tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post684468790617821633..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: गुरु प्रसंग!Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger38125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-7275244957734243162011-07-18T02:08:18.739+05:302011-07-18T02:08:18.739+05:30जे पर के अवगुण लखे, अपने राखे गूढ़,
सो भगवत के चो...जे पर के अवगुण लखे, अपने राखे गूढ़, <br />सो भगवत के चोर हैं, मंदमती जड़ मूढ़।<br />मंदमती जड़ मूढ़, करे निंदा जो पर की,<br />बाहर भरमें फिरे, डगर भूले निज घर की।<br />गंगादास बेगुरु पते पाए न घर के,<br />वो पगले हैं आप, पाप देखें जो पर के।<br />These were the lines I wanted to post which I miss ,regarding Guru .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-16385389258897143102011-07-17T20:43:36.332+05:302011-07-17T20:43:36.332+05:30जाका गुरु है आंधरा चेला निपट निरंध अँधा अंधरो ठेल...जाका गुरु है आंधरा चेला निपट निरंध अँधा अंधरो ठेलियो दोऊ कूप परंत<br />.....कबीर की वाणी है इस युग में भी शत- प्रतिशत सही !<br />मेरे विचार में गुरु हो तो चाणक्य की तरह ...Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-27114015986428256342011-07-17T20:22:14.191+05:302011-07-17T20:22:14.191+05:30गुरु पौर्णिमा के अवसर पर बहुत ही सरस लेख । सांदीपन...गुरु पौर्णिमा के अवसर पर बहुत ही सरस लेख । सांदीपनी ऋषि और उनके शिष्य आरुणि की एक कथा याद आ रही है । गुरु शिष्य की परीक्षा लेनेा चाहते थे । उन्होने आरुणि को खेतों की रखवाली की जिम्मेदारी दे दी आरुणी ने खेत की चारों तरफ मींड बनाना शुरु किया क्यूं कि बारिश के दिन थे । एक कच्चे बांध से खेतों के लिये पानी की व्यवस्था थी । एक दिन भयंकर बारिश और तूफान के चलते बांध टूट गया और खेतों में पानी घुसने लगा तो आरुणी ने बहुत कोशिश की कि वह बांध की दीवार को फिर बना ले पर हुआ नही तो वह स्वयं ही वहां लेट गया और शाम तक वहीं लेटा रहा पर खेत बचा लिये । शाम को आरुणि को ना पाकर गुरु ढूँढते हुए खेतों में आये तो उसे वहां अचेत पाया । गुरु आरुणि की इस गुरु निष्ठा से बहुत प्रसन्न हुए । तो ऐसे शिष्य भी थे । एकलव्य तो शिष्योत्तम था ही । <br />आप मेरे ब्लॉग पर आये बहुत अच्छा लगा ।<br />मै तो मेरी बडी ननद कुसुम ताई को ही गुरु मानती हूँ । उनसे मैने काफी कुछ सीखा है ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-86621751501887531552011-07-17T17:45:02.167+05:302011-07-17T17:45:02.167+05:30आपके ज्ञान के आगे नतमस्तक हूँ . सदैव की भांति उत्त...आपके ज्ञान के आगे नतमस्तक हूँ . सदैव की भांति उत्तम पोस्ट.Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-25981492951113937182011-07-17T12:46:52.454+05:302011-07-17T12:46:52.454+05:30गुरु पर्व पर शुभकामनाएँ...अच्छा चिन्तन!!गुरु पर्व पर शुभकामनाएँ...अच्छा चिन्तन!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-38090959813558690872011-07-17T11:38:49.571+05:302011-07-17T11:38:49.571+05:30अति श्रेष्ठ चिंतन, शुभकामनाएं,
