tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post448157872556702596..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: जाति न पूछो साधु की ...Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger25125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-72182141718483509482010-05-27T14:30:50.672+05:302010-05-27T14:30:50.672+05:30आपने वेदना हम जैसे अनेक सवर्ण कहलाने वाले वेदना को...आपने वेदना हम जैसे अनेक सवर्ण कहलाने वाले वेदना को उद्घाटित करती है............लेख पढकर अपनापन सा महसूस हुआ.dwivedijournalisthttps://www.blogger.com/profile/02032632008110073861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-42737450346811549882010-05-22T01:28:33.903+05:302010-05-22T01:28:33.903+05:30धर्म तक ठीक है... अब जातियां में कम से कम ओफिसिअली...धर्म तक ठीक है... अब जातियां में कम से कम ओफिसिअली तो मत बांटो.. फिर सबका वोट बैंक.. फिर वही ओछी राजनीती :(<br /><br />वाणी जी से सहमत..Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-43673080723236149412010-05-19T13:05:55.993+05:302010-05-19T13:05:55.993+05:30पर अफसोस, सारे इंतजाम जातिवाद बढ़ानेवाले ही किये ज...पर अफसोस, सारे इंतजाम जातिवाद बढ़ानेवाले ही किये जा रहे हैं।जाकिर अली रजनीशhttp://sb.samwaad.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-55787040975624953372010-05-18T13:39:56.034+05:302010-05-18T13:39:56.034+05:30बिलकुल आपसे ही सोच हैं मेरे और इस आलेख में जैसे आप...बिलकुल आपसे ही सोच हैं मेरे और इस आलेख में जैसे आपने मेरे ही विचारों को शब्द दे दिया है...बहुत बहुत आभार इस उपयोगी आलेख के लिए...<br /><br />वस्तुतः किसी भी जाती या सम्प्रदाय के नेता क्यों न हों,उन्हें पता है की बिना फूट डाले विद्वेष फैलाये वे अपनी लूट की राजनीती चलने में सफल न हो पाएंगे...इसलिए धर्म भाषा क्षेत्र आधारित आरक्षण का आधार वे लिए हुए हैं...यह राजनीति का सबसे घृणित और कुत्सित रूप है...इसे नकार कर ही हम समाज को स्वस्थ और एकजुट रख पाएंगे...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-45934304836378093322010-05-18T08:06:28.410+05:302010-05-18T08:06:28.410+05:30उम्दा पोस्ट.
,,अभिषेक जी की टिप्पणी आरक्षण के दंश ...उम्दा पोस्ट.<br />,,अभिषेक जी की टिप्पणी आरक्षण के दंश को अच्छे से अभिव्यक्त करती है..<br />..एकलव्य तब भी दुखी था आज भी दुखी है.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-4768200638535131292010-05-18T07:00:50.665+05:302010-05-18T07:00:50.665+05:30@ गिरिजेश राव
आचार्य लोग सुशिक्षित थे और उस युग(?...<b>@ गिरिजेश राव <br />आचार्य लोग सुशिक्षित थे और उस युग(?) में शिक्षकों का सम्मान था। उन्हीं लोगों के घरों के अन्य बड़ों को हमलोग शायद वह सम्मान नहीं दे पाते। <br /></b><br /> महाराज की जय हो. बहुत बड़ी बात कह दी है. बहुत लोगों को जातिवाद (या कोई भी बुराई) तभी चुभता है जब उससे अपना नुक्सान हो. ये परदे कब हटेंगे?Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-76939734059457959552010-05-18T06:55:36.735+05:302010-05-18T06:55:36.735+05:30आपके विचारों से पूर्ण सहमति है. [राजा मांडा की नौट...आपके विचारों से पूर्ण सहमति है. [राजा मांडा की नौटंकी का कोई ज़िक्र नहीं]<br />विद्याविनयसम्पन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनी<br />शुनिचैव श्वपाके च पंडिता समदर्शिनः [गीता]Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-36059002728819120242010-05-17T21:12:42.591+05:302010-05-17T21:12:42.591+05:30@ पाण्डेय जी
