tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post385306376261859002..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: सनसनाहट प्रेमी थोडा किनारा ही किये रहें....वे निराश होंगें!Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-49746243231067892692009-11-11T10:33:05.056+05:302009-11-11T10:33:05.056+05:30ओह सीधी सी वैज्ञानिक चर्चा करने के लिए भी कितना सम...ओह सीधी सी वैज्ञानिक चर्चा करने के लिए भी कितना सम्हालना पड़ता है...लेखक को....अरविन्द जी को प्रणाम...Dr. Shreesh K. Pathakhttps://www.blogger.com/profile/09759596547813012220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-47214300332709960552009-11-07T13:12:13.818+05:302009-11-07T13:12:13.818+05:30आह! आपकी भाषा...आह!! आपका शिल्प!आह! आपकी भाषा...आह!! आपका शिल्प!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-52446134247970528142009-11-05T06:29:52.715+05:302009-11-05T06:29:52.715+05:30@मुक्ति जी ,
आप हिन्दी साहित्य और विशेषतया सौन्दर्...@मुक्ति जी ,<br />आप हिन्दी साहित्य और विशेषतया सौन्दर्य शास्त्र <br />की गंभीर अध्येता हैं यह आपके विषय के सूक्ष्म विवेचन से ही स्पष्ट है .<br />मैंने पहले ही दावा त्याग में यह स्वीकार किया है की इस विषय में मेरी <br />रूचि बस पल्लवग्राही ही है -मेरा स्वभाव सदी अर्जित जानकारी को साझा करने का रहा है बस ! <br /> आप कृपा कर अवश्य ही कंही हुयी त्रुटियों को अवश्य इंगित कर देगीं <br />और किसी अज्ञानता वश उपेक्षित रह गए बिंदु को भी उद्घाटित करेगीं ! <br />हाँ एक बात तो आप स्वीकारेगी की शास्त्रीय और साहित्यिक दृष्टियों में कहीं कहीं फर्क भी है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-19300218046741091592009-11-05T00:31:53.794+05:302009-11-05T00:31:53.794+05:30अरविन्द जी,
मैंने मूल नाट्यशास्त्र पढ़ी है और इसके...अरविन्द जी,<br />मैंने मूल नाट्यशास्त्र पढ़ी है और इसके अतिरिक्त दशरूपक भी. मेरी एक शंका है. मेरे विचार से नायिका-भेद श्रृंगार-रस के सम्बन्ध में है, नायक-भेद नहीं. नायक-भेद का प्रमुख आधार उनके गुण और प्रकृति है, परन्तु नायिका-भेद का वर्णन नायक के साथ उनके श्रृंगारिक सम्बन्धों के आधार पर, उनके नायक के प्रति प्रणय-व्यापार के आधार पर किया गया है. हाँ, यह बात अवश्य है कि नायिका-भेद करते समय आचार्यों ने अत्यधिक सूक्ष्म मानवीय प्रेमभावों की विवेचना की है.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-6753157970851357712009-11-04T17:41:22.675+05:302009-11-04T17:41:22.675+05:30भइया !
