tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post6978117703123167027..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: टिप्पणियों का जलजला और एक माडरेटर का धर्मसंकट ...Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-57952257758632739332011-03-20T00:55:00.190+05:302011-03-20T00:55:00.190+05:30पिछली टिप्पणी अस्पताल से ही की थी दोस्त, बहुत कुछ ...<i><br />पिछली टिप्पणी अस्पताल से ही की थी दोस्त, बहुत कुछ कह न सका, अक्षम था । अब कहने से कोई लाभ नहीं.. अस्सी के तीर से बहुत सारा पानी बह चुका है ।<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-14500013288189598472010-01-13T21:21:41.971+05:302010-01-13T21:21:41.971+05:30अब यह क्या कहना पड़ेगा कि जब बड़ों से नीर क्षीर क...अब यह क्या कहना पड़ेगा कि जब बड़ों से नीर क्षीर करने की अपेक्षा हो तो वे केवल मानसरोवर के तट से ही वापस क्यों हो लें ? <br /><br />यह तो मैंने बहुत ही शिद्दत से महसूस किया है...और सोचा है अंततः..मानवीय कमजोरियों से कहीं गहरे मे कोई भी बच नही पाता है.वरिष्ठ और भी ज्यादा गरिष्ठ भाव मन के भीतर छुपाए रहते हैं..!<br /><br />नव वर्ष की अन गिन शुभकामनायें...! आपके हर लेख प्रासंगिक होते हैं और हमेशा उनका एक विशेष व्यापक प्रयोजन भी होता है..यही बात मुझे आपको नियमित रूप से पढ़ने के लिए लालायित रखती है.Dr. Shreesh K. Pathakhttps://www.blogger.com/profile/09759596547813012220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-76549641527926443402010-01-05T01:55:47.353+05:302010-01-05T01:55:47.353+05:30:(:(डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-24264033138019634242010-01-04T15:04:43.232+05:302010-01-04T15:04:43.232+05:30चलिए, मॉडरेशन कहीं तो काम आया।
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लखनऊ बना म...चलिए, मॉडरेशन कहीं तो काम आया।<br />--------<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">लखनऊ बना मंसूरी, क्या हैं दो पैग जरूरी?</a><br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">2009 के ब्लागर्स सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन चालू है।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-29455144108354174322010-01-04T11:47:47.928+05:302010-01-04T11:47:47.928+05:30भगवान सुबुद्धि दें।भगवान सुबुद्धि दें।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-35670555898445981342010-01-04T10:11:50.351+05:302010-01-04T10:11:50.351+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-38778113323052862072010-01-04T10:11:16.476+05:302010-01-04T10:11:16.476+05:30काजल कुमार से सहमत
बी एस पाबलाकाजल कुमार से सहमत<br /><br /><a href="http://www.google.com/profiles/bspabla" rel="nofollow"> बी एस पाबला</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-37673050961400095342010-01-04T08:58:38.723+05:302010-01-04T08:58:38.723+05:30समीर जी की टिप्पणी में से "बात निकलेगी तो फिर...समीर जी की टिप्पणी में से "बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी, लोग बेवजह उदासी का सबब पूछेंगे..." पूरी रचना ही उड़ा कर रख ली है, अब इस उम्दा मिठाई को बच्चों की तरह बाद में चटखारे ले-ले कर खाउंगा...Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-21493103718757880882010-01-04T08:37:03.427+05:302010-01-04T08:37:03.427+05:30’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी...’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’<br /><br />-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.<br /><br />नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'<br /><br />कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.<br /><br />-सादर,<br />समीर लाल ’समीर’Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-62013300988026114852010-01-03T19:37:18.977+05:302010-01-03T19:37:18.977+05:30दोस्ती एक बहुत प्यारा रिश्ता है, वो रिश्ता जिसे हम...दोस्ती एक बहुत प्यारा रिश्ता है, वो रिश्ता जिसे हम बनाते है..आपकी सारी बात सही लेकिन एक अच्छा दोस्त वो है जो आपको आपकी कमियो के बारे मे बताये, अच्छाइयो पर appreciate भी करे..<br /><br />ग्यान जी की चिन्ता भी कुछ ऐसी ही है न कि हिन्दी ब्लाग्स मे हम एक दूसरे के दोस्त और दुश्मन बनते जा रहे है और इससे ग्रुपिज़्म हो रहा है...और इससे जो अच्छे और होनहार ब्लागर्स है उन्हे इतने लोग विजिट नही करते जितना इन ग्रुप वाले ब्लागर्स को..<br /><br />kshama करियेगा, आज मन बडा kshubdh है ये पोस्ट भी पढी आज ही-<br />http://murakhkagyan.blogspot.com/2009/10/blog-post_13.htmlPankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-19436841919931328182010-01-03T17:12:03.505+05:302010-01-03T17:12:03.505+05:30नये साल की समस्य शुभकामनायें मिश्र जी!
