tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post4361281274563930109..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: परशुराम का आह्वानArvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger45125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-47714723091103704522021-09-27T12:01:02.444+05:302021-09-27T12:01:02.444+05:30जब जब इस धरती पर पाप बढ़ा है
उसका सर्वनाश करने भ...जब जब इस धरती पर पाप बढ़ा है <br />उसका सर्वनाश करने भगवान श्री विष्णु के अवतारों का जन्म हुआ है हर उस व्यक्ति के अंदर परशुराम है जो किसी प्राणी को दुख/ दर्द//पीड़ा/ विलाप/कष्ट देख ज्वाला की अग्नि से सब हर लेता है 🚩#भारत_को_हिंदू_राष्ट्र_जल्द_घोषित_करोइंजीनियर प्रशांत तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/10543958436362029645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-28955747820086282962021-05-14T10:36:32.315+05:302021-05-14T10:36:32.315+05:30बहुत सुंदर लेख. आप वास्तव में बधाई के पात्र हैं.
...बहुत सुंदर लेख. आप वास्तव में बधाई के पात्र हैं.<br /> मेरे विचार से परशुराम, जमदग्नि, शुक्राचार्य एवं स्वयं भृगु सभी शैव परंपरा के ध्वजवाहक थे. जहां पुराणों में भृगु को शंकर जी का भाई बताया गया है, उनके द्वारा विष्णु को लात मारने की घटना, शुक्राचार्य का विष्णु विरोध और दैत्यगुरू होना, शिव से संजीवनी विद्या प्राप्त करना,जमद जमदग्नि और परशुराम का वैष्णव सहस्त्रार्जुन से वैर इस बात के संकेत हैं कि प्राचीन काल में शैव और वैष्णव पंथों में संघर्ष होते रहे और इन सभी की कर्मभूमि दक्षिण भारत होने से इन्हें सम्मान नहीं दिया गया जिनके ये पात्र हैंBrajesh Kumar Sharmahttps://www.blogger.com/profile/10433528892714104431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-61044276481124346202021-05-14T10:25:44.130+05:302021-05-14T10:25:44.130+05:30इसे शेयर कर सकते हैं क्या गुरुजीइसे शेयर कर सकते हैं क्या गुरुजीपंडित ऐश्वर्य देव चतुर्वेदी अधिवक्ता शाडोराhttps://www.blogger.com/profile/10759617654124476288noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-40851734038963052402021-05-14T09:15:33.162+05:302021-05-14T09:15:33.162+05:30https://www.thelyrics.inhttps://www.thelyrics.inTCBhttps://www.blogger.com/profile/12081579580925633219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-64036457735302243492021-05-14T09:14:59.094+05:302021-05-14T09:14:59.094+05:30HaanHaanTCBhttps://www.blogger.com/profile/12081579580925633219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-89113597879190247322020-04-26T00:37:35.225+05:302020-04-26T00:37:35.225+05:30सही बातसही बातAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/04444113919071762775noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-45035213120139230592016-01-27T01:27:25.426+05:302016-01-27T01:27:25.426+05:30वाह 🙏👌👍👏👏वाह 🙏👌👍👏👏Adminhttps://www.blogger.com/profile/07119255522177525835noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-6882284405038565052011-05-09T14:47:44.177+05:302011-05-09T14:47:44.177+05:30बहुत सुन्दर, जानकरी से पूर्ण और ज्ञानवर्धक आलेख! ब...बहुत सुन्दर, जानकरी से पूर्ण और ज्ञानवर्धक आलेख! बेहतरीन प्रस्तुती!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-2905660037794883922011-05-08T17:55:47.056+05:302011-05-08T17:55:47.056+05:30परशुराम जी का व्यक्तित्व वास्तव में बाकी सभी ऋषिजन...परशुराम जी का व्यक्तित्व वास्तव में बाकी सभी ऋषिजनों से अलग था...आपने कुछ और बातें विस्तार में बताई बहुत अच्छा लगा...बढ़िया जानकरी ..इस सुंदर आलेख ले लिए बधाईविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-5900036398597776222011-05-08T17:19:56.065+05:302011-05-08T17:19:56.065+05:30बहुत सुन्दर पोस्ट.