यहि छेत्र मा जवन
बतौबो तवन हमार ग्य...भइया ! <br /> यहि छेत्र मा जवन<br />बतौबो तवन हमार ग्यानइ <br /> बढाई | <br /><br /><br /> नायक नायिका भेद पै <br />हमार ग्यान बढ़ावै ताइन <br /> सुकरिया ...<br /><br />सुरुवात मा आपकै विनम्रता <br />देखि कै तुलसी बाबा कै चौपाई <br />याद आइ गई ...<br /><br />''बरसहिं भूमि जलद नियराये |<br />जथा नवहिं बुध बिद्या पाए || ''<br /><br /> धन्नबाद ...Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-78207595933591556162009-11-04T09:04:04.147+05:302009-11-04T09:04:04.147+05:30इतने गूढ ग्यानी तो हम नहीं मगर आपके आलेख से बहुत क...इतने गूढ ग्यानी तो हम नहीं मगर आपके आलेख से बहुत कुछ जान लेंगे बहुत सुन्दर स्त्री पुरुश संबन्धों की विवेचना है धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-7813294130306692862009-11-04T00:02:19.604+05:302009-11-04T00:02:19.604+05:30हम्म... इंटरेस्टिंग :)हम्म... इंटरेस्टिंग :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-36417422259523112662009-11-03T23:53:28.970+05:302009-11-03T23:53:28.970+05:30अभी क्रमश: भी है? हम तो समझे थे कि जल्द ही निपट लि...अभी क्रमश: भी है? हम तो समझे थे कि जल्द ही निपट लियेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-9512051489725833812009-11-03T19:31:25.554+05:302009-11-03T19:31:25.554+05:30इतना उत्साहवर्धन मिले तो हम दूसरा शास्त्र ही रच दे...इतना उत्साहवर्धन मिले तो हम दूसरा शास्त्र ही रच दें! आप इतनी झिझक क्यों दिखा रहे हैं.. थोड़ा ध्यान रखिएगा नेवचा जवान भी आ पधारे हैं.. मैं उन्हें बिगाड़ने की तोहमत आप के उपर लगा सकता हूँ।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-4921584585158979052009-11-03T18:59:32.409+05:302009-11-03T18:59:32.409+05:30पढा !पढा !अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-84188791158406597382009-11-03T18:53:51.549+05:302009-11-03T18:53:51.549+05:30समझ में आया हो तब तो कुछ टिप्पणी करें..समझ में आया हो तब तो कुछ टिप्पणी करें..कार्तिकेय मिश्र (Kartikeya Mishra)https://www.blogger.com/profile/03965888144554423390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-52697388628840871272009-11-03T18:49:28.255+05:302009-11-03T18:49:28.255+05:30आगे जारी रहें...आगे जारी रहें...Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-29369118744619900882009-11-03T17:03:47.584+05:302009-11-03T17:03:47.584+05:30मिठाई का शौकीन हलवाई ही हो ये कोई तर्क नहीं इसलिए...मिठाई का शौकीन हलवाई ही हो ये कोई तर्क नहीं इसलिए कौन है जो हिंदी साहित्य का अधिकारी श्रोता के नाम पर आपको चैलेंज करने वाला भाई बढे चलो आप आगे लिखते चले जिन्हें सनसनाहट होगी वो खुद बा खुद हट जायेंगे जो गुनना चाहेंगे वे डटे रहेंगे सो न शोचयतिarun prakashhttps://www.blogger.com/profile/11575067283732765247noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-56699422190184486552009-11-03T14:47:24.469+05:302009-11-03T14:47:24.469+05:30"मैं हिन्दी साहित्य का अधिकारी श्रोता तक भी न..."मैं हिन्दी साहित्य का अधिकारी श्रोता तक भी नहीं हूँ विद्वान् की तो बात ही छोडिये ..."<br /><br />तो यहां कौन से बडे़ पुरोधा हैं डॊ. साहब:)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-12593987958766337802009-11-03T12:57:43.535+05:302009-11-03T12:57:43.535+05:30भूमिका तो हो ली, आगे बढ़िए।भूमिका तो हो ली, आगे बढ़िए।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-54902865182179234962009-11-03T11:56:13.388+05:302009-11-03T11:56:13.388+05:30अच्छी चर्चा चली है, इसे जारी रखें।
-Zakir Ali ‘Raj...अच्छी चर्चा चली है, इसे जारी रखें।<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-77260072681711607532009-11-03T09:40:46.836+05:302009-11-03T09:40:46.836+05:30अपने भी बस का नही है।अपने भी बस का नही है।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-49609976840345961352009-11-03T09:29:01.178+05:302009-11-03T09:29:01.178+05:30स्त्री-पुरुष प्रेम और संबंधो की सुन्दर चीर फाड़ और...स्त्री-पुरुष प्रेम और संबंधो की सुन्दर चीर फाड़ और अच्छा विवेचन !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-77025361130042774792009-11-03T08:04:49.032+05:302009-11-03T08:04:49.032+05:30achhi jaankaari...shukriya..mujhe to yahi pata hai...achhi jaankaari...shukriya..mujhe to yahi pata hai ki aaj tak main sirf ek sanyog shringaar likh paya aur baki sab viyog :PPankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.com