tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post4369804493260792707..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: चिर यौवन और अमरता की हमारी ललक(पुराण कथाओं में झलकता है भविष्य-2)Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-6174887518665157842012-04-01T12:33:32.886+05:302012-04-01T12:33:32.886+05:30एक बार फिर महत्वपूर्ण जानकारी और विज्ञान का संगम. ...एक बार फिर महत्वपूर्ण जानकारी और विज्ञान का संगम. धन्यवाद.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-24771891049763712512012-04-01T11:56:50.823+05:302012-04-01T11:56:50.823+05:30अमरता का ख्याल बहुत हाहाकारी है और अगर ये सुविधा च...अमरता का ख्याल बहुत हाहाकारी है और अगर ये सुविधा चुनिंदा लोगों के लिये हुई तो और भी ज्यादा हाहाकारी। ’ययाति’ का जिक्र आपने कर ही दिया, संबंधित दूसरा लोक आख्यान भृतृहरि और गोरखनाथ के अमरफ़ल वाला है। निष्कर्ष दोनों में ही यही निकलता है कि लोलुपता, लालसा की तुष्टि हो ही नहीं सकती। फ़िर भी,’दिल के बहलाने को गालिब, ये ख्याल अच्छा है।’संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-61592991599385588952012-04-01T11:16:26.999+05:302012-04-01T11:16:26.999+05:30हां नवभारत टाइम्स के ब्लॉग से भी जुड़ने के लिये बधा...हां नवभारत टाइम्स के ब्लॉग से भी जुड़ने के लिये बधाई!अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-54658385861570785912012-04-01T11:13:07.506+05:302012-04-01T11:13:07.506+05:30ये समय बिताने के लिये करना है कुछ काम जैसी कल्पनाय...ये समय बिताने के लिये करना है कुछ काम जैसी कल्पनायें हैं। वर्ना जब सितारे मरते हैं, आकाशगंगाये खतम होती हैं तो इंसान भी तो निपटेगा।<br /><br />बाकी आशीष की बात से इत्तफ़ाक है! :)अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-22753301756551024692012-04-01T08:23:30.146+05:302012-04-01T08:23:30.146+05:30श्री राम जन्म की बधाईयाँ :) शुभकामनाएं |श्री राम जन्म की बधाईयाँ :) शुभकामनाएं |Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-45255931615602562682012-04-01T02:13:00.205+05:302012-04-01T02:13:00.205+05:30पुराणों की हमारी सोच यहाँ वहां बिखरी हुई है -आधुनि...पुराणों की हमारी सोच यहाँ वहां बिखरी हुई है -आधुनिक साक्ष्य उसके पक्ष में आ खड़े हैं.मसलन गर्भस्थ माँ की आवाज़ को पहचानता है .अभिमन्यु ने गर्भस्थ रहते जन्मपूर्व चक्रव्यू भेदना सीख लिया था बाहर आने की युक्ति सुन पाता इससे पहले ही माँ की नींद टूट गई .<br /><br />आज एंटी -ओक्सिडेंट को एंटी -एजिंग एजेंट माना जाता है .यही वह बूटी है जिसमे अमरत्व के सूत्र छिपें हैं .कोशिका की टूट फूट के भरपाई इसी एंटी -ओक्सिडेंट के हाथों होगी .अमरत्व भी मिलेगा एक दिन कोशिका को .जैसा एक मत्स्य का ज़िक्र किया गया है उसके आगे भी अनेक संभावनाए हैं .<br /><br />क्लोनिग की कल्पना भी नै नहीं है प्रोद्योगिकी ज़रूर अभिनवहै : 'एन -न्युक्लियेशन 'यानी रसोई किसी की मसाला किसी का .रसोई माने कोशिका का कवच, सेल अप्रेट्स और मसाला माने न्यूक्लियस .यानी जिसका हमशक्ल बनाना है उसका न्यूक्लियस किसी और महिला की काया कोशिका लेके उसका यानी उसका जिसकी काया कोशिका ली गई है -'न्यूक्लियस' निकाल के फैंक दो उसके स्थान पर जिस महिला का क्लोन बनाना है उसका न्युक्लिअस ड़ाल दो .अब इसका मिलन पेट्री डिश में उचित माध्यम में स्पर्मेटाजोआ से करा दो .पकने दो इस अंडे कोइलेक्ट्रिक स्पार्क से . फिर धाय माँ के गर्भाशय में रोप दो .बस जिसका न्युक्लिअस लिया था प्रसव के बाद उसका क्लोन तैयार ..<br /><br />कहतें हैं एक ऋषि तपस्या कर रहे थे .एक अप्सरा ने आकर अपने मायावी रूप जाल से ऋषि का तप भंग किया .ऋषि स्खलित हुए रूपजाल में निबद्ध हो .एक दोने में स्पर्म (इजेक्युलेट )को बंद कर नदी में बहा दिया उससे द्रोणाचार्य की उतपत्ती हुई .<br /><br />इसी तरह की अनेक विज्ञान कथाओं के बीज दंत कथाओं में बिखरे हैं .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-74228887487724222642012-03-31T23:16:55.509+05:302012-03-31T23:16:55.509+05:30इस जानकारी को शेयर करने के लिए आभार।इस जानकारी को शेयर करने के लिए आभार।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-46168976384676906012012-03-31T21:49:48.714+05:302012-03-31T21:49:48.714+05:30.