वर्णाश्रम के हिसाब से तो आप शुद्र हु...@ पाण्डेय जी <br />वर्णाश्रम के हिसाब से तो आप शुद्र हुये . सेवा कार्य करने वाले शुद्रdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-67190838944742033692010-05-17T16:54:30.941+05:302010-05-17T16:54:30.941+05:30sahi farmaya !sahi farmaya !ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-23793512171258985792010-05-17T15:52:39.594+05:302010-05-17T15:52:39.594+05:30एकलव्य को द्रोणाचार्य ने शिक्षा नहीं दी... मैं सोच...एकलव्य को द्रोणाचार्य ने शिक्षा नहीं दी... मैं सोचता हूँ मान लीजिये उसने घोर तपस्या कर ब्राह्मण कुल मांग लिया ! और आज के जमाने में वो ब्राह्मण कुल में पैदा हो गया.... एकलव्य तब भी दुखी था आज भी दुखी है. घाटा तो प्रतिभा को ही होता है... फायदा किसी को हो न हो.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-84048640139020231832010-05-17T07:43:50.188+05:302010-05-17T07:43:50.188+05:30सरस्वती बाल विद्या मन्दिर में आचार्य जी लोग हर जात...सरस्वती बाल विद्या मन्दिर में आचार्य जी लोग हर जाति से थे। हमलोग सबके पैर छूते थे - विद्यालय के बाहर भी मिलने पर । डर नहीं, संस्कारों के कारण - घर और स्कूल दोनों जगह बताए सिखाए जाते थे। <br />.. यह व्यवस्था बहुत जटिल है। आचार्य लोग सुशिक्षित थे और उस युग(?) में शिक्षकों का सम्मान था। उन्हीं लोगों के घरों के अन्य बड़ों को हमलोग शायद वह सम्मान नहीं दे पाते। <br />इस व्यवस्था में हर जाति अपने से नीची जाति ढूँढ़ लेती है। बेटे/बेटी का रिश्ता पंडित जी या बाबू साहब मुनरा के यहाँ नहीं करेंगे लेकिन यादो जी भी नहीं करेंगे। अब बेटे/बेटियों को छोड़ दिया जाय इस काज के लिए लेकिन क्या उससे चमटोली या पसियाना या दुसाधपट्टी की स्थिति पर कुछ असर पड़ेगा? ... इस देश की ज़रूरत सबको बराबर अवसर और सुविधाएँ मुहैया कराने की है न कि रिजर्वेशन की। इस काम में राज्य भयानक रूप से असफल हुआ है। इसने दलितों में भी एक अलग एलीट क्लास खड़ा किया है बस। और इस एलीट क्लास में अपने जाति भाइयों के लिए गाँव के बाबू साहब से भी कम सहानुभूति है।.. ढेर सारा लिख जाऊँगा - उलूलजुलूल उल्लू सा इसलिए विराम ।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-84509657088080755772010-05-17T05:48:11.698+05:302010-05-17T05:48:11.698+05:30आशा है आप अपनी ऊर्जा सही दिशा में लगाएंगे :)आशा है आप अपनी ऊर्जा सही दिशा में लगाएंगे :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-11221911563530791852010-05-17T00:57:35.838+05:302010-05-17T00:57:35.838+05:30महिलाओं में श्रेष्ठ ब्लागर कौन- जीतिए 21 हजार के इ...महिलाओं में श्रेष्ठ ब्लागर कौन- जीतिए 21 हजार के इनाम<br />पोस्ट लिखने वाले को भी मिलेगी 11 हजार की नगद राशि<br />आप सबने श्रेष्ठ महिला ब्लागर कौन है, जैसे विषय को लेकर गंभीरता दिखाई है. उसका शुक्रिया. आप सबको जलजला की तरफ से एक फिर आदाब. नमस्कार.<br />मैं अपने बारे में बता दूं कि मैं कुमार जलजला के नाम से लिखता-पढ़ता हूं. खुदा की इनायत है कि शायरी का शौक है. यह प्रतियोगिता इसलिए नहीं रखी जा रही है कि किसी की अवमानना हो. इसका मुख्य लक्ष्य ही यही है कि किसी भी श्रेष्ठ ब्लागर का चयन उसकी रचना के आधार पर ही हो. पुऱूषों की कैटेगिरी में यह चयन हो चुका है. आप सबने मिलकर समीरलाल समीर को श्रेष्ठ पुरूष ब्लागर घोषित कर दिया है. अब महिला ब्लागरों की बारी है. यदि आपको यह प्रतियोगिता ठीक नहीं लगती है तो किसी भी क्षण इसे बंद किया जा सकता है. और यदि आपमें से कुछ लोग इसमें रूचि दिखाते हैं तो यह प्रतियोगिता प्रारंभ रहेगी.