tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post6615513701157078930..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: गैंग्स आफ वासेपुर देखने जाना हो या न जाना हो, यह पढ़ जरुर लीजिये!Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-92133882937051130472012-07-20T20:32:57.171+05:302012-07-20T20:32:57.171+05:30फिल्म में और भी कई चीजें हैं. पीपली लाइव,तनु वेड्स...फिल्म में और भी कई चीजें हैं. पीपली लाइव,तनु वेड्स मनू, पान सिंह तोमर ,..वासेपुर इत्यादि फिल्मों के सहारे हिन्दी सिनेमा के फिल्मांकन में उत्तर आधुनिक दृष्टिकोण का हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है. जैसे shift to ancillary realities and giving them focal treatment, increased colloquial essence in the treatment of love scenes & dialogues.गालियों का बढ़ता प्रयोग इसी श्रृंखला में एक कड़ी कही जा सकती है. अब मुख्य पात्र स्विट्जरलैण्ड की आन्चलिकता के बजाय लुंगी गंजी पहने, चारा मशीन के आगे स्टाईल मारते है.अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-38153738878957670522012-07-12T15:57:05.409+05:302012-07-12T15:57:05.409+05:30फिल्म की कहानी से थोड़ा परिचित था...हमारे एक मित्र...फिल्म की कहानी से थोड़ा परिचित था...हमारे एक मित्र रवि जी वासेपुर के ही रहने वाले हैं और बहुत पहले से ही उनके जरिये सुनता आया हूँ वहाँ की कहानी...फिल्म में जो भी दिखाया गया है कमोबेश असली वासेपुर में वो सब होता ही है...<br />मुझे फिल्म बहुत पसंद आई थी और इसे बिना कोई झिझक के मैं चार स्टार से सकता हूँ :)abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-81384889331117320152012-07-11T08:34:53.300+05:302012-07-11T08:34:53.300+05:30रहा सवाल गाली गलौंज का ,इसका संसद से सड़क तक चलन ह...रहा सवाल गाली गलौंज का ,इसका संसद से सड़क तक चलन है .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-84012181260200010452012-07-11T08:33:44.417+05:302012-07-11T08:33:44.417+05:30सबसे ज्यादा ज़रूरी लगा हर दिल अज़ीज़ अजीमतर भाई स...सबसे ज्यादा ज़रूरी लगा हर दिल अज़ीज़ अजीमतर भाई साहब को बतलाऊं प्रयोग -'पुश्तैनी' है पुश्तनी नहीं और कसाई का बहुवचन कसाइयों हो जाएगा 'कसाईयों 'नहीं जैसे भाई का भाइयों ,नाई का नाइयों हो जाता है .<br /><br />अंतर जाल टंकड़ की सीमाएं भी कई मर्तबा खुलकर सामने आतीं हैं .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-70203165757718755702012-07-11T08:31:01.181+05:302012-07-11T08:31:01.181+05:30.यह सही है कि कभी कभार तो रियल ज़िंदगी के पात्र भी....यह सही है कि कभी कभार तो रियल ज़िंदगी के पात्र भी गालियाँ बूकते हैं मगर इतना नहीं जितना निर्देशक अनुराग कश्यप इस फिल्म में हर रहीम शहीम पात्र से बोलवाते चलते हैं..इस फिल्म में गालियाँ मानो पात्रों की संवाद अदायगी की टेक सी बन गयी हों -हाँ कहीं कहीं पर वे सहज भी लगी है और वहां दर्शकों के ठहाके भी गूजे हैं! <br /><br />सबसे ज्यादा ज़रूरी लगा हर दिल अज़ीज़ अजीमतर भाई साहब को बतलाऊं प्रयोग -'पुश्तैनी' है पुश्तनी नहीं और कसाई का बहुवचन कसाइयों हो जाएगा 'कसाईयों 'नहीं जैसे भाई का भाइयों ,नाई का नाइयों हो जाता है .<br /><br />अंतर जाल टंकड़ की सीमाएं भी कई मर्तबा खुलकर सामने आतीं हैं .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-86723442862217656772012-07-10T02:13:25.738+05:302012-07-10T02:13:25.738+05:30पढ़ लिखा. और देख भी लिया :)पढ़ लिखा. और देख भी लिया :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-74157158037237882932012-07-09T22:39:44.714+05:302012-07-09T22:39:44.714+05:30फिल्म तकनीकी रूप से बेहतरीन है, संगीत भी उम्दा... ...