tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post6201401606247258707..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: दिल को दहलाती दरिन्दगी Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger43125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-86190907843315209812017-05-04T16:59:58.537+05:302017-05-04T16:59:58.537+05:30आपने अपने लेख में महत्वपूर्ण बातों को रेखांकित किय...आपने अपने लेख में महत्वपूर्ण बातों को रेखांकित किया है आधुनिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी मनुष्य की नीचता इस स्तर पर आ गयी है कि उसे नरपशु से कम नहीं कहा जा सकता और यह अपराध तब तक होते रहेंगे जब तक मनुष्य एक अध्यात्मिक <a href="http://www.jivansutra.com/hindi/success/your-success-depends-on-your-attitude/" rel="nofollow">द्रष्टिकोण</a> का निर्माण नहीं कर लेगा Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07756265102384927692noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-3166673882939106772013-05-08T18:22:30.623+05:302013-05-08T18:22:30.623+05:30बहुत उम्दा लेखन | संतान के पाँव पलने में पहचानने क...बहुत उम्दा लेखन | संतान के पाँव पलने में पहचानने के दिन आ गए हैं | <br /><br />कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें | <br /><a href="http://www.tamasha-e-zindagi.blogspot.in" rel="nofollow">Tamasha-E-Zindagi</a><br /><a href="http://www.facebook.com/tamashaezindagi" rel="nofollow">Tamashaezindagi FB Page</a><br />Tamasha-E-Zindagihttps://www.blogger.com/profile/01844600687875877913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-17047896059866443002013-04-28T17:54:48.566+05:302013-04-28T17:54:48.566+05:30सोच को ही काठ मार जाता है..सोच को ही काठ मार जाता है..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-17154249867721554612013-04-24T15:41:38.816+05:302013-04-24T15:41:38.816+05:30कल्पना में तो आप धरती को अपराध शून्य कर दे या इसको...कल्पना में तो आप धरती को अपराध शून्य कर दे या इसको स्वर्ग बना दें पर वास्तविता तो कुछ और है और हमें वास्तविकता का सामना करना है <br />डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को <br />अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को<br />latest post<a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2013/04/blog-post_23.html#links" rel="nofollow"> बे-शरम दरिंदें !</a><br />latest post<a href="http://vichar-anubhuti.blogspot.in/2013/04/blog-post_22.html#links" rel="nofollow"> सजा कैसा हो ?</a><br /><br />कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-32450406830609527712013-04-24T15:13:25.407+05:302013-04-24T15:13:25.407+05:30समाज बदले,समाज बदले,अज़ीज़ जौनपुरीhttps://www.blogger.com/profile/16132551098493345036noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-18045911901500994572013-04-24T12:05:28.008+05:302013-04-24T12:05:28.008+05:30एक सुखद समाज की कल्पना बहुत सार्थक है काश ऐसा संभव...एक सुखद समाज की कल्पना बहुत सार्थक है काश ऐसा संभव हो सकेvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-23641669627531719882013-04-24T10:17:58.095+05:302013-04-24T10:17:58.095+05:30एक टिप्पणी स्पैम में !