आप सक्षम हैं इसलिए ज़रूर लिखें....बहुत सुन्दर पोस्ट.<br />आप सक्षम हैं इसलिए ज़रूर लिखें. आपके माध्यम से और लोग ऐसी विभूतियों के बारे में जान पायेंगे तो ज्ञान का बहुत बड़ा उपयोग होगा.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-56893396637639456372011-05-07T15:31:50.289+05:302011-05-07T15:31:50.289+05:30परशुराम की जानकारी के लिए आभार। परंतु परशुराम जयं...परशुराम की जानकारी के लिए आभार। परंतु परशुराम जयंती पर छुट्टी की बात हज़म नहीं हुई। भारत में तो हर वर्ष तीन सौ पर्व होंगे ही... तो क्या आप पैंसठ दिन ही.....:)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-40452039217620333022011-05-07T12:09:10.788+05:302011-05-07T12:09:10.788+05:30इस आलेख के लिये आभार.
मेरे बचपन में मुझे समाज और ...इस आलेख के लिये आभार.<br /><br />मेरे बचपन में मुझे समाज और अध्यापकों से यह शिक्षा मिली थी कि सारी पौराणिक कथायें महज कपोल कल्पना है. लेकिन जैसे जैसे मैं प्राचीन भारत के इतिहास का अध्ययन करता जाता हूं वैसे वैसे लगता है कि कई पौराणिक कथाओं के पीछे वास्तविक इतिहास छुपा हुआ है. <br /><br />परशूराम की कथा के पीछे निश्चित रूप से काफी कुछ इतिहास है. जरूरत इस बात की है कि कुछ लोग इस विषय पर गहन अध्ययन एवं अनुधान करके विषय के एतिहासिक भाग पर प्रकाश डालें. <br /><br />सस्नेह -- शास्त्री<br /><br />हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है<br />http://www.Sarathi.infoDr. Johnson C. Philiphttps://www.blogger.com/profile/10836988406358120241noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-82185716329661501522011-05-07T11:44:35.281+05:302011-05-07T11:44:35.281+05:30हमारी भी जानकारी परशुरामजी के अत्यन्त क्रोधित ब्रा...हमारी भी जानकारी परशुरामजी के अत्यन्त क्रोधित ब्राह्मण से आगे नहीं थी । आभार आपके द्वारा प्रस्तुत इस विस्तृत जानकारी पर...Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-19265352864969526562011-05-07T11:04:40.302+05:302011-05-07T11:04:40.302+05:30अरविन्द जी प्रणाम,
बचपन में परशुराम के चरित्र को...अरविन्द जी प्रणाम,<br /><br />बचपन में परशुराम के चरित्र को राम लीलाओं के लक्ष्मण-परशुराम संवाद के जरिये से जाना जहाँ परशुराम एक बोखलाए क्रोधी ब्रह्मण के रूप में नज़र आते हैं जो लक्ष्मण के व्यंग बाणों का शिकार हो अंततः भगवान् राम के समक्ष नतमस्तक होता है. तब मुझे परशुराम एक खलनायक ही लगते थे जो शायद आज भी मेरे जैसे अनेक लोगों को लगता हो. रामलीलाओं से पैदा हुयी परशुराम जी की इस नकारात्मक छवि को आप जैसे कलम के धनी लेखक अपने इस प्रकार के लेखों से सुधार सकते हैं. परशुराम जयंती के अवसर पर लिखा गया एक बेहतरीन लेख. धन्यवाद आपका और एक बार फिर से प्रणाम.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-29149752768499188092011-05-07T11:03:05.985+05:302011-05-07T11:03:05.985+05:30बहुते गजब लिखे हैं जी। ऐकरा बदे सर्टीफ़िकेटवा की क...बहुते गजब लिखे हैं जी। ऐकरा बदे सर्टीफ़िकेटवा की कोनू दरकार नाही लगत बा।Radhe Radhe Satak Biharihttps://www.blogger.com/profile/15040698552720503490noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-35199301919955857222011-05-07T10:17:27.921+05:302011-05-07T10:17:27.921+05:30महान विभूति एवम गुरू परशुरामजी को कोटि कोटि नमन