फिल्म तकनीकी रूप से बेहतरीन है, संगीत भी उम्दा... संवाद पर थोडा अफ़सोस होता है.. लेकिन बिल्कुल जड़ को पकड़ कर लिखी गयी फिल्म है... कुछ भी काल्पनिक नहीं है... गावं के गुंडे यही भाषा का इस्तमाल करते हैं... हाँ इसे परदे पर दिखाना सही है या गलत ये दूसरा मुद्दा है.... बाकी सब ठीक है...Shekhar Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02651758973102120332noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-59991241035051114592012-07-09T19:05:00.551+05:302012-07-09T19:05:00.551+05:30पिक्चर बकवास लगी बेवजह गालियाँ नहीं होती तो शायद अ...पिक्चर बकवास लगी बेवजह गालियाँ नहीं होती तो शायद अच्छी हो सकती थी ...<br />आभारSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-31802956082523581312012-07-09T08:34:35.773+05:302012-07-09T08:34:35.773+05:30*** bhee zyaada de diye aapne bhai saab...ye film ...*** bhee zyaada de diye aapne bhai saab...ye film ** ke bhee laayak nahee hai....na sar na pair...सुरेन्द्र "मुल्हिद"https://www.blogger.com/profile/00509168515861229579noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-13004164024938598352012-07-09T05:26:14.208+05:302012-07-09T05:26:14.208+05:30खुलके स्टार्स लगाओ भाई साहब और ये कोई आंचलिक (पुर...खुलके स्टार्स लगाओ भाई साहब और ये कोई आंचलिक (पुरबिया बोली की बानगियाँ नहीं हैं ,हमारी राष्ट्रीय गालियाँ हैं ,यकीन न हो तो चैन्नोई के किसी वेटर के कान में कह के देख लो तेरी माँ की ....,लुंगी हिलाता हुआ आपके ऊपर चढ़ जाएगा ,भले हिंदी विमुख हैं चेंनैया "बढिया से भी बढिया चर्चा ,प्रस्तुति .मनोज बाज पै का नाम राष्ट्रीय पुरूस्कार के लिए तस्दीक करो डर्टी पिक्चर की बालन से कम हुनर मन्द नहीं हैं मनोज बाज पै .<br />कृपया यहाँ भी पधारें -<br /><br />शुक्रवार, 6 जुलाई 2012<br />वो जगहें जहां पैथोजंस (रोग पैदा करने वाले ज़रासिमों ,जीवाणु ,विषाणु ,का डेरा है )नै सामिग्री जोड़ी गई है इस आलेख/रिपोर्ट में .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-69402733147845430182012-07-08T23:12:23.460+05:302012-07-08T23:12:23.460+05:30अब फिल्म तो नही देखि है , लेकिन वासेपुर जरुर देखा ...अब फिल्म तो नही देखि है , लेकिन वासेपुर जरुर देखा जो फिल्म वाले वासेपुर के बिलकुल उलट है . गनीमत है वासेपुर के लोगो ने कोई विरोध नही किया ....और जिस पृष्ठभूमि और संस्कृति पर फिल्म फिल्माई गयी है , मैं भी उसी संस्कृति से हूँ ...हमारे यहाँ इतनी गालिया तो प्पगल भी नही देते ........बाकि आपने कह ही दिया ! जय हिंद !मुकेश पाण्डेय चन्दनhttps://www.blogger.com/profile/06937888600381093736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-91069031474594971912012-07-08T22:49:10.381+05:302012-07-08T22:49:10.381+05:30नहीं देखनी है है सोच लिया है.....नहीं देखनी है है सोच लिया है..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-75215744781616586662012-07-08T22:19:46.079+05:302012-07-08T22:19:46.079+05:30जिस तरह की समीक्षा है उससे लगता नहीं कि यह असभ्यों...जिस तरह की समीक्षा है उससे लगता नहीं कि यह असभ्यों वाली भाषा उस क्षेत्र विशेष की पहचान हो। अब बहुत ही बदलाव आए हैं, और निर्माता निर्देशक को यह भी ध्यान रखना चाहिए। शायद पार्ट टू में रखें।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-61291564503513218932012-07-08T20:57:16.407+05:302012-07-08T20:57:16.407+05:30@अली भाई वैसे भी प्रोफ़ेसर टाईप कालेज और क्लास से ...@अली भाई वैसे भी प्रोफ़ेसर टाईप कालेज और क्लास से बाहर निकल ही कहाँ पाते हैंArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-64313927563620980472012-07-08T20:55:10.061+05:302012-07-08T20:55:10.061+05:30इस मामले में सुब्रमनियन जी का हमख्याल हूं ! पहले स...इस मामले में सुब्रमनियन जी का हमख्याल हूं ! पहले सोचा था कहूंगा कि, डाक्टर दराल जी का हमख्याल हूं पर वे देल्ही बेली देख चुके हैं :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-65452079204564941082012-07-08T20:31:30.764+05:302012-07-08T20:31:30.764+05:30हमारे सिलेबस के बाहर की बातें हैं. हम तो झाँक कर भ...हमारे सिलेबस के बाहर की बातें हैं. हम तो झाँक कर भी नहीं देखेंगे.