tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post6182546377930524960..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: रचना त्रिपाठी का रचना लोक -चिट्ठाकार चर्चाArvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-84806503738860574052009-12-18T15:30:24.429+05:302009-12-18T15:30:24.429+05:30इस पूरे टिप्पणी प्रकरण मे एक पक्ष और भी हैं और वो ...इस पूरे टिप्पणी प्रकरण मे एक पक्ष और भी हैं और वो हैं रचना त्रिपाठी जी के पति , उनके हिस्से का सच क्या हैं , क्या पोस्ट पढ़ कर उनको उन बातो पर रंजीश हुई जिन पर अनूप को हुई या नहीं , रचना त्रिपाठी जी के वक्तव्य को केवल उनका माना जा रहा हैं या वो पति पत्नी का सम्मिलित वक्तव्य हैं । कानून पब्लिक लिटिगेशन कोई भी कर सकता हैं अनूप भी , जरुरी नहीं हैं कि उसके लिये रचना त्रिपाठी जी कि सहमति हो । बहुत संभव हैं कि उनके पति कि असहमति हो उसमे जिसमे रचना त्रिपाठी जी कि सहमति हैं । { डिस्क्लेमर मेरी टिप्पणी मेरी सहमति या असहमति नहीं हैं मात्र एक टिप्पणी हैं }Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-44294428211280543642009-12-18T12:01:29.179+05:302009-12-18T12:01:29.179+05:30रचना जी के बारे में जान अच्छा लगा. धन्यवाद.रचना जी के बारे में जान अच्छा लगा. धन्यवाद.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-43624421216967276402009-12-18T10:47:48.556+05:302009-12-18T10:47:48.556+05:30भाई साहब प्रणाम ...
अब क्या कहू आप तो समझ ही रहे ह...भाई साहब प्रणाम ...<br />अब क्या कहू आप तो समझ ही रहे है अब ओ मुह बजा बजा कर भी थक गए है अनूप जी ...जिस रचना जी के बारे में इन्होने ऐसा लिखा वही एक अत्यंत ही पूज्यनीय ( हमारे लिए ) रचना जी ने यहाँ आकर उनकी बात काट दी ..अब क्या बचा है उनके अन्दर ?<br />आपको सनद होगा जब आपने कुश के बारे में लिखी था तब भी यही श्री मान जी ने आपकी मट्टी पलीद करने की कोशीश की थी ...रचना जी को बुत बहुत धन्यवाद स्थिती साफ़ करने के लिए और आपको बहुत बहुत धन्यवाद ऐसे सुन्दर शब्दों के साथ चर्चा लेखनी करने केलिएMishra Pankajhttps://www.blogger.com/profile/02489400087086893339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-30237672884165791902009-12-17T23:40:46.722+05:302009-12-17T23:40:46.722+05:30क्षमा कीजियेगा, परन्तु यदि पतिनुमा प्राणी भी गृहस्...क्षमा कीजियेगा, परन्तु यदि पतिनुमा प्राणी भी गृहस्थी में थोड़ा सहयोग करें तो आपकी प्रिय रचनाकार जैसी अनेक प्रतिभाशाली पत्नियाँ ब्लॉगिंग को थोड़ा और समय दे सकतीं. पर यह व्यक्तिगत चुनाव का मामला भी हो सकता है.<br />रचना जी ने अपनी बात कहकर स्थिति स्पष्ट कर दी है और आपको धन्यवाद भी दिया. आपने अपने ऊपर लगे घृणित आरोप का इतने विनम्र भाव से उत्तर दिया इसके लिये आप साधुवाद के पात्र हैं.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-48119866997954407192009-12-17T21:59:25.414+05:302009-12-17T21:59:25.414+05:30मुझे पता है कि अब अनूप शुक्ल लिखेंगे कि "जैसा...मुझे पता है कि अब अनूप शुक्ल लिखेंगे कि <b>"जैसा मुझे लगा, वैसा मैने कहा। अगर रचना जी को ऐसा नहीं लगता तो यह उनकी मर्जी। मुझे इससे ज्यादा कुछ नहीं कहना है। जिसकी जितनी समझ। "</b><br /> <br />(इन शब्दों के अन्दर अगर पढ़ा जाये तो अर्थ निकलेगा कि मैने तो दंगा फसाद करवाने का भरसक प्रयत्न किया मगर फिर भी बात नहीं बन पाई, अब मैं इस वक्त और क्या कर सकता हूँ। आगे कभी मौका तलाश करुँगा।)