tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post4944389248420500209..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: मानस के राजहंस (1)Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-68092434785853931272012-03-01T02:23:20.123+05:302012-03-01T02:23:20.123+05:30ओह. तो मानसरोवर में नहीं पाए जाते ये !ओह. तो मानसरोवर में नहीं पाए जाते ये !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-23130010142788899492012-03-01T02:23:11.212+05:302012-03-01T02:23:11.212+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-76765204266065428842012-02-29T06:23:13.198+05:302012-02-29T06:23:13.198+05:30कवियों की कल्पनों से इतर भारत की भौगालिक सीमा विस...कवियों की कल्पनों से इतर भारत की भौगालिक सीमा विस्तृत थी , इसलिए इनके पाए जाने की सम्भावना को नगण्य भी नहीं माना जा सकता ..<br />पढ़ते हैं अगली किश्त में !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-13936079219999427112012-02-29T01:16:53.540+05:302012-02-29T01:16:53.540+05:30हंस एक अद्भुत प्राणी है...हमें तो उसका वर्णन पौराण...हंस एक अद्भुत प्राणी है...हमें तो उसका वर्णन पौराणिक ग्रंथों में ही मिला है ! इनके बारे में आम जन अभी भी अनभिज्ञ हैं.सुनते हैं कि मानसरोवर में पाए जाते है.संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-89218182972951269782012-02-28T12:05:49.807+05:302012-02-28T12:05:49.807+05:30....अगली पोस्ट का इंतजार करते हैं। :)....अगली पोस्ट का इंतजार करते हैं। :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-14105993437872755192012-02-28T10:35:59.973+05:302012-02-28T10:35:59.973+05:30भारत सोने की चिड़िया तो था ही मोती चुगने आते होंगें...भारत सोने की चिड़िया तो था ही मोती चुगने आते होंगें राजहंस ,इधर पर्यावरण पारितंत्र कुछ इस तरह टूटें हैं राजहंस तो राजहंस ,मानसरोवर रह गया कविताओं में शेष .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-47401325844182517592012-02-28T10:25:19.246+05:302012-02-28T10:25:19.246+05:30.हो सकता है प्रवासी पक्षी के रूप में यह नियमित आता....हो सकता है प्रवासी पक्षी के रूप में यह नियमित आता रहा हो यहाँ के अनुकूल माहौल में प्रजनन हेतु .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-29969414714470372322012-02-28T08:06:39.446+05:302012-02-28T08:06:39.446+05:30अच्छी जानकारी दी..... हंस का विवरण तो हमारे पौराणि...अच्छी जानकारी दी..... हंस का विवरण तो हमारे पौराणिक साहित्य से लेकर कविताओं तक हमेशा से रहा है..... आप तो बहुत कुछ खोज लाये इस पक्षी के विषय में..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-51100842244345309122012-02-27T22:38:03.846+05:302012-02-27T22:38:03.846+05:30pakshiyo ka mahatav bahut hai, lekin ajkal ke defo...pakshiyo ka mahatav bahut hai, lekin ajkal ke deforestation ke karan ye gayab hote ja arhe..Ruchi Jainhttps://www.blogger.com/profile/13565145854196414405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-65306964500189302402012-02-27T19:11:59.207+05:302012-02-27T19:11:59.207+05:30@गिरिजेश जी,