बेनामी टिप...नये साल की समस्य शुभकामनायें मिश्र जी!<br /><br />बेनामी टिप्पणी अपनी-सी लगी। कुछ-कुछ अपने से ही भाव....गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-5617806075286484122010-01-02T16:46:21.962+05:302010-01-02T16:46:21.962+05:30अर्विंद जी , आप ही नही हम सब इन्हे बहुत समय से सहन...अर्विंद जी , आप ही नही हम सब इन्हे बहुत समय से सहन करते आ रहे थे, सोच रहे थे कि चलो कोई ऎसा करता है तो करे ,कही हम से ना किसी का दिल ना दुखे, लेकिन हम सब की सहन शक्ति को कोई हमारी कमजोरी समझे तो फ़िर इस के सिवा कोई अन्य रास्ता नही, वेसे ताऊ ने सही लिखा है कि नंगो की बरात मै कपडे वालो का क्या मान, हम भी एक दुसरे के लेखो पर आलोचक टिपण्णिया देते है लेकिन आनदर से या बेहुदगी से नही, धमकी रुप से नही, चलिये जो हुया सो उस से अब उन्हे सबक लेना चाहिये, ओर हमे भी.<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-25779718719304957702010-01-02T09:49:47.063+05:302010-01-02T09:49:47.063+05:30नये साल की रामराम तो हो ही चुकी है. जो कुछ घटनाक्र...नये साल की रामराम तो हो ही चुकी है. जो कुछ घटनाक्रम और माहोल चल रहा है उससे सिवाय दुखित होने के कुछ नही किया जा सकता. नंगो की बारात मे आपके कपडे कब तक बचेंगे? बहुत दुखद है.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-82600233413817901952010-01-02T09:10:22.867+05:302010-01-02T09:10:22.867+05:30डाक्टर साहब ये तो मानना ही पड़ेगा कि सुमन जी नें ...डाक्टर साहब ये तो मानना ही पड़ेगा कि सुमन जी नें ब्लाग्स में अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए जो "तरीका" अपनाया है वह काफी लोकप्रिय हो चला है! आप ही बतायें कि सभी प्रकार की प्रविष्टियों में दर्ज ये "टिप्पणी संमभाव" लेखक के प्रति 'स्थितिप्रज्ञता'है या फिर कुछ और ?उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-86417302617329484172010-01-02T08:47:22.148+05:302010-01-02T08:47:22.148+05:30और हम तो
:)
और
nice
लिख पाने की हिम्मत ना कर...और हम तो <br />:)<br /><br /><br />और <br />nice <br /><br />लिख पाने की हिम्मत ना कर सके? <br /><br />सो उनका क्या?<br />चलिए कुछ नया आरंभ करें......प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-25275251893504187692010-01-02T08:45:10.566+05:302010-01-02T08:45:10.566+05:30आपको नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनाएं!!!!!आपको नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनाएं!!!!!प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-78034190258906605052010-01-02T08:00:42.471+05:302010-01-02T08:00:42.471+05:30आपकी पिछली पोस्ट पर टिपण्णी बढ़ने पर टी आर पी बढ़न...आपकी पिछली पोस्ट पर टिपण्णी बढ़ने पर टी आर पी बढ़ने का एक उलाहना मेरा भी था ....मगर वह किसी रोमांच को अनुभव कर नहीं किया गया था ...जिसमे दुःख , क्रोध और सहानुभूति भी शामिल थी ...लाख असहति के बावजूद आप यह तो मानेगे ही ना ...<br />राम लक्ष्मन और शूर्पनखा पौराणिक कहानियों के पात्र हैं जो मानव के अच्छे और बुरे चेहरे की इन्गिति मात्र हैं ...