tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post6722278532108050769..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: वे मुझसे मिलने आयीं भरत मिलाप देखने के बहाने !Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-37318344008627778982009-10-04T07:56:08.919+05:302009-10-04T07:56:08.919+05:30अभिषेक जी, बनारस से वरुणा एक्सप्रेस लखनऊ आती है। व...अभिषेक जी, बनारस से वरुणा एक्सप्रेस लखनऊ आती है। वैसे बहुत सी ट्रेने हैं। ए.सी बस सुविधा भी उपलब्ध है। आगे आप खुद समझदार हैं।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-67871967533582623032009-10-04T06:40:38.575+05:302009-10-04T06:40:38.575+05:30@अभिषेक ,कितनी बार तो कहा है ,लीजिये अब यह लिखित अ...@अभिषेक ,कितनी बार तो कहा है ,लीजिये अब यह लिखित अनुरोध भी हो गया !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-743662586946397682009-10-03T23:30:38.705+05:302009-10-03T23:30:38.705+05:30कभी हम भी आते हैं आपसे मिलने. पुराने तो नहीं नए दो...कभी हम भी आते हैं आपसे मिलने. पुराने तो नहीं नए दोस्त ही सही :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-81895421296336766182009-10-03T19:01:30.959+05:302009-10-03T19:01:30.959+05:30आनंद आ गया. रामनगर की रामलीला के बारे में जानकार ब...आनंद आ गया. रामनगर की रामलीला के बारे में जानकार बहुत आश्चर्य हुआ. आभार.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-8953583035622317642009-10-03T18:02:13.516+05:302009-10-03T18:02:13.516+05:30ग्रुप फोटो बड़ा कर के देखा। आप तो एकदम भीमकाय नज़र...ग्रुप फोटो बड़ा कर के देखा। आप तो एकदम भीमकाय नज़र आ रहे हैं। खलनायक के लिए उपयुक्त मटेरियल !गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-73840548793631803622009-10-03T16:54:20.000+05:302009-10-03T16:54:20.000+05:30आपके आनंद से हम भी आनंदित हुए....
वैसे बहुत कुछ न...आपके आनंद से हम भी आनंदित हुए....<br /><br />वैसे बहुत कुछ नया जाने का भी अवसर मिला आपके इस संस्मरणात्मक आलेख से...<br /><br />यदि हो सके तो मुझे अपना ई मेल आई डी दीजिये...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-75405075621053501382009-10-03T15:52:24.967+05:302009-10-03T15:52:24.967+05:30बहुत सुंदर् विवरण, पुराने दोसतो से मिलना बहुत अच्छ...बहुत सुंदर् विवरण, पुराने दोसतो से मिलना बहुत अच्छा लगता है, बाकी इस नेवीगेशन के बिना, हम तो यहां निकम्मे ही हओ जाये, पहले नकशे ओर कागज पेंसिल मै अधध्यन करना करना पडता था, अब इस नेवी के सहारे चलते है.<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-36970415859336910542009-10-03T14:17:35.008+05:302009-10-03T14:17:35.008+05:30यह भी तो एक प्रकार का "भरत मिलाप" ही रहा...यह भी तो एक प्रकार का "भरत मिलाप" ही रहा।<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-77426177313077517862009-10-03T12:55:57.758+05:302009-10-03T12:55:57.758+05:30"यह कारनामा था कार्तिकेय के मोबाईल में जी पी..."यह कारनामा था कार्तिकेय के मोबाईल में जी पी एस प्रणाली का जो उन्हें ३ मीटर की डिटेल्स के साथ रास्ता बताता जा रहा था !"<br />अब तो शरद पावर जी भी इसका प्रयोग करेंगे....राजशेखर रेड्डी के गुज़र जाने के बाद का पाठ!!!चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-67377633613464523652009-10-03T12:25:30.412+05:302009-10-03T12:25:30.412+05:30सरलता,सहजता, विनम्रता ही मनुष्य के कद को ऊंचा रखती...<b>सरलता,सहजता, विनम्रता ही मनुष्य के कद को ऊंचा रखती है </b>-ये तो सुन्दर बात कह दी आपने।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-25316540436401929662009-10-03T12:08:37.670+05:302009-10-03T12:08:37.670+05:30सुन्दर प्रस्तुति।
सुखद मिलन बढ़िया रहा।सुन्दर प्रस्तुति।<br />सुखद मिलन बढ़िया रहा।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-25733314052623139312009-10-03T11:20:27.439+05:302009-10-03T11:20:27.439+05:30कमाल की चीज है जीपीएस। कितने में ली जा सकती है?
औ...कमाल की चीज है जीपीएस। कितने में ली जा सकती है? <br />और जितना बड़ा व्यक्ति हो - उसकी पहचान उसकी विनम्रता से ही होती है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-81472144011874767612009-10-03T11:17:01.045+05:302009-10-03T11:17:01.045+05:30पुराने दोस्तों से मिलना वाकई सुखद होता है..
सरलता...पुराने दोस्तों से मिलना वाकई सुखद होता है..<br /><br /><i>सरलता ,सहजता ,विनम्रता ही मनुष्य के कद को ऊँचा रखती है</i> बिल्कुल सही कहा आपने..<br /><br /><br />जी पी एस टेक्नॉलॉजी बहुत कमाल है.. जयपुर की रेडियो टैक्सी में देखी जा सकती है..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-30009447416621019572009-10-03T11:01:02.108+05:302009-10-03T11:01:02.108+05:30बहुत बहुत बधाई जी पुराने दोस्तों से मिलने कीबहुत बहुत बधाई जी पुराने दोस्तों से मिलने कीनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-59951927115623138572009-10-03T10:52:02.548+05:302009-10-03T10:52:02.548+05:30बहुत खुशी हुई आपके प्रस्तुति का तरीका लाजवाब हैबहुत खुशी हुई आपके प्रस्तुति का तरीका लाजवाब हैMishra Pankajhttps://www.blogger.com/profile/02489400087086893339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-13653846266359317382009-10-03T09:56:34.297+05:302009-10-03T09:56:34.297+05:30पुराने मित्रो से मिलना बहुत सुखद होता है और फ़िर कं...पुराने मित्रो से मिलना बहुत सुखद होता है और फ़िर कंचन जी जैसे बहुत कम ही होते है जो इस ओहदे पर पहुंच कर भी प्रोफ़ेशनल बैचमेट या सरकारी आतिथ्य को छोड अपने स्कूल/कालेज के मित्रो के घर रुके।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.com