tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post5315394129735921539..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: वर्षा : एक विदा गीत !Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-50221424292662452482009-09-27T10:30:05.624+05:302009-09-27T10:30:05.624+05:30बारिश तो बहुत कष्ट दे रही है, हमारे यहाँ तो न चपल...बारिश तो बहुत कष्ट दे रही है, हमारे यहाँ तो न चपला है और न ही गर्जना। बस केवल सूर्य की प्रखरता है। कोई कैसे बरखा गीत का स्वागत करे? बरसि गयी थी, फेर बरसन लागी रे। हाय इन पंक्तियों को कहाँ से अपने शहर में बरसाऊँ?अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-59794031396813029262009-09-25T15:28:30.040+05:302009-09-25T15:28:30.040+05:30ek arse ke baad padmakar ji kavita dekhi. purane d...ek arse ke baad padmakar ji kavita dekhi. purane din yaad aa gaye.अरुण राजनाथ / अरुण कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15468553019158354218noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-80064354666896938352009-09-25T15:15:48.944+05:302009-09-25T15:15:48.944+05:30ati sundar kvita aur vykhya bhi .ati sundar kvita aur vykhya bhi .शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-45079947289983613422009-09-24T21:19:39.256+05:302009-09-24T21:19:39.256+05:30भाव विभोर हो गये हम तो।
अमृत वर्षा अच्छी रही!भाव विभोर हो गये हम तो।<br />अमृत वर्षा अच्छी रही!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-6755453720331384612009-09-24T10:17:27.136+05:302009-09-24T10:17:27.136+05:30वर्षा अपने आप में ही सुन्दर भाव जागृत कर देती है ....वर्षा अपने आप में ही सुन्दर भाव जागृत कर देती है .....<br /><br />अद्भुत रचना !! Ria Sharmahttps://www.blogger.com/profile/07417119595865188451noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-53244073304334395942009-09-23T17:23:47.788+05:302009-09-23T17:23:47.788+05:30चाहे जो भी पाठ सही हो, पर इतना तो तय है कि इसमें व...चाहे जो भी पाठ सही हो, पर इतना तो तय है कि इसमें वर्षा की विरहणी का सुंदर वर्णन है।<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-77147009345665648352009-09-23T16:12:57.969+05:302009-09-23T16:12:57.969+05:30हमें तो लगा मिश्रा जी चाव से चाय पी गए. चाय तो नशा...हमें तो लगा मिश्रा जी चाव से चाय पी गए. चाय तो नशा है बरसात हो न हो कमबख्त को पीना ही पड़ता है, पर बरसात हो, चाय हो तो पकौडी भी चाहिए...............<br /><br />खैर इस साल नहीं तो अगले साल ही सही.<br /><br />चन्द्र मोहन गुप्त<br />जयपुर<br />www.cmgupta.blogspot.comMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-28589186262172327682009-09-23T08:14:38.554+05:302009-09-23T08:14:38.554+05:30अच्छी व्याख्या।
बारिश की यादें ही रह गई है अब...अच्छी व्याख्या।<br /> बारिश की यादें ही रह गई है अब तो।जितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-9739095213375031532009-09-22T15:49:51.371+05:302009-09-22T15:49:51.371+05:30अद्भुत सुन्दर रचना हमे भी इसके पूरे भावर्थ का इन...अद्भुत सुन्दर रचना हमे भी इसके पूरे भावर्थ का इन्तज़ार रहेगा आभार मिश्रा जी क्षमा करेम मैने अपने ब्लाग पर आपके सवाल का जवाब दिया है जरूर पढें अगर उपकार कर सकें तो जवाब भी चाहूँगी।धन्यवाद्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-12974317595075266802009-09-22T13:43:42.793+05:302009-09-22T13:43:42.793+05:30वाह!!वाह!!इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-32430357857639710322009-09-22T13:35:39.885+05:302009-09-22T13:35:39.885+05:30SUNDAR KAVITA AUR HIMAANSHU JI KI ATISUNDAR VYAKHY...SUNDAR KAVITA AUR HIMAANSHU JI KI ATISUNDAR VYAKHYA ... AABHAAR HAI AAPKA IS RACHNA KE LIYE ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-87536002378749561672009-09-22T10:33:43.646+05:302009-09-22T10:33:43.646+05:30कवित्त के पाठक कम हैं क्या ? क्या छन्द की कविता मन...कवित्त के पाठक कम हैं क्या ? क्या छन्द की कविता मन को छान्दिक सुख नहीं दे पा रही ! <br />इस अदभुत वर्णन की कविता की सायास प्रस्तुति का आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-6324116522290750792009-09-22T09:13:52.970+05:302009-09-22T09:13:52.970+05:30बेहद सुन्दर , मगर भावार्थ पूरी तरह समझ नहीं आया , ...बेहद सुन्दर , मगर भावार्थ पूरी तरह समझ नहीं आया , इंतजार है ...<br /><br />regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-29466213105316559652009-09-22T07:40:37.307+05:302009-09-22T07:40:37.307+05:30अद्भुत पंक्तियाँ...