अनूप शुक्ल का हितैषीhttp://anupshukkl.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-72433253836215270332009-12-17T20:52:27.830+05:302009-12-17T20:52:27.830+05:30nice.nice.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-41619499897989967722009-12-17T19:41:18.979+05:302009-12-17T19:41:18.979+05:30और हाँ, इतने दिनों बाद ही सही आपने यह प्रश्न उठाकर...और हाँ, इतने दिनों बाद ही सही आपने यह प्रश्न उठाकर आंशिक रूप से मेरे मन की बात कह दी। इस सम्मान के लिए हार्दिक धन्यवाद।<br /><br />आदरणीय अनूप जी को यदि इस आलेख से मेरे दीन-हीन होने का भान होता है तो मैं उन्हें आश्वस्त करना चाहूँगी कि सच्चाई ऐसी कत्तई नहीं है। मुझे विश्वास है कि आदरणीय अरविन्द जी भी ऐसा नहीं मानते होंगे।।रचना त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/12447137636169421362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-9784777333015454892009-12-17T19:34:14.723+05:302009-12-17T19:34:14.723+05:30@आखिर उस समारोह में क्यों मेरा यह प्रिय ब्लॉगर अनु...<b>@आखिर उस समारोह में क्यों मेरा यह प्रिय ब्लॉगर अनुपस्थित हो रहा था ? किसके पास जवाब है इसका ? क्या यह कोई षड्यंत्र था ? या थी एक बेचारी गृहणी की कोई अकथ विवशता ?</b><br /><br />जी नहीं, यह कोई षणयन्त्र, या विवशता नहीं थी बल्कि मेरे शौक के ऊपर कर्तव्यबोध का अनुशासन था जिसने उस भीड़ में अपने बेटे के मूड के हिसाब से जितने समय की अनुमति मिल सकी उसके बाद मुझे वहाँ से लौट आने को उचित माना। सत्यार्थ ने जब वहाँ अपने डैडी को देखा तो वह उनके पास जाने और उनकी गोद में बैठ जाने को मचलने लगा। शान्ति भंग की आशंका हो गयी। यदि मैं वहाँ कुछ देर और रुकती तो वह शायद नामवर जी को धकियाते हुए मन्च पर आसीन हो जाता और राष्ट्रीय गोष्ठी एक ‘फेमिली ड्रामा’ बनकर रह जाती। :)<br /><br />द्वितीय सत्र के बारे में इन्होंने जो जानकारी शाम को लौटकर दी उसके बाद अगले दिन वहाँ जाने का उत्साह नहीं रह गया। हाँलाकि अगले दिन गोष्ठी अच्छी चल गयी थी।<br /><br />यह तो रही विनोद की बात, लेकिन यह सच है कि एक स्वतंत्र महिला ब्लॉगर के रूप में यदि मुझे वहाँ गोष्ठी में सम्मिलित होने का अवसर मिलता तो मुझे जरूर खुशी होती। लेकिन यह खुशी हासिल करने के लिए मैं न तो अपने बच्चों को किसी दूसरे के भरोसे छोड़ सकती थी और न ही बच्चों के पिता को संयोजक की भूमिका से खींचकर घर बैठा सकती थी। यह एक परिस्थितिजन्य फैसला था जो मैने सोच समझकर लिया था। लेकिन इस अनुपस्थिति की ओर किसी का ध्यान नहीं जाना मुझे भी अखर रहा था। ब्लॉग मण्डली ने इस या उस ब्लॉगर के आने या न आने पर बहुत चर्चा की लेकिन टूटी-फूटी की ब्लॉगर को जो इलाहाबाद में ही थी किसी ने नहीं खोजा। शायद इसका कारण यह रहा होगा कि संयोजक महोदय मेरे घर के ही थे इसलिए किसी को यह प्रश्न उठाना जरूरी नहीं लगा होगा। और ये श्रीमान् जी कभी-कभी इस संकोच में पड़ जाते हैं कि कोई यह न आरोप लगा बैठे कि आत्म प्रचार और प्रसार की कोशिश कर रहे हैं। <br /><br />इस बात की कसक तो रहेगी ही कि मैं उस ऐतिहासिक सम्मेलन का हिस्सा क्यों न बन सकी लेकिन मुझे अपने निर्णय पर कोई पछतावा भी नहीं है।