<br />सुश्री शैल मंजूषा अदा जी ने इस प्रतियोगिता को लेकर एक पोस्ट लगाई है. उन्होंने कुछ नाम भी सुझाए हैं। वयोवृद्ध अवस्था की वजह से उन्होंने अपने आपको प्रतियोगिता से दूर रखना भी चाहा है. उनके आग्रह को मानते हुए सभी नाम शामिल कर लिए हैं। जो नाम शामिल किए गए हैं उनकी सूची नीचे दी गई है.<br />आपको सिर्फ इतना करना है कि अपने-अपने ब्लाग पर निम्नलिखित महिला ब्लागरों किसी एक पोस्ट पर लगभग ढाई सौ शब्दों में अपने विचार प्रकट करने हैं। रचना के गुण क्या है। रचना क्यों अच्छी लगी और उसकी शैली-कसावट कैसी है जैसा उल्लेख करें तो सोने में सुहागा.<br />नियम व शर्ते-<br />1 प्रतियोगिता में किसी भी महिला ब्लागर की कविता-कहानी, लेख, गीत, गजल पर संक्षिप्त विचार प्रकट किए जा सकते हैं<br />2- कोई भी विचार किसी की अवमानना के नजरिए से लिखा जाएगा तो उसे प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया जाएगा<br />3- प्रतियोगिता में पुरूष एवं महिला ब्लागर सामान रूप से हिस्सा ले सकते हैं<br />4-किस महिला ब्लागर ने श्रेष्ठ लेखन किया है इसका आंकलन करने के लिए ब्लागरों की एक कमेटी का गठन किया जा चुका है. नियमों व शर्तों के कारण नाम फिलहाल गोपनीय रखा गया है.<br />5-जिस ब्लागर पर अच्छी पोस्ट लिखी जाएगी, पोस्ट लिखने वाले को 11 हजार रूपए का नगद इनाम दिया जाएगा<br />6-निर्णायकों की राय व पोस्ट लेखकों की राय को महत्व देने के बाद श्रेष्ठ महिला ब्लागर को 21 हजार का नगद इनाम व शाल श्रीफल दिया जाएगा.<br />7-निर्णायकों का निर्णय अंतिम होगा.<br />8-किसी भी विवाद की दशा में न्याय क्षेत्र कानपुर होगा.<br />9- सर्वश्रेष्ठ महिला ब्लागर एवं पोस्ट लेखक को आयोजित समारोह में भाग लेने के लिए आने-जाने का मार्ग व्यय भी दिया जाएगा.<br />10-पोस्ट लेखकों को अपनी पोस्ट के ऊपर- मेरी नजर में सर्वश्रेष्ठ ब्लागर अनिवार्य रूप से लिखना होगा<br />ब्लागरों की सुविधा के लिए जिन महिला ब्लागरों का नाम शामिल किया गया है उनके नाम इस प्रकार है-<br />1-फिरदौस 2- रचना 3-वंदना 4-संगीता पुरी 5-अल्पना वर्मा- 6 –सुजाता चोखेर 7- पूर्णिमा बर्मन 8-कविता वाचक्वनी 9-रशिम प्रभा 10- घुघूती बासूती 11-कंचनबाला 12-शेफाली पांडेय 13- रंजना भाटिया 14 श्रद्धा जैन 15- रंजना 16- लावण्यम 17- पारूल 18- निर्मला कपिला 19 शोभना चौरे 20- सीमा गुप्ता 21-वाणी गीत 21- संगीता स्वरूप 22-शिखाजी 23 –रशिम रविजा 24- पारूल पुखराज 25- अर्चना 26- डिम्पल मल्होत्रा, 27-अजीत गुप्ता 28-श्रीमती कुमार.<br />तो फिर देर किस बात की. प्रतियोगिता में हिस्सेदारी दर्ज कीजिए और बता दीजिए नारी किसी से कम नहीं है। प्रतियोगिता में भाग लेने की अंतिम तारीख 30 मई तय की गई है.<br />और हां निर्णायकों की घोषणा आयोजन के एक दिन पहले कर दी जाएगी.<br />इसी दिन कुमार जलजला का नया ब्लाग भी प्रकट होगा. भाले की नोंक पर.<br />आप सबको शुभकामनाएं.<br />आशा है आप सब विषय को सकारात्मक रूप देते हुए अपनी ऊर्जा सही दिशा में लगाएंगे.<br />सबका हमदर्द<br />कुमार जलजलाKumar Jaljalahttps://www.blogger.com/profile/17272554213360157887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-5102996070317370632010-05-16T23:37:49.765+05:302010-05-16T23:37:49.765+05:30आपकी बातें सही हैं. सभी लोग ये मानते हैं कि योग्यत...