रामराम.अति श्रेष्ठ चिंतन, शुभकामनाएं,<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-37552921699137385882011-07-17T09:06:02.338+05:302011-07-17T09:06:02.338+05:30बिन गुरु ज्ञान कहाँ से पाऊँ ,दी जो ज्ञान हरी गुण ग...बिन गुरु ज्ञान कहाँ से पाऊँ ,दी जो ज्ञान हरी गुण गाऊँ ,<br />सब गुनिजन पे तुमरो .राज ,<br /> .......<br />शुक्रिया गुरु देव .<br />वीरुभाई .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-72386402900922895952011-07-17T08:24:43.687+05:302011-07-17T08:24:43.687+05:30bahut dneya vad aap mare blog ko sarake lekha muje...bahut dneya vad aap mare blog ko sarake lekha muje aacha laga<br /><br />abhut sundarvidhyahttps://www.blogger.com/profile/04419215415611575274noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-12732119770205146382011-07-16T21:09:02.609+05:302011-07-16T21:09:02.609+05:30मैकाले का अनुसरण करेंगे तो इस तरह के पतन की पुनर...मैकाले का अनुसरण करेंगे तो इस तरह के पतन की पुनरावृत्ति स्वाभाविक है..आशुतोष की कलमhttps://www.blogger.com/profile/05182428076588668769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-3461484506025939902011-07-16T18:20:28.741+05:302011-07-16T18:20:28.741+05:30न गुरु मिले न गोविंद.... अब गुरुगंटाल की प्रतीक्षा...न गुरु मिले न गोविंद.... अब गुरुगंटाल की प्रतीक्षा है :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-77430594227993205832011-07-16T15:35:20.036+05:302011-07-16T15:35:20.036+05:30@shilpa mehta
वेतन लेकर पढ़ाना किसी प्रकार से गुरु...@shilpa mehta<br />वेतन लेकर पढ़ाना किसी प्रकार से गुरुता में कमी नहीं लाता। लेकिन वेतन लेकर न पढ़ाना या गलत शिक्षा देना जरूर गम्भीर बात है। ऐसे शिक्षम अधम होते हैं जो वेतन मिलने के बाद भी अपना काम नहीं करते। यदि आपको ऐसा अवसर मिला है कि आप अपनी जीविका की चिंता किये बिना अपने शिष्यों को ज्ञान दे सकते हैं तो इसमें कोताही नहीं होनी चाहिए। जो शिक्षक अपने छात्रों को समय की पाबंदी से पढ़ाते हैं उन्हें (वेतन के साथ) अत्यधिक सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-62752492032502831252011-07-16T10:30:27.471+05:302011-07-16T10:30:27.471+05:30guruparv pe is jagat me avasthit sabhi guruon ko m...guruparv pe is jagat me avasthit sabhi guruon ko mujh balak ke taraf<br />se hardik abhinandan...............<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-8683644914622333832011-07-16T10:29:54.375+05:302011-07-16T10:29:54.375+05:30गुरु पूर्णिमा के बहाने पहले तो आपने गुरु की विषद ...गुरु पूर्णिमा के बहाने पहले तो आपने गुरु की विषद व्याख्या की,फिर उपदेश देते हुए आपने गुरु होने का लाभ भी ले लिया.वैसे आप 'गुरु-घंटाल' की श्रेणी में नहीं आते हैं !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-92105047598746289722011-07-16T10:00:30.213+05:302011-07-16T10:00:30.213+05:30पोस्ट तो मस्त है ही, टिप्पणियां भी बहुत रोचक हैं।पोस्ट तो मस्त है ही, टिप्पणियां भी बहुत रोचक हैं।