आपने महत्वपूर्ण लिंक दिए हैं ...यूनान...@गिरिजेश जी,<br />आपने महत्वपूर्ण लिंक दिए हैं ...यूनान क्या विश्व के अन्य भागों में भी उल्लू बुद्धिमत्ता का ही प्रतीक है -मात्र भारत में हमारे साहित्यप्रेमी जिनकी नियति चिर विपन्नता रही है उल्लू को लक्ष्मी से जोड़कर उसे मूर्खता के अर्थ में रूढ़ बना दिए ...और प्रकारान्तर से सरस्वती के हंस को सर्वगुण संपन्न बना दिया ...<br />बाकी यह कहना है कि लेख का मुख्य फोकस पुराणों और मिथों की पुनर्प्रस्तुति न होकर वैज्ञानिक नजरिये से काव्य विश्रुत .पुराणोक्त हंस की वास्तविक पहचान स्थापित करना है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-38669925577960614482012-02-27T19:05:54.242+05:302012-02-27T19:05:54.242+05:30ईमेल से गिरिजेश:
देखिये ग्रीक मिथक क्या कहते हैं ...ईमेल से गिरिजेश: <br />देखिये ग्रीक मिथक क्या कहते हैं हंस के बारे में? :) <br />http://en.wikipedia.org/wiki/Leda_and_the_Swan<br />लेडा एक राजकन्या थी जिसकी सुन्दरता से मोहित हो ग्रीक देवता ज़ीयस ने उससे हंस का वेश बदल सम्भोग किया। आकाश में एक तारासमूह भी हंस के नाम से जाना जाता है: <br />http://www.skyscript.co.uk/cygnus.html<br />जिसे वृहस्पति के पास बताया गया है। यहाँ वृहस्पति को ज़ीयस से सम्बन्धित (दूसरा रूप?) माना गया है। <br /><br />ज्ञान की रोमन देवी मिनर्वा बुद्धिमान उल्लू से सम्बन्धित है न कि सरस्वती की तरह राजहंस से! इसी कारण मैंने 'भारतवासी' उल्लू को अपने ब्लॉग पर निज चित्र के स्थान पर लगा रखा है ;) हंस तो भारत में मिलता ही नहीं! <br />http://en.wikipedia.org/wiki/Minerva<br /><br />मैं संकेत भर दे रहा हूँ। अब बीड़ा उठा लिये हैं आप तो ढंग से निबाहिये। <br /><br />सादर, <br />गिरिजेशArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-77924676921955043212012-02-27T18:01:56.526+05:302012-02-27T18:01:56.526+05:30साहित्य कोई सीमायें नहीं मानता :) न भौगोलिक न काल्...साहित्य कोई सीमायें नहीं मानता :) न भौगोलिक न काल्पनिक.<br />बचपन से नानी दादी की कहानियों में भी हंस हुआ करता था पर इसी तरह कि वह बहुत दूर कहीं से आते हैं और और अपवाद स्वरुप ही दीखते हैं.या फिर किसी रजा ने दूर देश से हंसों का जोड़ा मंगवाकर अपने सरोवर में रखवाया..मतलब कि आपके शोध में सत्यता तो है कहीं न कहीं.<br />हाँ पुराने वेदों में जहाँ तक उनके जिक्र की बात है तो हो सकता है तब भौगोलिक सीमायें इतनी संकुचित न हों.या फिर हंसों के लिए ये सीमायें न मायने रखती हों :).shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-62059012950030502662012-02-27T14:33:58.014+05:302012-02-27T14:33:58.014+05:30सोच को नयी दिशा देती अहि आपकी पोस्ट ... हंस आम मान...सोच को नयी दिशा देती अहि आपकी पोस्ट ... हंस आम मानस के ह्रदय में बसा है पर इसका कारण जानने का प्रयास कभी नहीं किया ... अब आपने बताया तो आगे जानने की जियासा भी बढ़ गयी है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-50893452323178628102012-02-27T13:48:07.946+05:302012-02-27T13:48:07.946+05:30अभी नहीं मिलते लेकिन कभी तो रहे ही होंगे .