आपकी बातें सही हैं. सभी लोग ये मानते हैं कि योग्यता ही किसी भी व्यक्ति के उच्च सेवाओं में चयन और पदोन्नति का आधार होनी चाहिए. आरक्षण की नीति के प्रभाव की भुक्तभोगी मैं भी रही हूँ जब ठीक मेरे जितने नंबर आई.ऐ.एस. मेंस में पाकर मेरी एक जूनियर चयनित हो गयी और मेरा चयन नहीं हुआ. थोड़ा दुख तो हुआ क्योंकि मैं भी भगवान तो हूँ नहीं कि इन सब बातों से ऊपर उठ जाऊं...पर फिर मन को समझा लिया. कुछ विसंगतियाँ ज़रूर हैं इस नीति में, लेकिन ये नीति "रिवर्स डिस्क्रिमिनेशन" के सिद्धांत पर आधारित है, जिसका अर्थ ये है कि जो सदियों से दलित हैं, उन्हें कुछ अधिक सुविधाएं देकर बराबरी पर लाने का प्रयास किया जाए.<br />रही बात इस नीति के कारण जातिगत भेदभाव बढ़ने की, तो ये बात कुछ हद तक सही भी है कि पिछडों के आरक्षण के लिए मंडल कमीशन की रिपोर्ट के बाद से इसका प्रभाव बढ़ा है, पर अकेले उसे ही दोष देना उचित नहीं है. जातिभेद तब तक नहीं मिटेगा जब तक रोटी-बेटी का सम्बन्ध शुरू नहीं होता --ये बात डॉ. अम्बेडकर ने बहुत पहले समझ ली थी. अगर हम इसे दूर करना चाहते हैं तो प्रेम विवाह को सामाजिक स्वीकृति देनी होगी और दकियानूसी बातों से ऊपर उठना होगा.<br />खाली आरक्षण नीति को कोसने से कुछ नहीं होगा.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-67790212698549433822010-05-16T23:16:03.340+05:302010-05-16T23:16:03.340+05:30राजनित जो न करवा दे...जाने क्या विचार होता हैराजनित जो न करवा दे...जाने क्या विचार होता हैUdan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-30536728701143681152010-05-16T22:28:24.638+05:302010-05-16T22:28:24.638+05:30जिसके स्वार्थ पर आघात होता है वह या तो जाति का समर...जिसके स्वार्थ पर आघात होता है वह या तो जाति का समर्थक हो जाता या फिर विरोधी, जिससे उसे लाभ होता हो. यह तय कि जाति खून से जाने वाली नहीं. इस ब्लाग का संदर्भ और टिप्पणियां ही देख लें उदाहरण के लिए .Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-35432278379745295682010-05-16T19:43:07.123+05:302010-05-16T19:43:07.123+05:30इन नेताओ ने जात पात पर जितना जहर घोला है, शायद उतन...इन नेताओ ने जात पात पर जितना जहर घोला है, शायद उतना है नही,्मेरे बहुत से मित्र है जिन की जात मैने आज तक नही पुछी, नाम से धर्म का पता चलता है, वरना हमे किसी के धर्म का भी पता ना चले,इस लिये अब जनता को आम आदमी को इस बारे जगरु होना चाहिये ओर इन कपटियो की चाल मै नही आना चाहिये, इस माया ने कोन सा ऎसा काम किया है जिस से इन दलित लोगो का पेट भर जाये, उन के सर पर छत बन जाये, सर भी तभी ऊंचा होता है जब पेट मै रोटी हो, सीधा खडे होने की हिम्मत हो, इस लिये इस जात पात को भुल जाओ ओर मिल कर रहोराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-45500662595566861292010-05-16T18:58:13.260+05:302010-05-16T18:58:13.260+05:30मात्र योग्यता ही मानक हो सम्मान का । पर पता नहीं य...मात्र योग्यता ही मानक हो सम्मान का । पर पता नहीं यह राजनीति कितना अहित करेगी समाज का ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-86888774411058665532010-05-16T18:56:50.097+05:302010-05-16T18:56:50.097+05:30वर्णाश्रम व्यवस्था के प्रति श्रद्धा है, पर जाति के...वर्णाश्रम व्यवस्था के प्रति श्रद्धा है, पर जाति के कुटिल रूप को तो दूर से नमस्कार!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-71562985955101326312010-05-16T17:36:17.436+05:302010-05-16T17:36:17.436+05:30मुहर तो बहुत पहले लग चुकी । अब क्या करें ?
