tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post7156010029466914111..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: सधवा की साध! Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-23592027931743935032014-05-29T16:22:24.465+05:302014-05-29T16:22:24.465+05:30पति-पत्नी के संबंध अन्योन्याश्रित हैं। दोनो को एक ...पति-पत्नी के संबंध अन्योन्याश्रित हैं। दोनो को एक दूसरे के सहारे की जरूरत है। यह जरूरत उम्र बढ़ने के साथ और बढ़ती जाती है।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-38903574208073357382014-05-20T23:36:29.207+05:302014-05-20T23:36:29.207+05:30समाज के सही बात को रेखांकित किया है आपने....
नयी प...समाज के सही बात को रेखांकित किया है आपने....<br />नयी पोस्ट<a href="http://pbchaturvedi.blogspot.in/" rel="nofollow">@आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया (नई ऑडियो रिकार्डिंग)</a><br />प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-36149731557945452992014-05-06T18:12:29.232+05:302014-05-06T18:12:29.232+05:30दाई के प्रेम को मेरा प्रणाम । यह शेयर करने के लिए ...दाई के प्रेम को मेरा प्रणाम । यह शेयर करने के लिए आपको आभार :)Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-4820255087280192662014-05-06T17:15:18.511+05:302014-05-06T17:15:18.511+05:30अपनी मौत कौन चाहता है.. हाँ सेवा करने वाले, चाहने ...अपनी मौत कौन चाहता है.. हाँ सेवा करने वाले, चाहने वाले मुक्ति चाह सकते हैं.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-84400047039013425692014-05-05T08:14:36.826+05:302014-05-05T08:14:36.826+05:30सही बात !!सही बात !!Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-46212145908332174802014-05-04T14:28:28.343+05:302014-05-04T14:28:28.343+05:30मेरे एक परिचित है, पिछले लगभग चौदह साल से उनका बच्...मेरे एक परिचित है, पिछले लगभग चौदह साल से उनका बच्चा बहुत बीमार है। काफ़ी दिन के बाद उनसे मुलाकात हुई तो मैंने बच्चे का हालचाल पूछा। उनका कहना था, "पहले हम उसके ठीक होने के लिये जगह जगह माथा टेकते थे और अब इसकी मुक्ति के लिये।" एक हद तक इंसान कोशिश करता है और फ़िर मुक्ति के बारे में सोचने लगता है।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-24154223785341601342014-05-04T09:06:17.341+05:302014-05-04T09:06:17.341+05:30दोनों की ही चाह सहारा,
काल कहे अब पहले किसको।दोनों की ही चाह सहारा, <br />काल कहे अब पहले किसको।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-31896896994873456732014-04-30T15:20:05.337+05:302014-04-30T15:20:05.337+05:30 अरविन्द जी ! कभी किसी देश, काल और परिस्थिति में, ... अरविन्द जी ! कभी किसी देश, काल और परिस्थिति में, नारी ने पलायन स्वीकार नहीं किया होगा , यह बात अलग है कि उसे मार देने के बाद , परिवार-जनों ने , आत्म-हत्या या आत्म- दाह का नाम दे दिया हो , या बल-पूर्वक उसे सती बना दिया गया हो । आज की स्थिति में यदि हम बात करें तो स्त्री अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाह करना ही पसन्द करेगी । लक्ष्मी- बाई के देश की नारियॉ आज जाग चुकी हैं और वे आगे देख-कर जीवन , जीने में विश्वास रखती हैं । शकुन्तला शर्माhttps://www.blogger.com/profile/01128062702242430809noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-58772252641820551412014-04-29T17:11:07.966+05:302014-04-29T17:11:07.966+05:30इतनी संवेदनशीलता से स्त्री ही सोच पाती है ... आर्थ...इतनी संवेदनशीलता से स्त्री ही सोच पाती है ... आर्थिक स्थिति अलग बात है ...