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आशीष श्रीवास्तव जी की टीप से सहमत... आज के ह....<br />.<br />.<br />आशीष श्रीवास्तव जी की टीप से सहमत... आज के हम हैं क्या... पहले एककोशीय जीव से लेकर आज के इंसान तक अनवरत चलते जैवीय विकास क्रम की नवीनतम कड़ी ही तो हैं हम...एक छोटे से अंश के रूप में ही सही... पहला एक कोशीय जीव आज भी हम सबके अंदर जिंदा है...<br /><br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-17823963863039134302012-03-31T21:23:54.636+05:302012-03-31T21:23:54.636+05:30आशीष श्रीवास्तव साहब की टिप्पणी और आपका जबाब पसंद ...आशीष श्रीवास्तव साहब की टिप्पणी और आपका जबाब पसंद आया पर ...<br /><br />अभी कुछ दिन पहले शुक्राचार्य वगैरह पर एक सीरियल देख रहा था ! देवयानी जो भी अदाकारा रही हों पता नहीं पर कच को गोली मार देने की इच्छा हुई :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-51676127185201023882012-03-31T19:54:55.497+05:302012-03-31T19:54:55.497+05:30बाबा रे - अमरता ?? न रे बाबा !!!
:)
ऐसे ही ठीक है...बाबा रे - अमरता ?? न रे बाबा !!!<br />:)<br /><br />ऐसे ही ठीक हैं :)Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-40609818748265876802012-03-31T19:46:13.871+05:302012-03-31T19:46:13.871+05:30Hi Arvind darling....very good thought. love u dar...Hi Arvind darling....very good thought. love u darling....take care.मुन्नी बदनामhttps://www.blogger.com/profile/07470855003573071619noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-79093140214388451382012-03-31T19:46:03.359+05:302012-03-31T19:46:03.359+05:30,,मुन्नी बदनामhttps://www.blogger.com/profile/07470855003573071619noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-13806036388429074092012-03-31T10:34:09.594+05:302012-03-31T10:34:09.594+05:30sachhi me 'o' din bhi aayenge.......
term...sachhi me 'o' din bhi aayenge.......<br /><br />termology ke hisab se bhi baraset aashishji aur apke kahe ko 'amarta'<br />hi maja jata hai ab tak....<br /><br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-61135991201590784182012-03-31T10:14:35.888+05:302012-03-31T10:14:35.888+05:30मृत्युलोक में भी अमरता? थोडा विरोधाभाष है।
पहले वि...मृत्युलोक में भी अमरता? थोडा विरोधाभाष है।<br />पहले विचार करना होगा कि कायिक तत्वों के अस्तित्व को अमरता मानते है या जीवन के अस्तित्व को।<br /><br />कायिक तत्व तो अमर ही है, सदा शाश्वत है। उन परमाणुओं का प्रकृति में मात्र संयोग-वियोग का चक्र चलता रहता है।<br /><br />जीवन की बात करें तो जैली फ़िश के बारे में यह निर्धारण दुष्कर है कि उलटे चक्र में यह वही पुराना जीवन है या नए जीवन का प्रारम्भ यानि अन्य जीवन। मनुष्य में ही बुद्धि है और सोचने समझने की क्षमता। चिर-यौवन प्राप्त करने के बाद ही पता चले कि यह पुराना जीवन है या नया, शरीर के बाल स्वरूप में पहुंचते ही स्मृतियाँ भी अबोध हो जाएगी, फिर कैसी खुशी और कैसा रंजन और रोमांच?सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-19349478190624511912012-03-31T10:02:55.756+05:302012-03-31T10:02:55.756+05:30अमरता की हमारी ललक को लहकाती हुई रोचक (वैज्ञानिक) ...अमरता की हमारी ललक को लहकाती हुई रोचक (वैज्ञानिक) प्रसंग को व्याख्यायित करता आलेख उम्मीद जगा रही है .नभ भारत टाइम्स पर भी देखा ,उसके लिए शुभकामनाएं .Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-32718542486078638982012-03-31T09:11:27.240+05:302012-03-31T09:11:27.240+05:30हमें तो मल्लिका पुखराज को दोहराने में ही सार दिखता...हमें तो मल्लिका पुखराज को दोहराने में ही सार दिखता है.