&#...महान विभूति एवम गुरू परशुरामजी को कोटि कोटि नमन<br />'गणेशजी' को एक दन्त कर देने वाले,<br />भीष्म और दानवीर कर्ण के गुरू परशुरामजी के ऊपर यह सुन्दर लेख लिखकर आपने लेखनी को कृतार्थ किया.<br />गुरू वह है जिससे सद्ज्ञान की प्राप्ति हों जिससे ह्मारा यथार्थ कल्याण हों.इसके लिए हमें सर्वप्रथम शिष्य बनकर गुरू की कृपा प्राप्त करनी होगी और उनके द्वारा दिए ज्ञान को अनुसंधान कर अच्छी तरह से समझकर आत्मसात करना होगा .<br />सुन्दर लेख के लिए बहुत बहुत आभार.आगे भी आप गुरू परशुरामजी द्वारा प्रदत्त ज्ञान से हमें अनुग्रहित करते रहेंगें,ऐसी आशा है.<br /><br />मेरे ब्लॉग पर आयें,आपका हार्दिक स्वागत है.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-52444302618913931422011-05-07T05:17:37.617+05:302011-05-07T05:17:37.617+05:30इस माहौल में ऐसी बातें सार्थक हैं ही, कुछ हद तक अन...इस माहौल में ऐसी बातें सार्थक हैं ही, कुछ हद तक अनूठी भी. जब जयंतियों का एक ही स्वरूप रह गया है, जुलूस निकालकर जन-बल और शक्ति-प्रदर्शन.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-86083991736103311732011-05-07T03:02:48.929+05:302011-05-07T03:02:48.929+05:30भगवान परशुराम के बारे में पढ़ना अच्छा लगा... डॉ अ...भगवान परशुराम के बारे में पढ़ना अच्छा लगा... डॉ अमर की बात पर गौर करिएगा...मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-35477726524223795842011-05-07T03:02:48.450+05:302011-05-07T03:02:48.450+05:30भगवान परशुराम के बारे में पढ़ना अच्छा लगा... डॉ अ...भगवान परशुराम के बारे में पढ़ना अच्छा लगा... डॉ अमर की बात पर गौर करिएगा...मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-8369595868187664882011-05-06T23:58:03.176+05:302011-05-06T23:58:03.176+05:30एक महान ऐतिहासिक/पौराणिक विभूति को संकीर्ण राजनीति...एक महान ऐतिहासिक/पौराणिक विभूति को संकीर्ण राजनीतिक और जातीय खांचे में बाँधने के प्रयास दुखद हैं. अरुणाचल के लोहित जिले में भी एक परशुराम कुंड है जहाँ जनवरी में मेला भी लगता है. शायद मकर संक्रांति और सूर्योपासना से भी संबंध हो इसका.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-650775004098340852011-05-06T19:29:31.407+05:302011-05-06T19:29:31.407+05:30एक samay था जब माया और कांशी ने समाज में इतना विष-...एक samay था जब माया और कांशी ने समाज में इतना विष-वमन किया था कि 'ब्राह्मण' नामक जंतु एक वर्ग-विशेष को फूटी आँख नहीं सुहाता था.... ब्राह्मण ने तो जबकि अन्य वर्णों के व्यक्तियों को भगवान् बनाकर पूजा.. चाहे वह क्षत्रीय कुल में जन्मे 'श्रीरामचंद्र हों' अथवा वैश्य कुल में पाले यादवेन्द्र 'श्रीकृष्ण' हों. और एक दम taazaa udaaharan 'Guru Ambedkar जी ने 'Baalak BheemRao' को apnaa naam dekar उसे 'harijnaonon का devtaa' (matlab भगवान्) बना diyaa. ....किन्तु ब्राह्मण ने अपनी पूजा नहीं की... इसलिए वह सम्मानित रहा जैसे वह अपने कुल को श्रेष्ठतम मानकर अहंकार से भर गया खुद को poojne lagaa वह patangaamii हो गया, धर्म से chyut हो गया..... उसका दंड vartmaan में इस आरक्षण roop में bhog रहा है..arvind जी, सन १९९४ में कोलिज के समय मेरे मन का आक्रोश भी अपने शिक्षकों के सम्मुख कुछ इस कदर निकला था :<br /><br /><br />कब तलक हाथ पर हाथ धरे बैठोगे?<br />भर अहंकार मन में कब तक ऐंठोगे?