तभी तो...अभी नहीं मिलते लेकिन कभी तो रहे ही होंगे . <br />तभी तो कवियों के मन पसंद पक्षी रहे हैं हंस . <br /><br />सोचने पर मजबूर कर रही है यह पोस्ट .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-7174638408928858642012-02-27T13:01:08.843+05:302012-02-27T13:01:08.843+05:30हंस पक्षी के विषय में अच्छी जानकारी मिली ... आगे ...हंस पक्षी के विषय में अच्छी जानकारी मिली ... आगे की कड़ी का इंतज़ार है ॥ वैसे देवी सरस्वती का वाहन भी माना गया है ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-53090856269891905302012-02-27T11:02:50.159+05:302012-02-27T11:02:50.159+05:30रोचक शोधपूर्ण जानकारी है। अगली किस्त का इन्तजार रह...रोचक शोधपूर्ण जानकारी है। अगली किस्त का इन्तजार रहेगा।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-15332329634984994612012-02-27T10:44:39.297+05:302012-02-27T10:44:39.297+05:30तथ्यों एवं साक्ष्यों से परे विकल्पना में बड़ा बल ह...तथ्यों एवं साक्ष्यों से परे विकल्पना में बड़ा बल होता है . धीरे-धीरे उनपर इतना भरोसा होने लगता है कि वह प्राणवान हो जाता है और जन मानस में वास्तविक मालूम होने लगता है . आपका खोजपरक आलेख इसी को इंगित कर रहा है .Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-55914250399147476282012-02-27T09:32:48.066+05:302012-02-27T09:32:48.066+05:30"ईरानियों के ग्रन्थ अवेस्ता और ऋग्वेद में आश्..."ईरानियों के ग्रन्थ अवेस्ता और ऋग्वेद में आश्चर्यजनक समानताएं हैं" एकदम सहमत. निश्चित ही यह हमारे अनुवांशिक स्मृति कि देन है.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-82680471399866271472012-02-27T09:28:17.979+05:302012-02-27T09:28:17.979+05:30बहुत सुन्दर और ज्ञानवर्धक - आभार :)बहुत सुन्दर और ज्ञानवर्धक - आभार :)Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-55997299788477632532012-02-27T08:59:47.440+05:302012-02-27T08:59:47.440+05:30यूँ तो कवि सीमाओं से नहीं बंधा। सुन भर ले, जान भर ...यूँ तो कवि सीमाओं से नहीं बंधा। सुन भर ले, जान भर ले तो वह अपने प्रिय की अनुभूति कर लेता है। इसलिए कहते हैं जहां न पहुँचे रवि वहां पहुँचे कवि। लेकिन हंस के संदर्भ में यह अनूठी बात लगती है क्योंकि यह पक्षी हमारी धार्मिक चेतनता में भी रचा बसा है। माँ सरस्वति का वाहन मात्र कवि की कोरी कल्पना ही होगी, मन विश्वास नहीं करता है। कुछ तो है। देखें अगली पोस्ट में और इस पोस्ट में भी विद्वान पाठक क्या लिखते हैं।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-47596883749528649202012-02-27T08:42:34.467+05:302012-02-27T08:42:34.467+05:30हंसों से सम्बद्ध कवि कल्पनाओं को इतनी बेरुखी से मत...हंसों से सम्बद्ध कवि कल्पनाओं को इतनी बेरुखी से मत तोड़िये...प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-43199757366031705222012-02-27T08:25:54.648+05:302012-02-27T08:25:54.648+05:30प्रव्रजन के तार जरूर जुडेंगे..., रोचक.प्रव्रजन के तार जरूर जुडेंगे..., रोचक.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-84981941746902070442012-02-27T08:09:37.898+05:302012-02-27T08:09:37.898+05:30@प्रवीण शाह जी,
हम आपके प्रश्न का विवेचन अगली पोस्...@प्रवीण शाह जी,<br />हम आपके प्रश्न का विवेचन अगली पोस्ट में करेगें!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-71544373302786634042012-02-27T07:14:00.068+05:302012-02-27T07:14:00.068+05:30'हे मानस के राजहंस' शब्द बड़ा आकर्षक लगता ...'हे मानस के राजहंस' शब्द बड़ा आकर्षक लगता है, विशेषकर उसे जिसका कि विवाह होने वाला हो :)<br /><br /> अनुराग जी की बात से सहमति, कवि लोगों के कल्पना की बात सच जान पड़ती है।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-45591850688323473262012-02-27T06:51:49.647+05:302012-02-27T06:51:49.647+05:30.
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'हंस शब्द वैदिक काल में अधिकतर महाहंस (ह....<br />.<br />.<br /><b>'हंस शब्द वैदिक काल में अधिकतर महाहंस (हूपर स्वान-Cygnus cygnus ? ) को इंगित करता था'</b><br /><br />इस निष्कर्ष का आधार क्या है आखिर, भारतीय उपमहाद्वीप में पाये जाने वाले या जाड़ों में आने वाले अन्य पक्षी राजहंस क्यों नहीं हो सकते आखिर... <br /><br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.com