एक टिप्पणी स्पैम में !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-264903141033088692013-04-24T10:13:43.853+05:302013-04-24T10:13:43.853+05:30हाँ , आपकी पोस्ट के लिए यह शीर्षक जमा नहीं !हाँ , आपकी पोस्ट के लिए यह शीर्षक जमा नहीं !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-33416367671468361492013-04-24T10:12:15.992+05:302013-04-24T10:12:15.992+05:30अपराध मुक्त समाज की संकल्पना प्रभावित करती है मगर ...अपराध मुक्त समाज की संकल्पना प्रभावित करती है मगर सिर्फ जीन ही विकृतियों के कारण होंगे , इसमें थोडा शक है .. अच्छी परवरिश , सुसंस्कार , बच्चों के सुदृढ़ व्यक्तित्व को निरुपित करने में मदद कर सकते हैं , जीन की विकृतियों के बावजूद भी . एक ही मनुष्य अँधेरे और उजाले के साथ जीवन यात्रा में प्रवेश करता है , उसके उजाले को परिवर्धित करने में मदद की जा सकती है , विवेक का उचित संज्ञान विकसित किया जा सकता है . मगर किस तरह , इस पर और विकल्प सोचने होंगे ! <br /> समस्या के समाधान पर विचार करने को प्रेरित करती एक अच्छी पोस्ट !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-61914514618265557252013-04-24T09:45:33.000+05:302013-04-24T09:45:33.000+05:30 सुज्ञ जी ,
कुछ तो माना आपने :-)
आपकी भाषा में बात... सुज्ञ जी ,<br />कुछ तो माना आपने :-)<br />आपकी भाषा में बात करूं तो संस्कार में प्रारब्ध भी निहित है यानी जन्म पूर्व के संस्कार जिनके वाहक जीन ही होते हैं तो क्यों न जन्म के पूर्व उनकी थारो स्क्रीनिंग हो जाय और विकृतियों को जीन चिकित्सा से दूर करने के उपाय हों! Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-85068182809905580192013-04-24T09:42:54.523+05:302013-04-24T09:42:54.523+05:30यह विज्ञान या प्रौद्योगिकी का दोष नहीं बल्कि जिम्म...यह विज्ञान या प्रौद्योगिकी का दोष नहीं बल्कि जिम्मेदारी मनुष्य की है कि वह इनका उपयोग या दुरूपयोग कर सकता है ! बाकी अपराधों के प्रति एक जन्मजात सहिष्णुता कुछ लोगों में हो सकती है जो वातावरण के अनुसार घट बढ़ सकती है -हम अपने जीनों के ही सत्परिणाम या दुष्परिणाम होते हैं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-90402540088704823272013-04-24T09:36:35.057+05:302013-04-24T09:36:35.057+05:30इंगित विज्ञान कथा मात्र खयाली पुलाव नहीं है आज मान...इंगित विज्ञान कथा मात्र खयाली पुलाव नहीं है आज मानव जीनोम उद्घाटित है और अंतर्जाल पर उपलब्ध है -जीनिक विकार एक सत्य है -हाँ हम जीनिक विकार और उपचार के काफी करीब आ पहुंचे हैं -यदि प्रसव पूर्व जीनिक विकृतियों का पता लग जाए तो उनका निवारण संभव हो सकेगा और यह एक उपयुक्त मानवोपयोगी तकनीक होगी !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-83303717736184064952013-04-24T09:31:47.936+05:302013-04-24T09:31:47.936+05:30खुशदीप जी ,