आपके वि...मुहर तो बहुत पहले लग चुकी । अब क्या करें ?<br />आपके विचार सही हैं अरविन्द जी ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-50111096379996397822010-05-16T17:32:25.175+05:302010-05-16T17:32:25.175+05:30अब तो सरकारी मुहर लगने जा रही है -क्या किया जाय---...अब तो सरकारी मुहर लगने जा रही है -क्या किया जाय---<br />देश की राजनीति और उसे दिशा देने वाले लोग अपनें सत्ता मोह में समाज को नष्ट कर रहे हैं..आज बढती जातिवादी सोच से हर बुद्धिजीवी त्रस्त है.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-18819688110621828062010-05-16T16:56:06.328+05:302010-05-16T16:56:06.328+05:30@यदि ब्राह्मण के घर पैदा होकर भी कोई ज्ञान के प्रत...@यदि ब्राह्मण के घर पैदा होकर भी कोई ज्ञान के प्रति और जीवन के अच्छे मूल्यों के प्रति आग्रही नहीं है तो मैं उसे कोई तवज्जो नहीं देता और हरिजन यदि विद्वान हो तो उसके चरण भी छूने में मुझे कतई संकोच नहीं है....<br /><br />व्यक्ति अच्छा बुरा हो यह हमारा मापदंड होना चहिये जाति तो कदापि नहीं -व्यक्तिगत श्रेष्ठता ही अभीष्ट हो हमारा....<br /><br />ऐसा ही होना चाहिए ....ऐसा ही हो ....!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-65510808867872788412010-05-16T16:44:53.626+05:302010-05-16T16:44:53.626+05:30Aage badhne ke bajay ham peechhe hat rahe hain..wa...Aage badhne ke bajay ham peechhe hat rahe hain..watanke patan ki or...sach kaha,ekjut ke bina aur koyi upay nahi.kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-78033223482083968122010-05-16T16:17:41.747+05:302010-05-16T16:17:41.747+05:30आपकी ये पोस्ट एक सही दिशा की ओर इंगित करती है...ना...आपकी ये पोस्ट एक सही दिशा की ओर इंगित करती है...ना जाने कितने लोगों ने ये जाति की त्रासदी झेली होगी...सक्षम होते हुए भी पदोन्नति का ना होना...ये सरकारी सेवा में आम बात है.पर कितना क्रूर है इसका अंदाजा नहीं है लोगों को.<br />जातिवाद ने देश को बांटने का काम किया है...यदि आरक्षण देना है तो बस दो ही वर्ग निर्धारित होने चाहिए...गरीब वर्ग और अमीर वर्ग ..<br /><br />सार्थक लेखसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-45288961079150970732010-05-16T15:57:57.254+05:302010-05-16T15:57:57.254+05:30जात पात पूछे नहीं कोई , हरी को भजे सो हरी का होई ....जात पात पूछे नहीं कोई , हरी को भजे सो हरी का होई . ये पंक्तिया अपना अर्थ खो चुकी है आज के जातिवादी समाज में , और जातिवादी आरक्षण हमारे पहले से भी जातिगत आधार पर विभक्त समाज के लिए नासूर हैashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.com