<br /><br />ब्राह्मण कहलाकर हुए तुष्ट क्या तुम हो? <br />मिथ्या प्रपंच रच बने दुष्ट या तुम हो? <br />या मान लिया खुद को ब्रह्मा अवतारी? <br />कर चार वर्ण वर्णों का ही व्यापारी? <br /><br />या उच्च बने वर्णों में तुम इतराये? <br />क्या भूल गए अपनी सब मर्यादायें? <br />क्या धृति क्षमा दम को तुमने पहचाना?<br />या बिना समझ सोचे ही सब अपनाना? <br /><br />है धैर्य धर्म का प्रथम लक्ष बतलाया. <br />मनु ने अंतिम फिर क्रोध शमन सिखलाया. <br />क्या इसलिए हो गए शीत तुम इतना.<br />कटु वचन बोल जाए चाहे जो जितना.<br /><br />है नहीं कभी भी क्रोध किसी पर करना.<br />चाहे दुष्टों के हाथ लिखा हो मरना.<br />अपराधी पर भी दया भाव को रखना.<br />ब्रह्म-हत्यारे से भी प्रतिकार न करना.<br /><br />यह सहनशीलता या तेरी कमजोरी? <br />सह रहे निम्न वर्णों की सीनाजोरी.<br />कांशी जैसे आकर धमका देते हैं. <br />आरक्षण से रक्षण करवा लेते हैं. <br /><br />फिर निम्न जातियों को भड़का देते हैं. <br />उनको समाज से अलग-थलग कहते हैं. <br />इस वर्ण-व्यवस्था रूपी मानव देह से <br />पैरों को तन से पृथक-पृथक कहते हैं.....PRATULhttps://www.blogger.com/profile/03991585584809307469noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-72359630956058922372011-05-06T19:27:51.296+05:302011-05-06T19:27:51.296+05:30डॉ. अमर कुमार जी से पूर्णतः सहमत हूँ। आप लिखिए। खं...डॉ. अमर कुमार जी से पूर्णतः सहमत हूँ। आप लिखिए। खंडन मंडन के लिए हम जैसे बहुत हैं तो।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-22126067688903982582011-05-06T19:23:03.962+05:302011-05-06T19:23:03.962+05:30Arvind जी, परशुराम जी naam sunkar ही ubaal aataa र...Arvind जी, परशुराम जी naam sunkar ही ubaal aataa रहा है. इसलिए इस lekh को padhkar भी ubad रहा हूँ. <br />परशुराम जी की प्रासंगिकता आज इस सन्दर्भ में बढ़ जाती है कि वे ब्राह्मणों को एकजुट कर पाने में सफल हो जाएँ और आरक्षण को पूर्णतया समाप्त करवाने के लिए अपने संगठन का जोरदार दबाव बना पायें. मैं पिछले १९-२० वर्षों से तो खुद देख रहा हूँ कि ब्राह्मणों की कितनी और क्या दुर्दशा हुई है... उसे बयाँ नहीं किया जा सकता. समाज में समानता लाने की सरकारी जी-तोड़ कोशिशें ज़ारी हैं. उनका नतीजा आज .... एक तरफ देखता हूँ – जब योग्यता से घटकर कोई कार्य करता दिखे. चौकीदार, जमादार... बर्तन मांजने वाली ब्राहमनी, झाडू लगाने वाला तिवारी... आदि-आदि..... ...... मैं यह नहीं कहता कोई कार्य बुरा है या किसी कार्य को करने का ठेका केवल शूद्र का है... लेकिन यह विषमता क्या स्वीकार्य है कि मूर्ख-जड़बुद्धि आरक्षण की सुविधा पाकर तो ऊँचा अधिकारी हो जाए... और मेधावी सामान्य कोटि का जीव ताउम्र जीविकोपार्जन के लिए, रोजगार के लिए अपने सम्मान से समझोता करता रहे...PRATULhttps://www.blogger.com/profile/03991585584809307469noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-57674231209501337602011-05-06T19:06:52.436+05:302011-05-06T19:06:52.436+05:30एक अरुणाचल में भी परशुराम कुण्ड है ऐसा कहीं पढ़ा था...एक अरुणाचल में भी परशुराम कुण्ड है ऐसा कहीं पढ़ा था. पंडीजी, तनिक और विस्तार दीजिये इसे.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-42166436935766097892011-05-06T18:38:09.190+05:302011-05-06T18:38:09.190+05:30परशुरामजी के चरित्र के बारे में इतनी जानकारी .....परशुरामजी के चरित्र के बारे में इतनी जानकारी .....ऐसे ज्ञानी और पराक्रमी व्यक्तित्व के विषय में अच्छा लगा पढ़कर ...... आभार डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.com