रचना त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/12447137636169421362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-1271766258361540592009-12-17T19:32:08.934+05:302009-12-17T19:32:08.934+05:30राम राम। बहुत बड़ी टिप्पणी लिखी थी जाने क्या हो गई...राम राम। बहुत बड़ी टिप्पणी लिखी थी जाने क्या हो गई! अब बस राम राम, लोग जाने क्या क्या सोच लेते हैं !<br />आप ने हमारी भवइ के लिए इतना अच्छा लिखा। धन्यवाद।<br />एक बात कहूँगा - <br />" वो: बात जिसका जिक्र सारे फसाने में न था।<br />वो: बात उन्हें बहुत नाग़वार गुजरी है।"गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-46523267937244304332009-12-17T19:30:41.675+05:302009-12-17T19:30:41.675+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-40101746923126434872009-12-17T19:00:06.648+05:302009-12-17T19:00:06.648+05:30पहले मैं चौंक गया कि मेरी बातें यहां क्यों हो रही।...पहले मैं चौंक गया कि मेरी बातें यहां क्यों हो रही। फिर समझ में आया कि मामला क्या है<br />माहौल बिगाड़ना कईयों का शगल होता है चिन्ता ना ही करेंपतिनुमा प्राणीhttps://www.blogger.com/profile/12163827035253439551noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-58419806222408787162009-12-17T16:46:49.302+05:302009-12-17T16:46:49.302+05:30रचना जी के बारे में जानना अच्छा लगा .शुक्रियारचना जी के बारे में जानना अच्छा लगा .शुक्रियारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-66894047445705846302009-12-17T16:20:28.858+05:302009-12-17T16:20:28.858+05:30@ अनूप शुक्ल
आप अब सीमा से बहुत ही बाहर जारहे हैं...@ अनूप शुक्ल<br /><br />आप अब सीमा से बहुत ही बाहर जारहे हैं। आप एक वरिष्ठ ब्लागर हैं और आपसे यह अनुरोध है कि आप वरिष्ठता बनाये रखें।<br />आप अपनी निजी खुंदक निकालने के लिये दूसरों का चरित्र हनन क्युं करते हैं? क्या यह जरुरी है? इस तरह की उदंडता और<br />बचपना आपको शोभा नही देता। आपके इसी आचरण के चलते आपके हितेषु भी अब आप से कन्नी काटते नजर आते हैं।<br />आपके इर्द गिर्द दो चार चमचों की भीड बची है। <br /><br />चमचे सिर्फ़ गर्म चीज निकालने मे साथ देते हैं जब ठंड हो जायेगी तब आप किसके पास रोयेंगे? एक बार आप अपनी हरकतों पर<br />पुनर्विचार किजिये।<br /><br />आपने पूरे ब्लागजगत का माहोल आपकी इन्हीं हरकतो की वजह से घिनौना बाना रखा है। आपने आपके चर्चा मंच को इन्हीं सब<br />कामों मे लिया है और उसका मजाक बना दिया है। बडा दुख होता है।<br /><br />आपसे विनती है कि आप अपनी उपरोक्त नाजायज और घिनौनी टिप्पणी को हटाकर अपनी वरिष्ठता का सम्मान करें। आप जैसे जो कुछ भी लिख<br />सकते हैं वो अन्य लोग भी लिख सकते हैं।<br /><br />पुन: आपसे निवेदन है कि मतभेदों के बावजूद भी सोहाद्र कायम रखा जा सकता है। एक अच्छे और वरिष्ठ ब्लागर का धर्म निभायें।अनूप शुक्ल का हितैषीhttp://anupshukkl.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-74254870794436795882009-12-17T14:52:03.067+05:302009-12-17T14:52:03.067+05:30@अनूप शुक्ल , ये आपको बिजली का करंट क्यों लग गया म...@अनूप शुक्ल , ये आपको बिजली का करंट क्यों लग गया महाशय !<br />कितने सात्विक मन से लिखा था मैंने अपने प्रिय ब्लॉगर के बारे में ..अब आ गए विष घोलने गुरु घंटाल !यहाँ के शुचितापूर्ण माहौल को भी गंद्लाने !