐतराज, काश्मीर मे तिरंगा न फहराए जाने पर क्या?<br /><br />मिश्र जी ... सोते को जगाया जाता है। बेहोश और मृतात्माओं को क्या जगाएँगे। <br /><br />झण्डा फहराना भाजपा का राजनीतिक शगल हो सकता है। लेकिन एक फायदा तो ज़रूर हुआ। दो पैसे की हांडी गई तो गई... लेकिन कुत्तों की ज़ात तो पहचानी गयी। <br /><br /><br />सच है-आधुनिक वृहन्नलाओं की पहचान ऐसे ही मौकों पर होती हैं..<br /><br /><br /><br />जिसे कश्मीर की स्थिति देखनी है उसे काश्मीर ज़रूर जाना चाहिए। उसके बाद शायद उसे कुछ समझ मे आए।पद्म सिंहhttp://padmsingh.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-53316218753273300212011-01-29T06:45:20.798+05:302011-01-29T06:45:20.798+05:30@अशोक कुमार पाण्डेय जी ,
अभिषेक 'आर्जव 'ज...@अशोक कुमार पाण्डेय जी ,<br />अभिषेक 'आर्जव 'जी ने राष्ट्रीयता की अवधारणा<br />की बात भी उठायी है -लगता है अब दोगली और दुहरी नागरिकता जैसे बिंदु भी विचारित होंगे<br />जिनके चरित्र नायक आप और मुक्ति जी सरीखे लोग होंगे ..जो बौद्धिकता के आग्रह में इतना संभ्रमित<br />हो चुके हैं की अपने आँखों के सामने के नग्न सत्यों को नहीं देख पा रहे हैं -और अपनी विरासत ,इतिहास भूगोल सभी के<br />साथ गद्दारी कर रहे हैं ....इसकी आप लोगों को निश्चय ही भारी कीमत चुकानी होगी --उस लोक में नहीं यही अपने ही लोगों के बीच ..जद्यपि जग दारुण दुःख नाना सबसे कठिन जाती अवमाना<br />हम आपको अपने ब्लॉगर बंधुत्व से बहिष्कृत करते हैं ....न न यह कोई फ़तवा नहीं ..एक पीड़ा की अभिव्यक्ति है .....<br />अपना अलग कुनबा बनाये रखिये ...जार्ज आर्वेल के 'ज्यादा एक जैसे लोगों का ...'<br />मगर राष्ट्र आपको माफ़ नहीं करेगा ....देखते रहिये यह राष्ट्र भक्ति ,प्रेम का जज्बा आप लोगों को किस ठांव ठौर पहुंचा देता है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-51647593453946142222011-01-29T05:31:13.944+05:302011-01-29T05:31:13.944+05:30अगर लाल चौक पर तिरंगा फहराने वाले राजनीति कर रहे ...अगर लाल चौक पर तिरंगा फहराने वाले राजनीति कर रहे हैं तो उन्हें रोकने वाले क्या राजनीति नहीं कर रहे ...... अब तो लगता है किसी दिन शांति के नाम पर देश को बेच खाऊ ये लोग लाल किले पर तिरंगा ना फहराने देने को भी न्यायसंगत ठहरा देंगें ...... उसे के लिए कोई पार्टी उठ खड़ी होगी तो उसे भी राजनीति का नाम दे देंगें ..... आपकी हर बात से सहमत ..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-6218749254025212972011-01-29T03:08:50.339+05:302011-01-29T03:08:50.339+05:30कुछ लोग बीजेपी बीजेपी कर रहे है
उनकी जानकारी के ल...कुछ लोग बीजेपी बीजेपी कर रहे है<br /><br />उनकी जानकारी के लिये बता दूँ कि इस देश मे आजादी के बाद इन 62 सालो मे बीजेपी ने केवल मात्र 5 साल शासन किया है और 55 साल कांग्रेस ने शासन किया .अब इन 55 सालो मे कांग्रेस ने इस देश का जितना कबाड़ा किया.इस देश को जो कभी न भरने वाले घाव दिये और जो भरष्टाचार की गंदगी फैलायी है.<br /> उसको साफ करने की उम्मीद आप बीजेपी से केवल पाँच साल मै कैसे कर सकते है? क्या बीजेपी के पास कोई जादू की छड़ी थी जो कांग्रेस की पचपन साल की फैलायी गंदगी को पाँच साल मे साफ कर देती ?VEERUnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-70478281261002679292011-01-29T02:35:32.643+05:302011-01-29T02:35:32.643+05:30अशोक कुमार पांडे जी