आप सुपर मेल की बात कर रहे हैं जिनमें ...खुशदीप जी ,<br />आप सुपर मेल की बात कर रहे हैं जिनमें एक वाई (पुरुष क्रोमोजोम ) अतिरिक्त होने के कारण आपराधिक (यौन व अन्य ) प्रवृत्तियाँ होना स्थापित सत्य है -मगर अब तो हम पूरे मानव जीनोम का खाका खीच चुके हैं और उस दिन के करीब तक आ पहुंचे हैं जब एक एक जीन की जांच कर विकृतियों की पूर्व प्रसव जानकारी ले सकते हैं .Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-29266049308165001572013-04-24T07:33:41.330+05:302013-04-24T07:33:41.330+05:30विज्ञान जहां वरदान साबित हुआ है वहीँ अभिशाप भी साब...विज्ञान जहां वरदान साबित हुआ है वहीँ अभिशाप भी साबित हुआ है और लोगों के मनों को प्रदूषित करने का साधन भी विज्ञान ही बनता जा रहा है ! आज अंतर्जाल पर ऐसी अश्लील सामग्री भरी पड़ी है और हर किसी कि पहुँच में है ! जब वही अश्लील सामग्री किसी किशोर के हाथ लगती है तो उसका बाल मन सही और गलत का फैसला करनें में असमर्थ होता है और वो जहर बनकर उसके दिमाग में प्रवेश कर जाती है ! यह तो मैनें केवल एक कारण दिया है लेकिन ऐसे अनेकों कारण है जिनके कारण धीरे धीरे अश्लील अपराधों कि प्रवृति बढती जाती है ! कोई भी जन्मजात अपराधी नहीं होता है बल्कि आसपास के वातावरण और गलत संगति के कारण अपराधी बनता है ! पूरण खण्डेलवालhttps://www.blogger.com/profile/04860147209904796304noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-12771488048956475522013-04-23T23:41:33.991+05:302013-04-23T23:41:33.991+05:30अरविंद जी,
मैंने ज़ूलोजी की क्लास में कहीं पढ़ा थ...अरविंद जी,<br /><br />मैंने ज़ूलोजी की क्लास में कहीं पढ़ा था कि अगर अमेरिका में जेनेटिक गड़बड़ी की वजह से किसी पुरुष में XYY सेक्स क्रोमोसोम्स हो जाते हैं और वो अपराध करता है तो उसे सामान्य पुरुष के अपराध से अलग समझा जाता है...अपराध को ऐसे व्यक्ति के जेनेटि विकार से जोड़ कर देखा जाता है...कृपया इस पर और रौशनी डालें...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-46308132018947621712013-04-23T23:10:25.862+05:302013-04-23T23:10:25.862+05:30वैज्ञानिक संकल्पना करने वाला बताये कि ऐसी स्थिति म...वैज्ञानिक संकल्पना करने वाला बताये कि ऐसी स्थिति में क्या किया जायेगा? मिथकीय चरित्र के समान आजकल के जीवन में अनेकों उदाहरण ऐसे मिलते हैं जब व्यक्ति का हृदय परिवर्तन होता है और वह बेहतर इंसान बनता है। संकल्पना की व्यवहारिकता भी तो देखी जायेगी कि खाली कल्पनालोक में विहार किया जायेगा?अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-60292323376086870712013-04-23T22:31:22.248+05:302013-04-23T22:31:22.248+05:30मेरी परिकल्पित कथा की आलोचना से कमियों का निराकरण ...मेरी परिकल्पित कथा की आलोचना से कमियों का निराकरण हो सकेगा -आभार Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-90478274324682125092013-04-23T22:26:24.011+05:302013-04-23T22:26:24.011+05:30अनूप जी वैज्ञानिक संकल्पना को मिथकीय चरित्रों के उ...अनूप जी वैज्ञानिक संकल्पना को मिथकीय चरित्रों के उदाहरण से खंडित कर रहे हैं ? Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-85717394050159057432013-04-23T22:25:24.492+05:302013-04-23T22:25:24.492+05:30काश जन्म से ही पता चल जाये कि कितना दुख देने वाला ...काश जन्म से ही पता चल जाये कि कितना दुख देने वाला है कोई..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-91512163944956840612013-04-23T22:10:11.837+05:302013-04-23T22:10:11.837+05:30दिल्ली और अन्य जगहों पर हुई दुर्घटनायें दुखद हैं। ...दिल्ली और अन्य जगहों पर हुई दुर्घटनायें दुखद हैं। कष्टप्रद हैं।<br /><br />बाकी आपकी फ़िक्शन की बात फ़िक्शन तक ही रहे तो बेहतर है। ऐसी चीजों के सदुपयोग कम दुरुपयोग ज्यादा होते हैं। <br /><br />भ्रूण परीक्षण मशीन का उपयोग कन्या भॄण हत्या के लिये ज्यादा होता है। ऐसे ही ड्फ़ेक्टिव भॄण वाले लोगों का दुरुपयोग दूसरों को परेशान करने में होगा।