आपका कलेक्शन बेहतरीन है हर मौके...अद्भुत पंक्तियाँ...आपका कलेक्शन बेहतरीन है हर मौके के लिए...मौका-ए-अनुरुप!!आपको तो शायर होना था:<br /><br />ऐसा वाला:<br /><br />शायरी ख़ुदकशी का धंधा है, लाश अपनी है अपना कंधा है<br />आईना बेचता फिरा शायर, उस शहर में जो शहर अंधा है. <br /><br /> प्रो.नंदलाल पाठकUdan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-21999634956666789292009-09-22T07:26:00.690+05:302009-09-22T07:26:00.690+05:30सुन्दर कविता का चयन.. पर हिमांशु के भावार्थ के बि...सुन्दर कविता का चयन.. पर हिमांशु के भावार्थ के बिना मतलब समझ ही नहीं आता...<br />विरहणी नायिका का बिजली और बारिश से चमकना ...यहाँ चमकना का मतलब डरना और घबराना ...एक तरफ बिजली का चमकना ...तो दूसरी ओर नायिका का ..क्या बात है ..!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-25348092395259856662009-09-21T19:46:54.594+05:302009-09-21T19:46:54.594+05:30हमें तो चाय के साथ बढ़िया लग रहा है कवित्त! बरसात म...हमें तो चाय के साथ बढ़िया लग रहा है कवित्त! बरसात में ग्रीन लेबल का मजा!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-76976814940583991252009-09-21T19:09:29.948+05:302009-09-21T19:09:29.948+05:30नायिका के हृदयंगम भाव वर्षा ऋतु में जिस तरह से आये...नायिका के हृदयंगम भाव वर्षा ऋतु में जिस तरह से आये हैं उन्हें भावानुवाद करने के लिये हिमांशु भाई का कोटिशः आभार ।हेमन्त कुमारhttps://www.blogger.com/profile/01073521507300690135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-63119356213704242712009-09-21T14:45:29.389+05:302009-09-21T14:45:29.389+05:30बहुत सुंदर! धन्यवादबहुत सुंदर! धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-28168747592042918442009-09-21T14:00:00.132+05:302009-09-21T14:00:00.132+05:30सच है प्रासंगिक शोधवृत्ति के धनी हैं आप । कायल हो ...सच है प्रासंगिक शोधवृत्ति के धनी हैं आप । कायल हो गया मैं । अपनी इस वृत्ति से आपने जो यह यात्रा करायी है, बहुत ही लुभाने वाली है ।<br />आभार ।हेमन्त कुमारhttps://www.blogger.com/profile/01073521507300690135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-33248612778300483962009-09-21T12:18:39.613+05:302009-09-21T12:18:39.613+05:30अर्थ तो हिमांशु जी बताएगें -उन्ही की आतुर प्रतीक्...अर्थ तो हिमांशु जी बताएगें -उन्ही की आतुर प्रतीक्षा चल रही है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-66419105113121855832009-09-21T12:04:06.826+05:302009-09-21T12:04:06.826+05:30अद्भुत। बाँटने का आभार।
द्विवेदी जी की बात पर ध्य...अद्भुत। बाँटने का आभार।<br />द्विवेदी जी की बात पर ध्यान दें। मेरी जिज्ञासा भी शान्त हो जाएगी।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-38913223614077098132009-09-21T10:45:24.906+05:302009-09-21T10:45:24.906+05:30बहुत सुंदर! पर इस में चाय का मतलब समझ नहीं आया।बहुत सुंदर! पर इस में चाय का मतलब समझ नहीं आया।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-73103430763534100002009-09-21T10:42:53.812+05:302009-09-21T10:42:53.812+05:30मैं क्या कहूँ। रीतिकालीन कविता की भाषिक और वर्णना ...मैं क्या कहूँ। रीतिकालीन कविता की भाषिक और वर्णना शक्तियाँ पूरे सौन्दर्य के साथ आ गई हैं। <br />...<br />वर्षा को समर्पित एक कविता अपने ब्लॉग से देने की छूट ले रहा हूँ। आगे आप जैसा समझें:<br />"गोमती किनारे <br />बादर कारे कारे<br />बरस रहे भीग रहे <br />तन और सड़क कन<br />घहर गगन घन <br />धो रहे धूल धन<br />महक रही माटी.<br /><br />बही चउआई<br />सहेज रही गोरी <br />केश कारे बहक लहक कपड़े <br />कजरारे नयन धुन<br />गुन चुन छुन छहर<br />फहर बिखर शहर सरर<br />चहक उठे पनाले.<br /><br />बिजली हुई गुल <br />पहुँची गगन बीच <br />हँसती कड़क नीच<br />ऊँची उड़ान छूटी जुबान <br />जवान जान खुद को <br />नाच उठी <br />भुनते अनाज सी.<br /><br />....<br />....<br />सब कुछ हो गया<br />खतम हुआ<br />खोया रहा साँस रोके<br />सब कुछ सोच लिया<br />घर घुस्सी तू आलसी !"गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-70731735286073757212009-09-21T10:30:55.296+05:302009-09-21T10:30:55.296+05:30पद्माकर जी की पंक्तियां तो अद्भुत हैं ही, लेकिन ऊ...पद्माकर जी की पंक्तियां तो अद्भुत हैं ही, लेकिन ऊपर भूमिका में लिखा गया अनुच्छेद भी कम रस लिये हुए नहीं है।<br /><br />हिमांशु जी द्वारा किये गये भावार्थ की प्रतिक्षा रहेगी!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.com