tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post3408836035917432331..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: फिफ्टी शेड्स आफ ग्रे- कामुकता की पराकाष्ठा का साहित्य (पुस्तक परिचय )Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-83791818448187015822014-06-06T18:56:07.125+05:302014-06-06T18:56:07.125+05:30गुनाहों का देवता अभी पढ़ा है और रेत की मछली की तलाश...गुनाहों का देवता अभी पढ़ा है और रेत की मछली की तलाश है:)संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-72390016550947864662012-08-19T11:09:31.336+05:302012-08-19T11:09:31.336+05:30मुझे भी लगता है कि फंतासी का अंत मोह्भंग और स्थायी...मुझे भी लगता है कि फंतासी का अंत मोह्भंग और स्थायी विक्षोह ही है. अतः "...डोंट वेस्ट योर टाईम एंड रिसोर्सेज ....."अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-10047657261371581422012-08-19T05:24:24.340+05:302012-08-19T05:24:24.340+05:30भारतीय इससे अछूते तो नही हैं वात्स्यायन की कामशास्...भारतीय इससे अछूते तो नही हैं वात्स्यायन की कामशास्त्र पुस्तक के बारे में सुना तो है । आपकी समीक्षा से ही मन भर गया ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-80130209629547307092012-08-10T23:58:28.389+05:302012-08-10T23:58:28.389+05:30thank for your advice. kya pata kisiki recomandati...thank for your advice. kya pata kisiki recomandation par padh hi jate.राजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02628010904084953893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-30735847303428753232012-08-08T23:04:02.382+05:302012-08-08T23:04:02.382+05:30ये किताब किसी जगह देखी तो थी, अगली बार दिखी तो और ...ये किताब किसी जगह देखी तो थी, अगली बार दिखी तो और ठीक से देखना चाहूंगा।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-18579125896656585452012-08-08T20:41:16.092+05:302012-08-08T20:41:16.092+05:30"इन्साफ का तराजू " का परपीड़क यौनानंद हम..."इन्साफ का तराजू " का परपीड़क यौनानंद हमें सुख नहीं देता वितृष्णा ही देता है .बेशक सम्भोगानंद नन्दनियाँ यहाँ भी हैं ,उनका सामूहिक गायन प्रदर्शन नहीं है .इन्साफ का तराजू का परपीड़क सम्भोगानंद यहाँ वितृष्णा ही पैदा करता है आकर्षण या यौन उत्तेजन नहीं .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-9772706313200578342012-08-08T17:29:40.603+05:302012-08-08T17:29:40.603+05:30भारतीय मानसिकता तो नक़ल में अव्वल है ही..डर है कि ...भारतीय मानसिकता तो नक़ल में अव्वल है ही..डर है कि आने वाला समय कहीं हमारे साहित्य में भी ऐसी घुसपैठ न करे . संतुलित समीक्षा ..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-13966227481366160152012-08-08T13:06:09.349+05:302012-08-08T13:06:09.349+05:30आपने सधी हुयी समीक्षा की है ... साथ ही जो न पढ़ना ...आपने सधी हुयी समीक्षा की है ... साथ ही जो न पढ़ना चाहें उन्हें एक अच्छा ट्रेलर भी दिखा दिया है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-73743358259248877502012-08-07T22:11:51.132+05:302012-08-07T22:11:51.132+05:30हम्म... हमें किसी ने दिया तो पढ़ जायेंगे :)
और कोई ...हम्म... हमें किसी ने दिया तो पढ़ जायेंगे :)<br />और कोई न कोई दे ही देगा :) नहीं तो फिल्म तो आनी ही है.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-70537805267588913002012-08-07T11:00:53.433+05:302012-08-07T11:00:53.433+05:30किताब का परिचय ही काफी है ....