आपसे किसने कहा कि आप कुछ भूलिय...अशोक कुमार पांडे जी<br />आपसे किसने कहा कि आप कुछ भूलिये.<br />पर आप कुछ बाते भूल गये. उनको भी मत भूलिये<br />जैसे कश्मीर से तीन लाख कश्मीरी पंडितो का सूपड़ा साफ कर दिया गया.<br />(2) इसी लालचौक पर कई बार पाकिस्तानी झंडे फहराये गये<br />और भी बहुत कुछ.......<br />अगर आप इन सब बातो को भी नही भूलेँगे<br />तो आप अच्छे सेकुलर बन सकते हैVEERUnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-54732147929522898192011-01-29T02:30:53.102+05:302011-01-29T02:30:53.102+05:30सही दिशा में जा रही है बात......लगे हाथ थोड़ा आप ल...सही दिशा में जा रही है बात......लगे हाथ थोड़ा आप लोग "concept of Nationality" पर भी डिस्कशन कर लिजिये . :);) . अकेडमिक्स में आजकल यह एक गम्भीर मुद्दा है.<br /><br />(अब मुझे ही कुछ लिखने के लिये मत कहियेगा,इसके एक्स्पर्ट बहुत से विद्वजन हैं यहां! )अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-56814130166728830872011-01-29T02:10:23.802+05:302011-01-29T02:10:23.802+05:30@शेखर सुमन
जो लोग लालचौक पर तिरंगा फहराने की वजह स...@शेखर सुमन<br />जो लोग लालचौक पर तिरंगा फहराने की वजह से दंगा करेंगे और खून खराबा करेँगे . <br />क्या वो लोग तुम्हे निर्दोष लगते है ?<br />और क्या अब वहाँ तिरंगा फहराने के लिये ऐसे "निर्दोष लोगो" से अनापत्ति सर्टिफिकेट लेना पड़ेगा ?VEERUnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-64039554296247272282011-01-29T01:09:52.045+05:302011-01-29T01:09:52.045+05:30अरविंद जी … सावरकर ने भी संघियों के बारे में कुछ क...अरविंद जी … सावरकर ने भी संघियों के बारे में कुछ कहा था - 'संघ कार्यकर्ता की समाधि पर लिखा होगा कि यह पैदा हुआ, इसने शाखाओं में हिस्सा लिया, बैठकें की और मर गया।'<br /><br />अगर बहुसंख्या ही हर बात का निर्णायक होती है तो कश्मीर के मामले में वहाँ की बहुसंख्या के निर्णय को क्यूं न माना जाय? और अगर सच वह है जो तर्क कहता है और बहुसंख्या हमेशा सही नहीं होती तो हमारी बातों को अल्पसंख्या की बात कहकर ख़ारिज़ करने को आपकी हताशा समझी जाय या फिर कुछ और?Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-80902548883827821302011-01-29T00:05:02.511+05:302011-01-29T00:05:02.511+05:30अपने देश मे अपना झंडा फ़हराना हम सब का हक हे, कशमी...अपने देश मे अपना झंडा फ़हराना हम सब का हक हे, कशमीर को शुरु से ही अलग ओर विशेष राज्य का दर्जा दिया गया हे? क्यो? ओर वो सिर्फ़ एक साल के लिये ही था, फ़िर पिछले ६३ साल से उस कानून को उस धारा ३७० को बदल क्यो नही, यही भाजपा भी तो आई थी, इस ने क्यो नही बदला उस धारा को? क्यो हर बार रियात देते हे उस राज्य को, क्यो सेनिक कम करते हे? जब वहां से हिंदूयो को मार मार कर निकाल गया तो उस समय यह नेता क्यो नही जागे? क्यो नही जब इन का राज था उस समय इन्हे वापिस वही बसाया गया? बहुत क्यो बहुत से हे, सिर्फ़ एक दिन जा कर झंडा लहराने से क्या होगा? अगर कुछ करना हे तो अब करे, इस सरकार को घूटनो पर लाओ कि उस धारा को हटाओ, जो झंडे से ज्यादा कारगार हे जब यह धारा हटेगी तो रोजाना वहा झंडा फ़हराए,<br /> मै राजनीति तो नही जानता लेकिन जब भी दुर से देखता हुं तो मुझे जनता का ही दोष नजर आता हे, जिस मे हम सब शामिल हे, ओर किसी नेता या पार्टी के भडकाने से हम भडक जाये यह अच्छा नही, हर काम होश से होना चाहिये जोश के संग भी होश होना चाहिये अकेले जोश से काम बिगडता हेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.com