वैधव्य हो के मारना या विधवा हो के .... प्रेम के आगे क्या मायने रखेगा ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-79509568648493511002014-04-29T16:56:23.366+05:302014-04-29T16:56:23.366+05:30अभी कुच्छ महना पहले भाभी की अकस्मात मृत्यु हो गई। ...अभी कुच्छ महना पहले भाभी की अकस्मात मृत्यु हो गई। भाई को कभी इतना विचलित होते नहीं देखा था ।अपने आप को इतना असहाय महसूस करेंगे ऐसा कभी सोचा भी न था ।मुझसे उनकी अंतिम बात से यह अनुमान लगा की भाबी हमेशा उनके सेवा रत रही । ओर भाई उनकी सेवा पर पूर्ण आश्रित हो गए उनका अपना मनोबल क्षीण हो गया । भाई ने usa जाने के पहले मुझ से कह रहे थे तेरी भाबी ने मेरी बहुत सेवा की। शायद मुझे यह ख्याल क्यों आता है । की व्यक्ति स्वयम से ही इतना भयभीत क्यों हो जाता है। उसे क्यों आभास होने लगता है। मेरी सेवा इस वृद्ध अवस्था में कौन करेगा? अपनी स्वयम की सेवा करवाना भी क्या स्वार्थ तुल्य है ? <br />Harivansh sharmahttps://www.blogger.com/profile/14038836218649982465noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-35693514138744415782014-04-29T15:03:46.518+05:302014-04-29T15:03:46.518+05:30पति-पत्नी के सम्बन्ध से अलग भी कोई शरीर एक उम्र पर...पति-पत्नी के सम्बन्ध से अलग भी कोई शरीर एक उम्र पर असाध्य बिमारी से अस्वस्थ हो जाता है जिसे चिकित्सा के द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता है तब उस कष्ट को देखकर कुछ ऐसी ही प्रार्थना उठती है | हे ! भगवान मुक्ति दे दो |Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-39070468873097354332014-04-29T10:07:04.791+05:302014-04-29T10:07:04.791+05:30दोनों हालात दुखदायी हैं,पर इस पर ज़ोर तो है नहीं कि...दोनों हालात दुखदायी हैं,पर इस पर ज़ोर तो है नहीं किसी का.<br /><br />इसी आधार पर पिछले युग में पति के मरते ही पत्नी अपना जीवन खत्म कर लेती थी.पतियों ने कभी ऐसा किया हो,पता नहीं !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-41840270733434058192014-04-29T09:44:40.563+05:302014-04-29T09:44:40.563+05:30यही तो वो समर्पण है जो कहीं और नहीं दिख पाता.यही तो वो समर्पण है जो कहीं और नहीं दिख पाता.ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-80609936249613168562014-04-29T09:07:02.427+05:302014-04-29T09:07:02.427+05:30मेरे सम्माननीय बुजुर्ग हैं शर्मा जी 80 पार चुके, ...मेरे सम्माननीय बुजुर्ग हैं शर्मा जी 80 पार चुके, पिछले दिनों तटस्थ भाव से कहा, पत्नी बिस्तर पर हैं, मेरे सामने चली जाएं तो ठीक, यदि मैं पहले गया तो उनकी देखभाल कौन करेगा. हम आपस में बात करने लगे कि उनके बच्चे बहू..., बात आई कि दोनों नौकरी-पेशा हैं, अपने बच्चों की देखभाल नहीं कर पा रहे थे सो हास्टल में दाखिला कराया है, मां-सासू मां के लिए क्या कर पाएंगे. किसी पक्ष की आलोचना की जा सकती है, लेकिन है यह वस्तुतः आज की सहज, सामान्य, स्वाभाविक परिस्थितियां.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-68621582271685485762014-04-29T08:52:16.602+05:302014-04-29T08:52:16.602+05:30जीवन साथी की देखभाल का भाव लिए वैधव्य को भी स्वीका...जीवन साथी की देखभाल का भाव लिए वैधव्य को भी स्वीकार कर लेने की बात भर करना भी हिम्मत और समर्पण को दर्शाता है .... कम से कम भारतीय समाज में तो यह बात कहने के लिए भी मन में हौसला चाहिए ...बाकि तो क्या कहें ? डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-75043463061045168112014-04-29T07:30:19.465+05:302014-04-29T07:30:19.465+05:30कोई जल्दी नहीं मरना चाहता, न पत्नी और न पति। हाँ ब...कोई जल्दी नहीं मरना चाहता, न पत्नी और न पति। हाँ बिलकुल लाचार ही हो जाए और मौत मांगने लगे तो बात और है। बाकी सब सोचने की बातें हैं सोचते रहिए।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com