tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post3583165586180226172..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: यौन स्वभाव /कामवासना पर प्रदर्शनी -एक सूचना!Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger33125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-87328493043745624262019-05-02T08:04:06.259+05:302019-05-02T08:04:06.259+05:30Flowers in Hindi
Meaning Of Facts In Hindi
DND in ...<a href="https://www.gkkhoj.com/flowers-hindi" rel="nofollow">Flowers in Hindi</a><br /><a href="https://www.gkkhoj.com/meaning-of-facts-in-hindi" rel="nofollow">Meaning Of Facts In Hindi</a><br /><a href="https://www.gkkhoj.com/dnd-hindi" rel="nofollow">DND in Hindi</a><br /><a href="https://www.gkkhoj.com/psychologist-hindi" rel="nofollow">Psychologist in Hindi</a><br /><a href="https://www.gkkhoj.com/territory-meaning-in-hindi" rel="nofollow">Territory Meaning In Hindi</a>Paise Ka Gyanhttps://www.blogger.com/profile/15340577986204047274noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-83312788940921395092011-06-25T08:26:16.210+05:302011-06-25T08:26:16.210+05:30विश्लेषणात्मक जानकारी ....विश्लेषणात्मक जानकारी ....M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-46790439316335747892011-06-24T23:35:03.731+05:302011-06-24T23:35:03.731+05:30viry nice yaha bhi aaye yaha bhi aayeviry nice yaha bhi aaye <a href="http://chhotawriters.blogspot.com" rel="nofollow">yaha bhi aaye</a>Adminhttps://www.blogger.com/profile/11424126516517764265noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-44521771024850938002011-06-24T13:56:59.015+05:302011-06-24T13:56:59.015+05:30जानकारी शेयर करने के लिए आभार..अच्छी पोस्ट.जानकारी शेयर करने के लिए आभार..अच्छी पोस्ट.KK Yadavhttps://www.blogger.com/profile/05702409969031147177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-90511990519505861532011-06-24T13:55:15.885+05:302011-06-24T13:55:15.885+05:30Vaah! chatpata post..hu.n.n.nVaah! chatpata post..hu.n.n.nAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/14612724763281042484noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-81806978939452081072011-06-24T09:08:23.855+05:302011-06-24T09:08:23.855+05:30प्यार के यह पल है , जानकरी के लिए धन्यवादप्यार के यह पल है , जानकरी के लिए धन्यवादSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-90814091341365808012011-06-24T08:47:31.851+05:302011-06-24T08:47:31.851+05:30शुक्रिया भाई साहब !पिट्स बर्ग अभी -अभी पहुंचें हैं...शुक्रिया भाई साहब !पिट्स बर्ग अभी -अभी पहुंचें हैं केंटन से .सुबह पेंसिलवानिया के फाउन्टेन विल के लिए निकलना है .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-39674057746518582302011-06-23T13:01:14.529+05:302011-06-23T13:01:14.529+05:30बहुत सुंदर और ज्ञानवर्धक पोस्ट सर बधाई |बहुत सुंदर और ज्ञानवर्धक पोस्ट सर बधाई |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-57147788517343364692011-06-23T13:01:13.341+05:302011-06-23T13:01:13.341+05:30बहुत सुंदर और ज्ञानवर्धक पोस्ट सर बधाई |बहुत सुंदर और ज्ञानवर्धक पोस्ट सर बधाई |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-71964924146173974022011-06-22T22:20:36.809+05:302011-06-22T22:20:36.809+05:30.वाह.. पहिले रहें रामदेव
आजु छाये हैं कामदेव !