<br />"खुद की अर्धांगिनी' कहने को भी आपके विकृत और घिनौने और गलीज मस्तिष्क ने किस रूप में लिया .हद है !<br />या तो अपनी टिप्पणी डिलीट करें अन्यथा मैं आपकी कोई अगली टिप्पणी नहीं प्रकाशित करूंगा -अब<br />तो आपकी उपस्थिति मात्र से उबकाई आने लगी है -इतनी थू थू हो रही है फिर भी सुधर नहीं रहे हो महानुभाव!<br />कुछ तो शर्म करो !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-37623650176939430472009-12-17T14:38:26.341+05:302009-12-17T14:38:26.341+05:30रचनाजी इलाहाबाद में उद्घाटन सत्र में मौजूद थीं।अपन...रचनाजी इलाहाबाद में उद्घाटन सत्र में मौजूद थीं।अपनी जानकारी दुरुस्त कर लें। फोटुयें दुबारा देख लें।<br /><br /><b>.....की खुद की अर्धांगिनी और एक संभावनाशील ब्लॉगर </b> यहां<b> खुद की </b><br />लिखना अनावश्यक है। आप सिद्धार्थ को अनुज मानते मानते हैं। इस तरह के वाक्य विचलन आपसे जानबूझकर होते हैं या अनायास यह आप बेहतर समझ सकते हैं। यदि आप जानबूझकर ऐसा करते हैं तो अपने चरित्र का और अनजाने में करते हैं तो भाषा ज्ञान का परिचय देते हैं।<br /><br />अनुज ,सिदार्थ त्रिपाठी, से पाई हुई लिबर्टी क्या अनुज वधू के बारे में कुछ भी लिखने की लिबर्टी देती है आपको? क्या इसमें अनुज वधू की अनुमति की कोई आवश्यकता नहीं है।<br /><br />रचना त्रिपाठी जी के लेखन पर आपने जो लिखा उससे उनकी छवि वे एक दीन-हीन टाइप , सुस्त-पस्त , पति/परिवार परायण स्त्री की बनती है। जबकि ऐसा उनका व्यक्तित्व नहीं है। जो बाद सिद्धार्थ त्रिपाठी नहीं कह सके वह रचना त्रिपाठी ने आपसे कही। <b>"भाई साहब अगर आपको कोई असुविधा हुई थी तो मुझसे कहते ...."</b> इसमें मात्र उलाहना नहीं है मिसिरजी आक्रोश भी है। <br /><br />लोगों को देखने की अपनी-अपनी नजर होती है। आपने रचना त्रिपाठी का जो वर्णन किया उससे लगता है कि वे एक संभावनाशील लेकिन ऐं-वैं टाइप (टिमिड) व्यक्तित्व हैं। जबकि जित्ता मैंने उनको जाना-पढ़ा और जितनी बातचीत की है उनसे वे इससे कहीं बेहतर और समर्थ/सक्षम व्यक्तित्व की स्वामिनी हैं।<br /><br /> उम्र,ब्लागिंग और सामाजिक पद में भी ! बड़े तो बाई डिफ़ाल्ट हो गये। तदनुरूप आचरण भी होता तो शायद ग्लानिबोध न होता।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-87892943370546558122009-12-17T12:58:53.410+05:302009-12-17T12:58:53.410+05:30एक आत्मीय , इसलिए जरूरी पोस्ट को पढ़कर बड़ा अच्छा ...एक आत्मीय , इसलिए जरूरी पोस्ट को पढ़कर बड़ा अच्छा लगा ..<br />उपस्थिति - अनुपस्थिति जन्य सुख-दुःख की उभयात्मक उपस्थिति !<br />इस ब्लॉग का भी अध्ययन करूँगा ..<br />.................. आभार ,,,Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-85851791727214074752009-12-17T12:32:03.766+05:302009-12-17T12:32:03.766+05:30"इलाहाबाद के ब्लागिंग सम्मलेन की याद तो अभी ..."इलाहाबाद के ब्लागिंग सम्मलेन की याद तो अभी होगी ही ....एक शख्सियत (फोटो बदलें!) वहां होकर भी अपनी अनुपस्थिति का अहसास शिद्दत से करा गयी ..."<br /><br />परदे में रहने दो, परदा जो उठ गया तो....:)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-52095694151907846302009-12-17T12:22:28.221+05:302009-12-17T12:22:28.221+05:30हम भी तो साथ ही लगे रहे आपके इलाहाबाद में । हमें त...