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-47447947972605161522012-07-08T20:09:57.641+05:302012-07-08T20:09:57.641+05:30इतना तय है कि इस फिल्म को बच्चों के साथ जाकर नहीं ...इतना तय है कि इस फिल्म को बच्चों के साथ जाकर नहीं देखना चाहिए। आपकी समीक्षा और टिप्पणियाँ तो यही बताती हैं। अकेले जाकर फिल्म देखने का हुनर मुझे अभी तक नहीं आया। इसलिए मुश्किल ही है इसे देखना। कुछ समय बाद टीवी पर कट-कटाके आएगी तो देखी जाएगी। <br /><br />‘बोल बच्चन’ देख आये कि नहीं? पुरानी ‘गोलमाल’ और टीवी के ‘लाफ़्टर शो’ का घालमेल करके तीन घंटे का अच्छा मसाला बनाया है।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-44441632972300004642012-07-08T19:22:02.119+05:302012-07-08T19:22:02.119+05:30देख आये हैं, सोच नहीं पा रहे हैं कि क्या कहा जाये,...देख आये हैं, सोच नहीं पा रहे हैं कि क्या कहा जाये, क्या न कहा जाये..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-24906039698322336682012-07-08T17:32:38.200+05:302012-07-08T17:32:38.200+05:30अभी तक देख नहीं पाए फिल्म ... अब आपने चेता दिया है...अभी तक देख नहीं पाए फिल्म ... अब आपने चेता दिया है तो संभल के जाना पढ़ेगा ... मतलब तैयार हो के जाना पड़ेगा ... देखनी तो है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-73750600343369355802012-07-08T15:22:24.381+05:302012-07-08T15:22:24.381+05:30इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.सानंद रावतhttps://www.blogger.com/profile/10950481629691630237noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-3991251907457017172012-07-08T15:21:39.031+05:302012-07-08T15:21:39.031+05:30मनोज वाजपई जैसे कलाकार ने ये फिल्म क्या केवल पै...मनोज वाजपई जैसे कलाकार ने ये फिल्म क्या केवल पैसो के लिए की है ? तब ठीक है, वर्ना उन्हें आगे सोचना होगा जी . कभी कभी बुद्धिजीविओ को ऐसी फिल्म देखने जाना चहिये, ज्ञान की सरिता बहने लगती है.सानंद रावतhttps://www.blogger.com/profile/10950481629691630237noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-71045823206202341412012-07-08T14:29:19.824+05:302012-07-08T14:29:19.824+05:30गालियों को छोड़ दिया जाये तो हमें तो यह फिल्म अच्छ...गालियों को छोड़ दिया जाये तो हमें तो यह फिल्म अच्छी लगी ..समय परिवेश को जिस बारीकी से अनुराग दिखाते हैं काबिले तारीफ़ है.और एडिटिंग इतनी चुस्त कि इतनी लंबी फिल्म भी उठने नहीं देती.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-63544603678739139982012-07-08T13:37:32.437+05:302012-07-08T13:37:32.437+05:30देल्ही बेल्ली देखने के बाद ऐसी फ़िल्में न देखने की...देल्ही बेल्ली देखने के बाद ऐसी फ़िल्में न देखने की कसम खा चुके हैं .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-11149787830460112272012-07-08T13:29:47.113+05:302012-07-08T13:29:47.113+05:30इन्दुजी,आपका स्वागत है !!इन्दुजी,आपका स्वागत है !!संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-21668568017290506852012-07-08T12:36:48.362+05:302012-07-08T12:36:48.362+05:30सॉरी कुछ वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ ज्यादा हो गई थ...सॉरी कुछ वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ ज्यादा हो गई थी पूर्व के कमेन्ट में :P<br />पूरा आर्टिकल पढ़ा. जी मैं तो न देखूं ऐसी फिल्म. कीचड़ और गंदगी भरे किसी सागर में लाख मोती हो मैं तो न उतरूं. नही चाहिए मुझे ऐसे मोती. हर क्षेत्र में मेरे यही विचार रहे और उसी के अनुसार जी.<br /> व्यक्तिगत जीवन में मुझे हर स्तर की गालियाँ आती है.पर उनका प्रयोग तभी जब .... कोई और भाषा सामने वाले को समझ में आये ही न आये<br />और हाँ .... मेरी तबियत तो कभी खराब रह ही नही सकती. कार्डिक-वार्ड में हमने डांस किया. यकीन मानेंगे आप??? हा हा हाइन्दु पुरीhttps://www.blogger.com/profile/10029621653320138925noreply@blogger.com