जा....<i>वाह.. पहिले रहें रामदेव<br />आजु छाये हैं कामदेव !<br /><br />जानकारी अच्छी है..लेकिन आयोजन लँदन में<br />लँका में बरसे सोना, तो अपने बाप का क्या <br /><br />समीर भाई विस्तृत रिपोर्ट पेश करें, तो बात बने ।<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-2376869484014737272011-06-22T17:08:36.536+05:302011-06-22T17:08:36.536+05:30और अरविन्द भाई साहब हमारे यहाँ तो सेक्स का एक और आ...और अरविन्द भाई साहब हमारे यहाँ तो सेक्स का एक और आयाम भी उत्खचितहै खजुराहो में -पशु -पुरुष यौनस लगाव .ज़ाहिर है पाशविक वृत्ति जब हावी होती है तब यौन चाहिए कैसे भी किसी के साथ.बलात्कार भी मानसिक धरातल पर पहले घटता है दैहिक पर बाद में .उंच नीच का बोध चुक जाता है .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-18604494594999746332011-06-22T08:36:42.527+05:302011-06-22T08:36:42.527+05:30अच्छी सूचना दी भाई साहब,इस पोस्ट का लिंक ब्लॉग4वार...अच्छी सूचना दी भाई साहब,इस पोस्ट का लिंक <a href="http://blog4varta.blogspot.com/2011/06/4_22.html" rel="nofollow">ब्लॉग4वार्ता</a> पर है।<br /><br />आभारब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-8352582578576612372011-06-22T07:36:33.420+05:302011-06-22T07:36:33.420+05:30धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष आदि के जरिये काम को पहले ही...धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष आदि के जरिये काम को पहले ही मनीषियों नें जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा माना है। <br /> किंतु अब भी यह विषय गोपनीय और गूढ़ माना जाता है। बहुत संभव है कि इस गोपनीयता ने लोगों के भीतर काम को लेकर एक प्रकार की जिज्ञासा , एक तरह की रोचकता को बरकरार रखने में भूमिका निभाई है। पश्चिमी देशों में जिस नजरिये से इस विषय को देखा जाता है उससे अलग नजरिया भारतीय परिवेश में होना लाजिमी है, तब तो और.....जब बाहर बैठक में मित्रों संग बैठे पति को किसी कार्य से बुलाने के लिये पत्नी को किवाड़ की सांकल खटखटाने जैसे माध्यम का सहारा लेना पड़ता हो।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-4528235847681013912011-06-21T21:22:32.547+05:302011-06-21T21:22:32.547+05:30न्यूयोर्क के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में होता तो ...न्यूयोर्क के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में होता तो हम कुछ मदद कर पाते. :)<br />वन ऑफ़ दी बेस्ट म्यूजियम है (मेरे देखे हुए म्यूजियम्स के हिसाब से )Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-20432835244689809202011-06-21T20:18:56.460+05:302011-06-21T20:18:56.460+05:30नर हो या वानर काम मनुष्य की एक नैसर्गिक प्रवृत्ति ...नर हो या वानर काम मनुष्य की एक नैसर्गिक प्रवृत्ति है .अनेक पुरुषार्थों में भी मान्य है .सिर्फ हमारा अर्जित व्यवहार हमें यौन -उन्मुख वानरों से अलग करता है .वरना प्रथम दृष्टि पात नारी की देह यष्टि पर ही होता है पुरुष का .पुरुष और प्रकृति सृष्टि के दो पहलूँ हैं संपूरक परस्पर ।<br />इधर कई यौन -उन्मुख जीव महानगरों में निर्भय विचरण करतें हैं यह भी यौन सुख लूटने के बाद अपने शिकार की ह्त्या कर देतें हैं ।<br />दृश्य रतिक मनुष्येतर प्राणियों की प्रणय लीला से व्याग्रा का काम लेते हैं .कई चित्र कार यह अश्व -प्रणय लीला देख कर ही महान हो गए .<br />सोलह कलाओं में काम कला का भी विशेष उल्लेख मिलता है .काम सूत्र अपवाद नहीं रहा है नियम रहा है .आतताई संस्कृति ने हमारी धरोहर को बुर्का पहना के छोड़ दिया ।<br />अच्छे विचार -उत्पादक आलेख के लिए आपको बधाई भी ,आपका आभार भी .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-13626492293695231322011-06-21T20:10:54.178+05:302011-06-21T20:10:54.178+05:30बोल्ड टॉपिक ।
ये बोनोबो कपियों वाला प्रोग्राम देख...बोल्ड टॉपिक ।<br /><br />ये बोनोबो कपियों वाला प्रोग्राम देखकर हमें भी हैरानी हुई थी ।<br />जानवर और पशुओं में मनुष्य के मुकाबले एक फर्क होता है । उनमे यौन सम्बन्ध प्रजनन के लिए ही होता है । और यह तभी संभव होता है जब मादा इसके लिए तैयार होती है । इसे ईस्ट्रस कहते हैं । सभी पशु या जानवरों का ईस्ट्रस साइकल अलग होता है । बिना ईस्ट्रस के मादा नर को कभी आकर्षित नहीं करती ।<br /><br />मनुष्यों को यौन संबंधों को एन्जॉय करने की विशेष सुविधा प्राप्त है । लेकिन वह नालायक इस सुविधा का दुरूपयोग कर मानव जाति पर ही कलंक लगा देता है जैसा कि अभी रोज यू पी में हो रहा है ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-65507294613153218402011-06-21T19:38:10.565+05:302011-06-21T19:38:10.565+05:30"प्रकृति के काम -व्यवहार हमारे नैतिक मानदंडों..."