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-65208355999116426852011-07-16T09:23:26.563+05:302011-07-16T09:23:26.563+05:30गुरु पर्व पर गुरु महिमा में जो कुछ कहा गया इससे आग...गुरु पर्व पर गुरु महिमा में जो कुछ कहा गया इससे आगे अब कहने को कुछ शेष नहीं है .अप्रतिम .अरविन्द भाई आपकी पोस्ट .विश्लेषण परख पारखी दृष्टि.शुक्रिया अरविन्द भाई .स्केनिंग इलेक्त्रों माइक्रो -स्कोप सी नजर रखतें हैं आप .<br />अरविन्द भाई मुआफी चाहता हूँ मेरी टिपण्णी में दो स्टेशन एक साथ लग गए .कोपी करने में त्रुटी रह गई<br />सत की नाव खेवटिया सत गुरु भाव सागर से तारे .उधों मोहे संत सदा अति प्यारे .हम इस मामले में बड़े भाग्य शाली रहे .कक्षा १० के पहले की कोई छाप नहीं सिर्फ बैंत की मार याद है हाफ़िज़ साहब की (मुस्लिम स्कूल ,बुलंदशहर )या याद है कादिर साहब की पी टी .सूफिजी का पानदान जो वह कक्षा में भी ले आते थे उस दौर में (१९५८-५९ ).लेकिन उसके बाद इंटर -मीडिएट साइंस (डी ए वी इंटर कोलिज बुलंद शहर )में हिंदी -अंग्रेजी -रसायन शाश्त्र के बेहतरीन शिक्षक मिले .बाद उसके सागर विश्विद्यालय (सीधे यूनिवर्सिटी टीचिंग डिपार्टमेंट्स )में बी एस सी २ईयर में प्रवेश से एम् एस सी तक एक से बढ़ कर एक प्रभाव शाली शिक्षक मिले .हम ताउम्र उस स्तर न आ सके .कोशिश करते रहे उनके पद चिन्हों पर चलें .गुरु की प्रासंगिकता सार्वकालिक और सार्वत्रिक है .बहुत अच्छे लेख के लिए बहुत बहुत बधाई .शुक्रिया अरविन्द भाई .शिष्य भाव से जीनी के अपना लुत्फ़ोआनन्द है .<br />जब मैं था तब गुरु नहीं .........प्रेम गली अति सांकरी टा मैं दो न समाई .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-45032433303944829022011-07-16T09:01:16.206+05:302011-07-16T09:01:16.206+05:30अभिव्यक्ति की सांद्रता रचना और ग़ज़ल में एक रिदम ब...अभिव्यक्ति की सांद्रता रचना और ग़ज़ल में एक रिदम बनाए चलती है .कोई दूरी नहीं दोनों में -चाँद पे बस्ती बन गई तो बच्चा कैसे कहेगा -मैया मैं तो चन्द्र खिलौना लूंगा ..शुक्रिया विद्या जी आप ब्लॉग पर आई .अक aa<br />गुरु पर्व पर गुरु महिमा में जो कुछ कहा गया इससे आगे अब कहने को कुछ शेष नहीं है .अप्रतिमविंड भाई पोस्ट .विश्लेषण परख पारखी दृष्टि.शुक्रिया अरविन्द भाई .स्केनिंग इलेक्त्रों माइक्रो -स्कोप सी नजर रखतें हैं आप .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-7345306514128695102011-07-16T07:57:32.027+05:302011-07-16T07:57:32.027+05:30@शिल्पा मेहता
शब्द शब्द से सहमत !@शिल्पा मेहता<br />शब्द शब्द से सहमत !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-75690490383716685572011-07-16T00:46:31.699+05:302011-07-16T00:46:31.699+05:30ऒऎ.. तेरी की,
ईहाँ गुरुअई की बातें हो रहीं है,