दरअसल प्रत्येक पुरुष में राम और रावण एक साथ मौजूद होते हैं , वही यह भी कह सकते हैं कि एक ही महिला में सीता और शूर्पनखा दोनों के ही गुण अवगुण एक साथ मौजूद हो सकते हैं ...मगर क्या जरुरी है सारा फोकास अवगुणों पर डाला जाए ...आखिरकार आदम सभ्यता को हम बहुत पीछे छोड़ आये हैं ...<br />आपकी विद्वता पर हमें कोई संदेह ना पहले था और ना अभी है ...मगर सोच कर बताएं कि हम अपने परिजनों को दुर्व्यवहार से बचने की सीख देते है या नहीं ...अभिभावक के रूप में हमारी कोशिश यही तो होती है कि हम उनके भीतर के रावण को उनके राम तत्त्व पर हावी ना होने दे ...और जिन पर हमें अपार स्नेह हो , उनकी उद्दंडता के लिए टोकना हमारा कर्तव्य ही तो है ...<br />नए वर्ष में नायक वर्णन पर शीघ्रातिशीघ्र आपकी प्रविष्टियों का इन्तजार रहेगा ....अपने मन से विषाद मिटायें और अपनी रचनात्मता पर ध्यान केन्द्रित करे ....<br /><br />बहुत शुभकामनायें ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-84155544700763375352010-01-02T07:06:53.536+05:302010-01-02T07:06:53.536+05:30अनाम मित्र ,मुक्ति ,हिमांशु ,
मैं समझ सकता हूँ .....अनाम मित्र ,मुक्ति ,हिमांशु ,<br />मैं समझ सकता हूँ .....अभी भी आपको मुझमें आशायें दिखती हैं ..क्या करिये..एक उस बेल्ट से हूँ कबीलाई मन और काबिलियित की रेखा टूट सी जाती है कभी कभी ...हम राम कहाँ हो पायेगें ..?लक्षमणवत हो जाना एक संस्कार का प्रभावी हो जाना है यदा यदा ...दुखी मैं भी हूँ इसलिए की मेरे कुछ मित्र दुखी हैं ...मगर फिर वही संस्कार ....अब लक्ष्मण ने सूर्पनखा की नाक क्यों काट ली थी ? और विषाद यह कि राम की भी उसमें सहमति रही ....वह भी शायद रचनाकार का मानसिक उद्वेग ही रहा हो ....या फिर कुछ घटा हो वर्णित से भी अधम .....या नहीं भी .....नाक कटना तो एक मुहावरा ही है न ?<br />बाकी आपका मुझमें विश्वास मुझे संबल देता है और विश्वास कीजिये आपको निराश नहीं करूँगा .......<br />इंगित कविता मैंने पढ़ ली है -कमेन्ट भी वही छोड़ आया हूँ आज भी मन बहुत विषन्न है रोना सा आ रहा है ....<br />कोई तो मुझे समझे .....<br />वाद विवाद भी वहीं होता है जहाँ हम मन से किसी को नहीं समझ पाते और एक संवादहीनता तिर आती है सम्बन्धों में !<br />आईये हम मनसे एक दूसरे को समझने की एक चेष्टा तो करें ...विवाद किस बात का ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-30744426857967530952010-01-02T06:41:58.950+05:302010-01-02T06:41:58.950+05:30"इस नई दुनिया का रोमांच तो बस अनुभव ही किया ज..."इस नई दुनिया का रोमांच तो बस अनुभव ही किया जा सकता है ,पूरी तरह शायद शब्दों में व्यक्त करना संभव भी नहीं है ...."<br /><br />सत्य है ! पर कुछ-कुछ झलक दे गये हैं आप उस रोमांच की इस आलेख में ! पिछली पोस्ट की टिप्पणियों से यह आलेख स्वतःस्फूर्त निकल आना सहज ही था ! यह आया और आश्वस्ति हुई ! <br /><br />मुक्ति जी ने <a href="http://feministpoems.blogspot.com/2010/01/blog-post.html" rel="nofollow">एक प्रासंगिक कविता</a> लिखी है, पहुँचिये वहाँ ! <br /><br />यह आलेख, इसके लिखने का सहज-स्फूर्त भाव और इसके पीछे की संवेदना - यही आपको बड़ा बनाते हैं हम जैसों के लिये !Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-61414899397876792182010-01-02T06:22:43.128+05:302010-01-02T06:22:43.128+05:30:) :) :):) :) :)सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-72419808631933009532010-01-02T02:04:06.367+05:302010-01-02T02:04:06.367+05:30अरविन्द जी, आपकी पिछली पोस्ट पर आयी टिप्पणियों से ...अरविन्द जी, आपकी पिछली पोस्ट पर आयी टिप्पणियों से मेरा मन तो इतना आहत हो गया कि मेरे नये साल का सारा आनंद जाता रहा. मैं अकादमिक क्षेत्र से हूँ, शायद इसीलिये किसी के व्यक्तित्त्व के ऊपर इतनी छिछली टिप्पणियाँ सुनने और पढ़ने की आदत नहीं है. किसी से समर्थन या विरोध जताने के शिष्ट तरीके भी हो सकते हैं. <br />वैसे आपका यह लेख भी अन्य लेखों की तरह अत्यधिक रोचक है. नववर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!!muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-36031483374084774262010-01-01T23:52:23.288+05:302010-01-01T23:52:23.288+05:30नववर्ष आप के लिए मंगलमय हो!
नया साल नई खुशियाँ ले...नववर्ष आप के लिए मंगलमय हो! <br />नया साल नई खुशियाँ ले कर आए!<br />आप ने ठीक समीक्षा कर दी है घटना-दुर्घटना की। <br />नए वर्ष में नया आरंभ करें। कुछ ज्ञान बाँटें आपस में।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-46527718074697811562010-01-01T23:48:50.871+05:302010-01-01T23:48:50.871+05:30नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाऍं !नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाऍं !अर्कजेशhttp://www.arkjesh.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-49647853438873020102010-01-01T23:26:32.145+05:302010-01-01T23:26:32.145+05:30नये वर्ष की शुभकामनाओं सहित
आपसे अपेक्षा है कि आ...नये वर्ष की शुभकामनाओं सहित <br /><br />आपसे अपेक्षा है कि आप हिन्दी के प्रति अपना मोह नहीं त्यागेंगे और ब्लाग संसार में नित सार्थक लेखन के प्रति सचेत रहेंगे। <br /><br />अपने ब्लाग लेखन को विस्तार देने के साथ-साथ नये लोगों को भी ब्लाग लेखन के प्रति जागरूक कर हिन्दी सेवा में अपना योगदान दें। <br /><br />आपका लेखन हम सभी को और सार्थकता प्रदान करे, इसी आशा के साथ <br /><br />डा0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर <br /><br />जय-जय बुन्देलखण्डराजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-91228081805687272952010-01-01T23:08:44.633+05:302010-01-01T23:08:44.633+05:30आदरणीय अरविन्द जी
नव वर्ष मंगलमय हो
आपसे बहुत श...आदरणीय अरविन्द जी <br />नव वर्ष मंगलमय हो <br /><br />आपसे बहुत शिकायतें हैं ......... कहते हैं कि शिकायत भी अपनों से होती हैं ! अब आप बड़े हो जाईये ..... लड़कपन नहीं सुहाता ! ये छोटा सा गाँव सरीखा ब्लॉग जगत .......... उँगलियों पे गिनने लायक कुछ लोग हैं जिनसे मैं प्रभावित हूँ ! <br /><br />पिछले कुछ दिनों से ऐसा प्रतीत हुआ जैसे आप मजमे का जवाब मजमा लगाने से दे रहे हों ! क्या मैं इसको शक्ति प्रदर्शन मान लूं ? जैसे विधान सभा के चुनावों में बाहुबली लोग करते दिखाई देते हैं ? <br /><br />आप जैसे बुद्धिजीवी से ब्लॉग जगत को बहुत आशाएं हैं !Anonymousnoreply@blogger.com