प्रकृति के काम -व्यवहार हमारे नैतिक मानदंडों से निर्धारित -निर्णीत नहीं होते ... उन्हें देखने जानने परखने की खुली दृष्टि होनी चाहिए ..."<br /><br />यथार्थपरक पंक्तियाँ और महत्वपूर्ण पोस्ट.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-58482903293072992472011-06-21T17:42:32.395+05:302011-06-21T17:42:32.395+05:30हम तो मौन-स्वभाव है जी :)हम तो मौन-स्वभाव है जी :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-2564088170388290702011-06-21T11:05:08.424+05:302011-06-21T11:05:08.424+05:30आपने बहुत अच्छी जानकारी दी है.discovery या nationa...आपने बहुत अच्छी जानकारी दी है.discovery या national geographic पर ऐसा programe देख कर हैरानी ही होती है.एक फर्क कि हम मानव कहाँ है?Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-15410653088326608142011-06-21T09:34:46.866+05:302011-06-21T09:34:46.866+05:30@ सतीश भाई से सप्रेम असहमत ,
यह ऐसा विषय है जिसे स...@ सतीश भाई से सप्रेम असहमत ,<br />यह ऐसा विषय है जिसे सब ? पढ़ने से पहले ही व्यवहृत करना चाहते हैं :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-36166821833416636552011-06-21T09:31:40.482+05:302011-06-21T09:31:40.482+05:30acchi jaankaariacchi jaankaariसुरेन्द्र "मुल्हिद"https://www.blogger.com/profile/00509168515861229579noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-8817016234909462232011-06-21T09:28:51.967+05:302011-06-21T09:28:51.967+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-40911301861576970542011-06-21T09:28:50.840+05:302011-06-21T09:28:50.840+05:30यौन व्यवहार { मैं इसे सच्चा प्रेम नहीं कहूंगा क्यो...यौन व्यवहार { मैं इसे सच्चा प्रेम नहीं कहूंगा क्योंकि मित्र बहस करने लग जायेंगे :) } के वजूद की समूची प्रकृति में मौजूदगी की स्वीकार्यता का प्रतिशत मात्र ६८ है ...घोर आश्चर्य !<br /><br />कोई आश्चर्य नहीं कि यौन जीवन में मोनोगेमी को पर्याप्त समर्थन नहीं मिल सका :)<br /><br />अब ज़रा गौर फरमाइयेगा कि मनुष्येतर जीवों के कामजीवन में भी प्राथमिकताओं / वरीयताओं के समानांतर वर्जनायें / निषेध भी चलते हैं ,मिसाल के तौर पर एकल सहचर की प्राथमिकता के साथ बहुसहचर का निषेध और इसी तर्ज़ पर बहुसहचर की प्राथमिकता के साथ एकल सहचर की वर्जना !<br /><br />मादा मकड़ी , नर मकड़े की , बहुसहचर समागम की संभावना ही समाप्त कर देती है इतना ही नहीं यहाँ शैय्या सुख के साथ डाइनिंग टेबिल जैसा माहौल भी मौजूद है कि नहीं ? बोनोबो कापियों की तर्ज़ पर उसके लिए भी सेक्स और भूख साथ साथ है :) <br /><br />इसी तरह से स्टिक इंसेक्ट की अपनी प्राथमिकता और वर्जनाएं हैं :)<br /><br />आपने मनुष्य की काम भावना को मानो बोनोबों कापियों से उदभूत कहा तो फिर अंग विशेष की विशालता और विकरालता के प्रति मनुष्य के आकर्षण को नर बैरान्कल से प्रेरित क्यों नहीं कहा :)<br /><br />चलते चलते एक बात और ...जैसा कि आपने प्रदर्शनी के हवाले से आगाह किया कि "प्रकृति के काम -व्यवहार हमारे नैतिक मानदंडों से निर्धारित -निर्णीत नहीं होते ..." <br /><br />तो अपना अभिमत ये है कि सभी जीवों के यौन व्यवहार में प्राथमिकताओं / वरीयताओं तथा निषेध / वर्जनाओं का अस्तित्व है तो इन्हें ही काम व्यवहार को निर्धारित और निर्णीत करने वाले नैतिक मानदंडों के रूप में स्वीकारा जाये :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-29297778663782650302011-06-21T09:18:56.557+05:302011-06-21T09:18:56.557+05:30काम रत जीव-जंतु
करते तो हैं
पर जान ही नहीं पाते ...काम रत जीव-जंतु <br />करते तो हैं <br />पर जान ही नहीं पाते <br />किसे कहते हैं <br />प्रेम <br /><br />मनुष्य <br />जानता तो है <br />लेकिन मायाजाल में <br />खोता चला जाता है <br />प्रेम के सुनहरे पल <br /><br />वास्कोडिगामा <br />ढूंढ ही लेता है <br />नई जमीन।<br />...अच्छी लगी यह पोस्ट।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-78847408922321762612011-06-21T08:47:14.985+05:302011-06-21T08:47:14.985+05:30मैंने सुना की एक कोई "Slut" आन्दोलन भारत...मैंने सुना की एक कोई "Slut" आन्दोलन भारतीय सरजमीं से होकर गुजरने वाला है तो क्या ऐसी प्रदर्शनियों के लिए हमारे देश में कोई जगह नहीं मिल सकती. अब लन्दन तो अपने लिए बहुत दूर है.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.com