<br /><br />वाल्मीकि पहले डाकू थे। बाद में आदि कवि बने। <br />ययाति अपने पूर्वज की लम्पटता के चलते शाप पाकर लम्पट बने। <br /><br />ऐसे न जाने कितने ऐसे तमाम किस्से हैं। इनके भॄण का क्या करेंगे? आने देंगे या निपटा देंगे? <br /><br />अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-27642629041979765072013-04-23T21:36:43.257+05:302013-04-23T21:36:43.257+05:30कष्टदायक ...कष्टदायक ...Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-90254296185111135342013-04-23T19:21:44.307+05:302013-04-23T19:21:44.307+05:30वैसे तो कुसंस्कार, अनैतिकता का वातावरण ,इंटरनेट ,व...वैसे तो कुसंस्कार, अनैतिकता का वातावरण ,इंटरनेट ,विज्ञापन टीवी,मीडिया,फ़िल्में और स्वतंत्रता के नाम स्वछंदता के प्रसारक आदि बहुत से तत्व इसके लिए प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष जिम्मेदार है. प्रत्येक कारण को टालने से नहीँ समुच्य में विचार करने पर और सभी का ईलाज करने पर ही निराकरण पाया जा सकेगा.<br /><br />पर आपके कहे अनुसार जन्मजात स्वभाव से भी इंकार नहीं किया जा सकता. दर्शन भी जन्मांतर से कर्मसत्ता की उपस्थिति को मानता है. कोई आश्चर्य नहीं यदि कर्मसत्ता जिंस का आधार लेकर सक्रिय होती हो. यदि ऐसा होगा तो जिंस रिपेयर सफल नहीं होगा, और कोई चुनौति उत्पन्न होगी. पुरूषार्थ एक तत्व है और रहेगा और प्रत्येक स्वभाव परिवर्तन पुरूषार्थ से ही सम्भव होगा.सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-17946192951614201862013-04-23T16:01:06.302+05:302013-04-23T16:01:06.302+05:30हल अपने अंदर से ही निकलने वाला है ... मंथन चल रहा ...हल अपने अंदर से ही निकलने वाला है ... मंथन चल रहा है समाज में ... पता नहीं कितनी ओर व्यथा झेलनी है नारी समाज को ... ओर पुरुष ... पता नहीं कब जागने वाला है ... पर अभी तो दृश्य भयावह ही है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-76589090613673425142013-04-23T15:06:27.302+05:302013-04-23T15:06:27.302+05:30माना कि जन्मजात विकर्ति हो सकती है पर यह सामाजिक व...माना कि जन्मजात विकर्ति हो सकती है पर यह सामाजिक विकर्ति ज्यादा है ।विकास गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/01334826204091970170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-67136021016267792462013-04-23T13:55:50.896+05:302013-04-23T13:55:50.896+05:30हर व्यक्ति में कुछ न कुछ दोष होता है, चाहे वह कोई ...हर व्यक्ति में कुछ न कुछ दोष होता है, चाहे वह कोई भी हो,शिक्षित,अशिक्षित संपन्न असंपन्न.यह भी क्यों भूल रहे हैं कि हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में कोई अपराध करता ही है.वीज्ञानिक में भी कोई कम होगी, आखिर जब वह भावी संतान के गुणों का मूल्याकन कर उनमें क़तर ब्योत करेगा ,तो वह भी सर्वगुण संपन्न होगा क्या जरुरी है.उसकी अपराध करने की परवर्ती आने वाले बच्चे में भी आ सकती है.इसलिए अपराधमुक्त संतान की उत्पति होगी, जरुरी नहीं है,बाकि आपकी कल्पना एक अच्छी कल्पना है,शत प्रतिशत न सही, अस्सी - नब्बे तक भी ऐसी सन्तति उत्पन्न हो तो कोई बुरा नहीं.dr.mahendraghttps://www.blogger.com/profile/07060472799281847141noreply@blogger.com