गुनाहों का देवता ...किताब का परिचय ही काफी है .... <br /><br />गुनाहों का देवता बहुत बार पढ़ा है ....लेकिन जिस दिन रेत की मछली पढ़ा उसके बाद से गुनाहों का देवता फिर पढ़ने का मन नहीं हुआ । आभारसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-76891925211119826452012-08-07T08:12:30.807+05:302012-08-07T08:12:30.807+05:30:-):-)संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-43323707076231775762012-08-06T20:57:59.261+05:302012-08-06T20:57:59.261+05:30रोचक पोस्ट।
क्या इस पुस्तक का हिंदी में अनुवाद हु...रोचक पोस्ट।<br /><br />क्या इस पुस्तक का हिंदी में अनुवाद हुआ है?देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-29716911682811443862012-08-06T18:32:14.887+05:302012-08-06T18:32:14.887+05:30विकृत मानसिकता में वेस्ट का ज़वाब नहीं . कॉलेज के ...विकृत मानसिकता में वेस्ट का ज़वाब नहीं . कॉलेज के दिनों में हेरोल्ड रोबिनस के कई उपन्यास पढ़े थे . एक तो इससे भी ज्यादा नौसिअटिंग था . <br />आपने सही कहा , हमारा समाज इसे स्वीकार नहीं कर सकता . यहाँ अभी भी कुछ इंसानियत बची है .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-31660087260052753242012-08-06T17:57:18.945+05:302012-08-06T17:57:18.945+05:30इस विषय पर अभी तक किताब पढ़ने का मन नहीं हुआ है, अ...इस विषय पर अभी तक किताब पढ़ने का मन नहीं हुआ है, अगर कभी आगे हुआ तो जरूर पढ़ेंगे ।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-31815074892359337022012-08-06T14:11:17.923+05:302012-08-06T14:11:17.923+05:30बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
बधाई
इंडि...बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....<br />बधाई<br /><a href="http://indiadarpan.blogspot.com" rel="nofollow"><br />इंडिया दर्पण</a> पर भी पधारेँ।India Darpanhttps://www.blogger.com/profile/14088108004545448186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-56290908459315605682012-08-06T12:17:55.562+05:302012-08-06T12:17:55.562+05:30हम तो समीक्षा पढ़ के ही टाइम खोटी होने का अनुभव कर...हम तो समीक्षा पढ़ के ही टाइम खोटी होने का अनुभव कर रहे हैं। किताब तो दूर की बात है। शुक्रिया।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-39528308215323200592012-08-06T09:14:12.394+05:302012-08-06T09:14:12.394+05:30अच्छा सुझाव ....आभार ....अच्छा सुझाव ....आभार .... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-70144166387082708402012-08-06T06:31:07.116+05:302012-08-06T06:31:07.116+05:30इस पुस्तक में प्रेम और प्यार के शब्दों के लिए मेरे...इस पुस्तक में प्रेम और प्यार के शब्दों के लिए मेरे खयाल से कोई जगह नहीं है.अना को ग्रे से मिलते ही 'प्यार' हो जाता है,सही नहीं है.प्यार धीरे-धीरे महसूसने और समझने के बाद होता है,ये सब वासना और सिर्फ खेल है.<br /><br />...आपके लिए ज़रूरी भी नहीं कि इस तरह की पुस्तक-समीक्षा की ही जाय.<br />...वैसे थोड़ा आश्चर्य भी हुआ कि आप इसकी आलोचना कर रहे हैं,जबकि हाल ही में एक भारतीय-पत्रिका में छपे स्त्री के अश्लील-चित्र से आपकी सहानुभूति थी.इस पुस्तक में तो पन्नों के अंदर ही शब्दों के रूप में है.संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-37370121669627062672012-08-06T06:00:23.724+05:302012-08-06T06:00:23.724+05:30आपका सुझाव मान लिया गया है !आपका सुझाव मान लिया गया है !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-70563727648358286672012-08-06T05:33:06.583+05:302012-08-06T05:33:06.583+05:30@नीरज-
आखिर अंततः तो मैं भी एक भारतीय ही हूँ न :-...@नीरज-<br /><br />आखिर अंततः तो मैं भी एक भारतीय ही हूँ न :-)Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-6048384826474945042012-08-06T00:33:50.560+05:302012-08-06T00:33:50.560+05:30आपका काम तो केवल रिव्यू करना था, पुस्तक के बारे मे...आपका काम तो केवल रिव्यू करना था, पुस्तक के बारे में कई समूहो के बिहाफ पर सामूहिक राय जैसा कुछ बनाना ठीक नहीं लगा |<br /><br />विकृत और घृणित जैसे शब्दों का प्रयोग तनिक कठोर मालूम हुआ लेकिन ये आपका अधिकार क्षेत्र है |<br /><br />अभी पुस्तक पढ़ने के लिए वेटिंग में हैं क्योंकि हमारी एक मित्र ने खुद समाप्त करने के बाद हमे उधार देने का वादा किया है| <br /><br />बाकी इससे सम्बंधित ये वीडियो ही देख लीजिये :)<br />https://www.youtube.com/watch?v=leT-4Y1l7NY<br /><br />And,<br /><br />https://www.youtube.com/watch?v=ep_CGvxoGI0<br /><br />इस पोस्ट को लिखने के लिए आभार :)<br />नीरजNeeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-75825961420225186262012-08-06T00:08:44.412+05:302012-08-06T00:08:44.412+05:30हमें तो वैसे भी साइंस फिक्शन के अलावा कोई और फिक्श...हमें तो वैसे भी साइंस फिक्शन के अलावा कोई और फिक्शन पढ़ना पसंद नहीं. शोध की किताबों से फुर्सत ही नहीं मिलती :(muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-52221614509695677442012-08-05T23:17:29.611+05:302012-08-05T23:17:29.611+05:30किसी लाइब्रेरी में मिली तो पढेंगे|किसी लाइब्रेरी में मिली तो पढेंगे|संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-63052702025012705312012-08-05T22:40:25.302+05:302012-08-05T22:40:25.302+05:30चलिये अच्छा हुआ .. कौन बांचे ऐसी कितबियाचलिये अच्छा हुआ .. कौन बांचे ऐसी कितबियाबाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-29672990118017083442012-08-05T22:15:58.752+05:302012-08-05T22:15:58.752+05:30एक बार वेनकोवर से सीटल जा चुका हूँ. दुबारा नहीं ज...एक बार वेनकोवर से सीटल जा चुका हूँ. दुबारा नहीं जाना चाहता.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.com