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-18016243681063609372012-03-31T09:08:21.090+05:302012-03-31T09:08:21.090+05:30आपने इस विमर्श में पौराणिक कथा का उदाहरण देकर उसे ...आपने इस विमर्श में पौराणिक कथा का उदाहरण देकर उसे आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ा है.अमरता ऐसा विषय है जिसमें चिरकाल से उत्सुकता बराबर बनी हुई है.के लोग अमर बताये गए हैं तो ययाति चिर-यौवन .<br /><br />अमरता के बारे में एक सवाल यह भी है कि लगातार बूढ़े और अशक्त होते जाने पर कोई अमर बना रहे या अवस्था का वह कौन-सा बिंदु है जिस पर जाकर आदमी ठहर जाय ?संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-9844161943457151402012-03-31T08:46:35.565+05:302012-03-31T08:46:35.565+05:30@आशीष जी ,
अगर आपकी कोशिकाओं /उतकों का कल्चर बन जा...@आशीष जी ,<br />अगर आपकी कोशिकाओं /उतकों का कल्चर बन जाए तो वह एक लिहाजा से मानवता के रहने तक अमर हो सकेगा ..<br />बाकी अमरता के कई स्वरुप हैं -हम अपनी वंश परम्परा में ,अपनी यश काया,कृतित्व -कालजयी रचनाओं में भी अमर होने विकल्प तलाशते हैं ...अमरता की यात्रा एक अनवरत ,शाश्वत यात्रा है ...मृत्योर्मा अमृतं गमय का उद्घोष याद कीजिये ... :) <br />आप इस श्रृखला -विमर्श में जुड़े हैं अच्छा लगा -देखिये छोड़ मत जाईयेगा !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-48225761880496505632012-03-31T07:41:33.123+05:302012-03-31T07:41:33.123+05:30ज्ञानवर्धक ,रोचक आलेख ...!
शुभकामनायें .ज्ञानवर्धक ,रोचक आलेख ...!<br />शुभकामनायें .Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-69527560562748014132012-03-31T03:04:39.990+05:302012-03-31T03:04:39.990+05:30अमर तो हम हैं ही, हमारे DNA अपनी प्रतिक्रती बनाते ...अमर तो हम हैं ही, हमारे DNA अपनी प्रतिक्रती बनाते है जिससे हमारा शरीर एक कोशीका से व्यस्क शरीर बन जाता है। यही DNA अगली पीढ़ी में जाता है, यह क्रम अनादी काल से चला आ रहा है। मैं मानता हुँ कि मेरे शरीर में सबसे पहला एक कोशीय जीव आज भी जीवित है, अमर है।Ashish Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02400609284791502799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-87258328168672757522012-03-30T23:34:04.389+05:302012-03-30T23:34:04.389+05:30कच की कथा रोचक लगी ... अब वैज्ञानिक खोज में लगें ह...कच की कथा रोचक लगी ... अब वैज्ञानिक खोज में लगें हैं तो कुछ न कुछ तो खोज ही लेंगे ... लेकिन प्रकृति हर हाल में बदला ले लेती है ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-40904552843411831762012-03-30T22:56:40.439+05:302012-03-30T22:56:40.439+05:30सच है यह नहीं स्वीकार पाता इन्सान की जीवन का अंत ...सच है यह नहीं स्वीकार पाता इन्सान की जीवन का अंत तय है ....तभी तो आपाधापी में लगा रहता है...... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-81553804395210918862012-03-30T22:44:53.567+05:302012-03-30T22:44:53.567+05:30काश यह दिन जल्दी आये ....
शुभकामनायें हमउम्रों को ...काश यह दिन जल्दी आये ....<br />शुभकामनायें हमउम्रों को :-)Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-20732392016769318412012-03-30T22:39:50.204+05:302012-03-30T22:39:50.204+05:30अमर होकर तो मुसीबत ही मुसीबत है .
जितने द...अमर होकर तो मुसीबत ही मुसीबत है . <br /><br />जितने दिन जियें , दिल ज़वान रखकर जियें .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-32781011429901086912012-03-30T21:47:17.495+05:302012-03-30T21:47:17.495+05:30भूत का भविष्य से मेल हो रहा है।भूत का भविष्य से मेल हो रहा है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com