हम भी तो साथ ही लगे रहे आपके इलाहाबाद में । हमें तो खबर तक नहीं हुई, अन्यथा पुण्य-लाभ उठाता दर्शन का । <br /><br /><a href="http://tootifooti.blogspot.com/" rel="nofollow"> टूटी फूटी </a> का नियमित ग्राहक हूँ । चिट्ठाकार-चर्चा में योग्यतम चुनाव । आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-73463177069660829462009-12-17T12:17:17.273+05:302009-12-17T12:17:17.273+05:30एक बेहद जरूरी पोस्ट...वाकई..!एक बेहद जरूरी पोस्ट...वाकई..!Dr. Shreesh K. Pathakhttps://www.blogger.com/profile/09759596547813012220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-82199311213428365622009-12-17T11:31:59.069+05:302009-12-17T11:31:59.069+05:30रचनाजी से विस्तृत परिचय के लिये आपका आभार. बहुत शु...रचनाजी से विस्तृत परिचय के लिये आपका आभार. बहुत शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-9768759329425343222009-12-17T10:47:33.505+05:302009-12-17T10:47:33.505+05:30रचना जी के बारे में जानकर प्रसन्नता हुई। मुझे दुख ...रचना जी के बारे में जानकर प्रसन्नता हुई। मुझे दुख है कि इलाहाबाद में उनसे मिल नहीं सका।<br /><br />--------<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">महफ़ज़ भाई आखिर क्यों न हों एक्सों...</a><br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">क्या अंतरिक्ष में झण्डे गाड़ेगा इसरो का यह मिशन?</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-71423739010402501682009-12-17T10:22:07.263+05:302009-12-17T10:22:07.263+05:30परिचय के लिये आभार. आपके दिये तीनों लिंक देखे. अपन...परिचय के लिये आभार. आपके दिये तीनों लिंक देखे. अपने ब्लॉग रॉल में जोड़ने में देर नहीं लगायी. रचना जी को.... मतलब रचना त्रिपाठी जी को और एक नियमित पाठक मिल गया है.Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-48923318774505495832009-12-17T09:54:47.941+05:302009-12-17T09:54:47.941+05:30क्या पतिनुमा प्राणि भी इतने समर्पित होते हैं...
स...क्या पतिनुमा प्राणि भी इतने समर्पित होते हैं...<br /><br />सच पूछा आपने मिश्र जी?<br /><br />रचना जी को कभी पढ़ने का मौका नहीं मिला है। आपका लिखा...उफ़्फ़्फ़!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-51828117526175883602009-12-17T09:06:42.058+05:302009-12-17T09:06:42.058+05:30रचना त्रिपाठी जी से विस्तार से परिचय करने का आभार....रचना त्रिपाठी जी से विस्तार से परिचय करने का आभार. बेहद आत्मीयता और मन से लिखा आलेख आभार इस प्रस्तुती के लिए......<br />regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-60415645299349317482009-12-17T06:01:45.096+05:302009-12-17T06:01:45.096+05:30रचना भाभी के ब्लोग से पूर्व परिचित एवं प्रभावित हू...रचना भाभी के ब्लोग से पूर्व परिचित एवं प्रभावित हूँ.<br /><br />यह तो निश्चित ही सत्य है कि वह कम लिख पाती हैं, मगर जब भी लिखती हैं, पूर्व में न लिखने की शिकायत जाती रहती है.<br /><br />उनकी अपनी व्यस्ततायें होंगी जिसके चलते नियमित लिख पाना संभव नहीं हो पाता होगा किन्तु एक आशा तो रहती है कि नियमित लिखें जितना बन पाये.<br /><br />आपने रचना भाभी को याद किया, बड़ा अच्छा लगा. अभी ही त्रिपाठी जी को पढ़कर चलाअआ रहा हूँ. वायरस अटैक यूँ ही उन्हें परेशान कर गया.<br /><br />समस्त शुभकामनाएँ.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com