अउ...<i>ऒऎ.. तेरी की, <br />ईहाँ गुरुअई की बातें हो रहीं है,<br />अउर ऊहाँ गुरुअन का डाइभर्जीफिकेसन तेजी से चल रहा है..<br />क्रैश-कोर्स है जी, जो चाहिये चुन लीजिये मैनेजमेन्ट गुरु, हाई-टेक गुरु, योगा गुरु, भोगा-गुरु, हड़ताली गुरु, खड़ताली गुरु, ढीले-लँगोट गुरु, पहुँचे गुरु, गुरुओं के गुरु ... कहाँ तक गिनवायें ।<br />हम चुप्पै अपने उन गु्रुओं को स्मरण कर शीष नवा लेते हैं, जिन्होंनें मुझे यहाँ तक पहुँचाया कि अपनी अलग पहचान बन जाये ।<br /></i>डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-52744668838730658132011-07-15T21:11:04.687+05:302011-07-15T21:11:04.687+05:30गुरु और लघु का हमेशा युग्म रहा है , अगला व्यक्ति अ...गुरु और लघु का हमेशा युग्म रहा है , अगला व्यक्ति अगर गुरु है तो आप स्वतः लघु हो जाते हैं और उसकी गुरुता आपके लघुता के एहसास की मात्रा के समानुपाती होती है ।rajani kanthttps://www.blogger.com/profile/01145447936051209759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-48118073619072537292011-07-15T20:04:28.387+05:302011-07-15T20:04:28.387+05:30भीतर अगर शिष्यत्व हो तो गुरु के दर्शन हर जगह होते ...भीतर अगर शिष्यत्व हो तो गुरु के दर्शन हर जगह होते हैं। शिक्षा और गुरुता के कई स्तर होते हैं और अनुभूति के हर स्तर पर गुरु सदैव पूजनीय हैं। एक ही गुरु नहीं हो सकता । गुरु एक दीपक की तरह है जो रोशनी देता है चलना काम है शिष्य का ।रजनीश तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/10545458923376138675noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-82623074583232926592011-07-15T19:29:17.330+05:302011-07-15T19:29:17.330+05:30सही लिखा है अरविन्द जी . गुरु शिष्यों के सम्बन्ध अ...सही लिखा है अरविन्द जी . गुरु शिष्यों के सम्बन्ध अब हर क्षेत्र में खात्मे की ओर हैं . दुःख होता है हालात को देखकर .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-23247157361067085442011-07-15T18:32:25.128+05:302011-07-15T18:32:25.128+05:30@ अरविन्द जी,
सामान्यतः गुरु शब्द से वज़न / श्रेष्...@ अरविन्द जी,<br />सामान्यतः गुरु शब्द से वज़न / श्रेष्ठता का बोध होता है ! अब इसे ज्ञान से जोड़कर देखें याकि घंटाल से अथवा (गुरु)डम से !<br />बहरहाल माइनस कहें या प्लस , दोनों ही दिशाओं में इसका कोई जोड़ / सानी नहीं है !<br /><br />तबियत हरी करने वाले शिष्यों को श्राप नहीं देकर आपने सतगुरु की लाज रखली !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-91338249647772808172011-07-15T17:00:02.071+05:302011-07-15T17:00:02.071+05:30गुरू में 36 गुण होने अनिवार्य है और शिष्य में मात्...गुरू में 36 गुण होने अनिवार्य है और शिष्य में मात्र दो…विनय और ज्ञानार्जन की कामना!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-2119232744254934462011-07-15T16:30:18.342+05:302011-07-15T16:30:18.342+05:30मेरे ख़याल से लफडा तब होता है जब हम "गुरु जी&...मेरे ख़याल से लफडा तब होता है जब हम "गुरु जी" (अर्थात अनुभवों) से सीख नहीं लेते <br /><br /><br />हैप्पी गुरु-पूर्णिमा :)एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-7983696347325780002011-07-15T16:27:07.755+05:302011-07-15T16:27:07.755+05:30अनुभवों से बढ़ कोई गुरु होता है क्या ? .. कटु अनुभ...अनुभवों से बढ़ कोई गुरु होता है क्या ? .. कटु अनुभव मतलब "गुस्से वाले गुरु जी" (दिल से बुरे नहीं हैं) , मीठे अनुभव : "गुरु जी खुश हैं"एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.com